
- बिहार के बेगूसराय जिले के विष्णुपुर आहोक गांव में 2016 में बने पुल के अप्रोच पथ अब तक अधूरे हैं.
- मुजफ्फरपुर के सांसद आदर्श गांव जजूआर पश्चिमी में 2020 में बने पुल के अप्रोच पथ का निर्माण 5 वर्षों से रुका हुआ
- जहानाबाद के नदियांवा गांव में आठ साल पहले बने सात करोड़ रुपये के पुल पर केवल साइकिल चल पाती है.
बिहार में विकास का दावा तो बहुत है, लेकिन तस्वीर हकीकत से बिल्कुल अलग है. करोड़ों की लागत से बने पुल जनता के लिए मददगार साबित होने के बजाय परेशानी का सबब बन गए हैं. वजह अप्रोच पथ का अभाव और घटिया निर्माण. बेगूसराय, मुजफ्फरपुर और जहानाबाद, तीनों जिलों की हालत एक जैसी है. एनडीटीवी की ग्राउंड रिपोर्ट देखिए.
बेगूसराय: 2016 में बना पुल, लेकिन अप्रोच पथ अब तक नहीं!
बेगूसराय के साहेबपुर कमाल प्रखंड के विष्णुपुर आहोक गांव में 2016 में गंडक नदी पर 13 करोड़ की लागत से पुल बनाया गया. लेकिन आठ साल बाद भी यह पुल ग्रामीणों को राहत नहीं दे पाया. वजह- अप्रोच पथ अब तक नहीं बना. इसका काम 2017 तक पूरा होना था, लेकिन ठेकेदार की लापरवाही और उदासीनता की वजह से पांच साल तक निर्माण लटका रहा. उद्घाटन से पहले ही पुल का हिस्सा टूट गया. मरम्मत हुई, लेकिन अप्रोच पथ अब भी अधूरा है. बरसात के दिनों में हालात और बिगड़ जाते हैं_ मरीजों को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो जाता है और बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है.
मुजफ्फरपुर: सांसद आदर्श गांव की कहानी
मुजफ्फरपुर जिले के कटरा प्रखंड के सांसद आदर्श गांव जजूआर पश्चिमी में भी कहानी अलग नहीं है. यहां 2020 में 3 करोड़ 63 लाख की लागत से पुल बना और 88 लाख की लागत से अप्रोच पथ बनना था. लेकिन पांच साल बीत गए, अप्रोच पथ अब तक अधूरा है. लोगों का कहना है कि सांसद और विधायक दोनों भाजपा से होने के बावजूद इस मुद्दे पर आवाज नहीं उठाई गई.
जहानाबाद: 7 करोड़ के पुल पर सिर्फ चल रही साइकिल
जहानाबाद के घोषी विधानसभा क्षेत्र के नदियांवा गांव में दरधा नदी पर करीब 7 करोड़ की लागत से पुल बना. आठ साल हो चुके हैं, लेकिन अप्रोच पथ आज तक तैयार नहीं हो पाया. ग्रामीण बताते हैं इस पुल पर सिर्फ साइकिल ही चल पाती है. नेताओं की नजर में यह विकास का प्रतीक है, लेकिन ग्रामीणों की नजर में यह बोझ बन चुका है. जब इस मामले पर जिला प्रशासन से सवाल हुआ, तो डीएम ने जांच का भरोसा दिया.
बेगूसराय हो या मुजफ्फरपुर या फिर जहानाबाद, तस्वीर हर जगह एक जैसी है. करोड़ों की लागत से बने पुल, लेकिन अप्रोच पथ के बिना बेकार पड़े हैं. जनता के सपनों को तोड़ते ये अधूरे प्रोजेक्ट सरकार की लापरवाही और ठेकेदारों की मनमानी की गवाही दे रहे हैं. विकास के नाम पर बने ये अधूरे पुल अब जनता की मजबूरी बन गए हैं. सवाल ये है कि कब तक लोग नेताओं के वादों और अधूरे कामों के बीच पिसते रहेंगे.
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