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Mokama Result: मोकामा में अनंत सिंह ने सूरजभान सिंह की पत्नी को जेल में रहते हुए हराया

मोकामा में 1990 के दशक से ही बड़े-बड़े नेताओं का दबदबा रहा है. इसकी शुरुआत दिलीप कुमार सिंह उर्फ 'बड़े सरकार' ने की थी, जो 1990 और 1995 में जनता दल के टिकट पर विधायक बने थे.

Mokama Result: मोकामा में अनंत सिंह ने सूरजभान सिंह की पत्नी को जेल में रहते हुए हराया

बिहार में एनडीए की जीत का रास्ता मोकामा से शुरू हुआ. मोकामा से जदयू प्रत्याशी अनंत सिंह चुनाव जीत गए हैं. उनके खिलाफ राजद ने सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को चुनाव मैदान में उतारा था. उनके उतरने से माना जा रहा था कि अनंत सिंह को कड़ी चुनौती मिलेगी. इसी बीच हत्या के मामले में अनंत सिंह के जेल जाने के बाद मामला और कड़ा हो गया. मगर अनंत सिंह ने एक बार फिर साबित कर दिया कि मोकामा में अनंत सिंह का ही सिक्का चलता है.

पार्टीप्रत्याशीनतीजे
JDUअनंत सिंहजीते
RJDवीणा देवीहारी
राउंडप्रत्याशीवोटप्रत्याशी 2वोट
राउंड 1अनंत सिंह4524वीणा देवी1808
राउंड 2अनंत सिंह8057वीणा देवी6202
राउंड 3अनंत सिंह11530वीणा देवी10830
राउंड 4अनंत सिंह15034वीणा देवी13003
राउंड 5अनंत सिंह19524वीणा देवी13978
राउंड 6अनंत सिंह22345वीणा देवी14352
राउंड 7अनंत सिंह26229वीणा देवी15174
राउंड 8अनंत सिंह29535वीणा देवी18259

तीसरा चरण: चुनाव आयोग के आंकड़े

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मोकामा और बाहुबल

मोकामा मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है और 1951 में विधानसभा क्षेत्र के रूप में इसका गठन हुआ था. मोकामा की राजनीति पिछले तीन दशकों से किसी न किसी 'बाहुबली' के प्रभाव में रही है, लेकिन 2005 से यहां 'छोटे सरकार' यानी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के दिग्गज नेता अनंत सिंह का एक ऐसा अभेद्य किला बना हुआ है, जिसे भेदना हर विरोधी के लिए एक चुनौती रहा है.

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मोकामा में 1990 के दशक से ही बड़े-बड़े नेताओं का दबदबा रहा है. इसकी शुरुआत दिलीप कुमार सिंह उर्फ 'बड़े सरकार' ने की थी, जो 1990 और 1995 में जनता दल के टिकट पर विधायक बने थे और सालों तक मंत्री भी रहे, लेकिन 2005 से अनंत सिंह ने कमान संभाली और फिर यहां का राजनीतिक इतिहास 'छोटे सरकार' के नाम से लिखा जाने लगा.

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अनंत सिंह का सफर

अनंत सिंह ने लगातार पांच बार इस सीट पर जीत का परचम लहराया है. उनका राजनीतिक सफर किसी रोमांचक कहानी से कम नहीं है. अनंत सिंह ने 2015 में पार्टी से किनारा होने पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़कर भी जीत हासिल की. वह 2020 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में शामिल हुए और जेल में रहते हुए भी जीत दर्ज की.

हालांकि, 2022 में एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें अपनी विधानसभा सदस्यता गंवानी पड़ी थी, लेकिन मोकामा की जनता ने तब भी उनका साथ नहीं छोड़ा. 2022 के उपचुनाव में, उनकी पत्नी नीलम देवी को राजद ने मैदान में उतारा, जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सोनम देवी को बड़े अंतर से हराकर इस सीट को राष्ट्रीय जनता दल के पास बनाए रखा.

अब 2025 के चुनावों में, अनंत सिंह फिर से जदयू में लौट आए हैं और पार्टी ने उन पर एक बार फिर भरोसा जताया है.  मोकामा का नाम सिर्फ बाहुबल की राजनीति से नहीं जुड़ा है, बल्कि इसका अपना एक गौरवशाली इतिहास भी रहा है. 1908 में, यहीं के मोकामा घाट रेलवे स्टेशन पर महान क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी ने ब्रिटिश मजिस्ट्रेट डगलस किंग्सफोर्ड की हत्या के असफल प्रयास के बाद खुद को गोली मारकर शहादत दी थी. आज उनकी याद में शहर में 'शहीद गेट' बना हुआ है. 1942 में महात्मा गांधी की यात्रा ने भी यहां के स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊर्जा दी थी. मोकामा सीट पर भूमिहार समुदाय का प्रभुत्व माना जाता है, लेकिन यहां के चुनाव परिणाम हमेशा जटिल जातीय समीकरणों पर निर्भर करते हैं.

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