
बिहार चुनाव से पहले मतदान सूची के सत्यापन का मुद्दा एक बड़ा मुद्दा बन गया है. खासकर उनलोगों के लिए जो बिहार से बाहर प्रवास करते हैं. विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि बिहार में 'विशेष गहन पुनरीक्षण' से गरीब, दलित, आदिवासी और प्रवासी मजदूरों के नाम वोटर लिस्ट से हट सकते हैं. एनडीटीवी ने दिल्ली में प्रवास कर रहे कुछ ऐसे ही प्रवासी लोगों से बात की है.
मंजय शर्मा और ध्रुव कुमार बिहार के गोपालगंज और पूर्वी चंपारण जिले के रहने वाले हैं. दिल्ली में मेहनत मजदूरी करते हैं. लेकिन मतदाता बिहार के ही हैं. एनडीटीवी संवाददाता प्रशांत ने बिहार में मतदाता सूची के सत्यापन के लिए चल रहे अभियान के बारे में बात की. दोनों का कहना है कि अभी बिहार जाकर ये काम करना उनके लिए मुश्किल है.
जब एनडीटीवी ने ऐसे ही कुछ और मज़दूरों से बात की तो उनमें से कुछ को तो इसके बारे में पता ही नहीं था. हालांकि इस अभियान के बारे में पता लगने पर उन्होंने कहा कि वो इस काम के लिए 25 जुलाई के पहले बिहार जाएंगे.
संवाददाता प्रशांत ने कुछ ऐसे लोगों से भी मुलाकात की जो हाल ही में अलग- अलग कारणों से बिहार से दिल्ली आए हैं. ध्रुव गोपाल झा एक रिटायर्ड प्रोफेसर हैं और दिल्ली में निजी काम से अपनी बेटी और दामाद से मिलने आए हैं. उनके दामाद राजीव झा का हाल ही में बिहार से दिल्ली ट्रांसफर हुआ है. दोनों बिहार के ही मतदाता हैं. लेकिन कहा कि सत्यापन के लिए इतनी जल्दी बिहार जाना तो संभव नहीं है. लेकिन उन्हें चुनाव आयोग की तरफ से मैसेज आया है कि ऑनलाइन सत्यापन हो सकता है.
बिहार के बाहर रह रहे ऐसे प्रवासी मतदाताओं को एक राहत देते हुए चुनाव आयोग ने आज देर शाम ऐलान किया कि अब ऐसे मतदाता ऑनलाइन सत्यापन भी करवा सकेंगे. उधर, इस मुद्दे पर सियासी घमासान लगातार जारी है.
कल रात इंडिया गठबंधन के साथ हुई मुलाकात के बाद गठबंधन के नेताओं ने कहा कि उन्हें चुनाव आयोग ने बताया है कि बिहार के क़रीब 20 फीसदी वोटर बिहार के बाहर रहते हैं. ऐसे में दिल्ली , मुंबई और देश के बाक़ी इलाकों में रह रहे बिहारियों के बीच इस अभियान के बारे में जागरूकता लाना भी एक चुनौती है.
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