- दिल्ली की विशेष सीबीआई अदालत ने जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में आरोप तय करने की प्रक्रिया फिलहाल रोक दी है
- कोर्ट ने 4 आरोपियों की मृत्यु के कारण अभियुक्तों की जीवित स्थिति की पुष्टि के लिए CBI को रिपोर्ट देने को कहा
- इस मामले की अगली सुनवाई आठ दिसंबर को होगी जिसमें आरोप तय करने या न करने का फैसला महत्वपूर्ण होगा
जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में गुरुवार का दिन राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के लिए राहत भरा साबित हुआ. दिल्ली के राउज एवेन्यू स्थित विशेष सीबीआई अदालत में आज आरोप तय किए जाने थे, लेकिन अदालत ने इस प्रक्रिया को फिलहाल रोक दिया. राजनीतिक हलकों और कानूनी विशेषज्ञों की नजरें इस फैसले पर टिकी थीं और जब अदालत का निर्णय आया तो इसे लालू परिवार के लिए तत्काल राहत माना गया.
कोर्ट ने आरोप तय करने की प्रक्रिया क्यों रोकी?
अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह केस लंबा चला है और ट्रायल की प्रक्रिया के दौरान चार आरोपियों की मौत हो चुकी है. ऐसे में आरोप तय करने से पहले अभियुक्तों का स्टेटस स्पष्ट होना अनिवार्य है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि कौन-कौन आरोपी अभी जीवित हैं, किनके खिलाफ कार्रवाई मृत्यु के बाद स्वतः समाप्त मानी जाएगी. इसके लिए अदालत ने सीबीआई को अगली सुनवाई से पहले स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.
अब आगे क्या होगा महत्वपूर्ण अगली तारीख पर सबकी नजर
इस मामले की अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी. उसी दिन यह साफ होगा कि किन आरोपियों पर आरोप तय होंगे, किनके खिलाफ केस आगे नहीं बढ़ेगा. कानूनी प्रक्रिया में यह तारीख बेहद निर्णायक मानी जा रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि 8 दिसंबर लंबी चली आ रही कानूनी लड़ाई का अगला महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है.
केस की जटिलता 103 आरोपियों पर चार्जशीट
इस मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सीबीआई ने कुल 103 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. इतनी बड़ी संख्या किसी भी मामले को जटिल और लंबा बना देती है. लेकिन चार अभियुक्तों की मृत्यु के बाद अदालत के निर्देश पर पूरी सूची का दोबारा सत्यापन अनिवार्य हो गया है और इसी प्रक्रिया के कारण आरोप तय करने में देरी हुई है.
आज की राहत, लेकिन मुक़दमा अभी खत्म नहीं
आज आई अदालत की टिप्पणी लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और पूरे परिवार के लिए राहत की सांस लेकर आई है, लेकिन कानूनी लड़ाई अभी बाकी है. आरोप तय होने या न होने पर आने वाला फैसला राजनीतिक और व्यक्तिगत दोनों स्तरों पर बड़ा असर छोड़ेगा.
राजनीतिक रूप से मामला क्यों अहम?
यह केस सीधे बिहार की राजनीतिक धुरी लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार से जुड़ा है. इसके असर की वजहें तेजस्वी यादव के राजनीतिक भविष्य पर सीधा प्रभाव, बिहार में विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों के लिए बड़ा मुद्दा, लोकसभा और विधानसभा की राजनीतिक रणनीति पर संभावित असर. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस केस के हर मोड़ की गूंज बिहार की राजनीति तक पहुंचती है, इसलिए अदालत का हर फैसला खबरों और राजनीतिक विमर्श का केंद्र बन रहा है.
आज अदालत द्वारा आरोप तय करने की प्रक्रिया रोकना लालू यादव परिवार के लिए फिलहाल राहत है, लेकिन यह लड़ाई अभी अपने निर्णायक मुकाम तक नहीं पहुंची है. 8 दिसंबर की तारीख इस मामले में बेहद अहम और परिणामकारी साबित हो सकती है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं