
लैंड फॉर जॉब मामले में लालू परिवार की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. ईडी की तरफ से इस मामले में मंगलवार को तेजप्रताप यादव और राबड़ी देवी से पूछताछ की गई. अब आज बुधवार को लालू यादव ईडी के सामने पेश हुए हैं. एजेंसी सूत्रों का कहना है कि इस मामले में कुछ ‘‘अतिरिक्त तथ्य'' सामने आने के कारण फिर से पूछताछ किया जाना जरूरी हो गया था. उन्होंने बताया कि तीनों के बयान मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज किए जाने हैं.
यह मामला 2004-2009 के दौरान रेलवे में समूह ‘डी' नियुक्तियों से संबंधित है. उस समय लालू यादव संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में रेल मंत्री थे. ईडी ने पहले एक बयान में कहा था कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी के अनुसार अभ्यर्थियों को रेलवे में नौकरी के बदले में ‘‘रिश्वत के तौर पर जमीन हस्तांतरित करने'' के लिए कहा गया था.

मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सीबीआई की शिकायत पर आधारित है. एजेंसी के अनुसार, लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों- राबड़ी देवी, मीसा भारती और हेमा यादव ने अभ्यर्थियों के परिवारों से मामूली रकम पर जमीन हासिल कर ली थी.
ईडी ने कहा, ‘‘आरोपपत्र में नामजद एक अन्य आरोपी हृदयानंद चौधरी, राबड़ी देवी की गौशाला का पूर्व कर्मचारी है, जिसने एक अभ्यर्थी से संपत्ति अर्जित की थी और बाद में उसे हेमा यादव को हस्तांतरित कर दिया था.'' एजेंसी ने कहा कि ‘ए.के. इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड' और ‘ए.बी. एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड' जैसी फर्जी कंपनियां थीं, जिन्होंने प्रसाद के परिवार के सदस्यों के लिए अपराध की आय प्राप्त की. इसने कहा कि मुखौटे के तौर पर काम करने वाले लोगों द्वारा उक्त कंपनियों के नाम पर अचल संपत्तियां अर्जित की गईं. ईडी ने दावा किया कि बाद में प्रसाद के परिवार के सदस्यों को नाममात्र की राशि में हिस्सेदारी हस्तांतरित की गई.
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