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बिहार की राजनीति में क्या धर्म बन पाएगा मुद्दा, मिथिला के लिए BJP की प्लानिंग क्या है

बिहार में इस साल के अंत तक विधानसभा के चुनाव होने हैं. उससे पहले वहां का राजनीतिक वातावरण गरमाता जा रहा है. बीजेपी बिहार की राजनीति में सीता की जन्मभूमी को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है.

बिहार की राजनीति में क्या धर्म बन पाएगा मुद्दा, मिथिला के लिए BJP की प्लानिंग क्या है
नई दिल्ली:

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति गरमाने लगी है. राजनेता और राजनीतिक पार्टियां मुद्दे सेट करने में लगी हुई हैं. सियासत में राम मंदिर के बाद अब सीता मंदिर का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है. गुजरात के एक कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीते रविवार को कहा था कि हमने अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण कराया है, अब बिहार के सीतामढ़ी में एक भव्य सीता मंदिर बनाने का समय है. उन्होंने कहा था कि सीतामढ़ी में भव्य मां जानकी मंदिर बनकर रहेगा. उन्होंने कहा था कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले हम वहां डेरा डालेंगे, मैं मिथिला के लोगों का अपने साथ आने का आह्वान करता हूं. उनके इस बयान ने बिहार की राजनीति में हलचल तेज कर दी है. 

कहां है सीता माता का जन्म स्थान

दरअसल अमित शाह जिस सीता मंदिर की बात कर रहे थे वह मिथिला में आने वाले सीतामढ़ी जिले का एक मंदिर है. सीतामढ़ी शहर से पांच किलोमीटर दूर स्थित पुनौरा गांव में मां जानकी जन्मभूमि मंदिर है. इसे पुनौरा धाम के नाम से भी पुकारते हैं. ऐसी मान्यता है कि माता सीता का जन्म इसी स्थान पर हुआ था. पुनौरा धाम के जीर्णोद्धार और नवीनीकरण की एक परियोजना सितंबर 2023 में शुरू हुई थी. सरकार की योजना इस जगह को एक धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की थी. सितंबर 2023 में बिहार में नीतीश कुमार की जेडीयू और लालू यादव की आरजेडी के गठबंधन की सरकार थी. नीतीश कुमार ने जनवरी 2024 में आरजेडी से रिश्ता तोड़ लिया था. अब अमित शाह के बयान के बाद जेडीयू ने इस परियोजना के लिए और धन की मांग की है.

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अमित शाह के बयान पर राष्ट्रीय जनता दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा कि शाह के कैंप लगाने के लिए बिहार में कोई जगह नहीं है. आरजेडी को लगता है कि बीजेपी के इस प्रयास का उसे कोई चुनावी लाभ नहीं मिलने वाला है, क्योंकि बिहार में सांप्रदायिक राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है.

मिथिला में क्या कर रही है बीजेपी

वहीं बीजेपी सीतामढ़ी के सीता मंदिर को अयोध्या के राम मंदिर जैसा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है. उसकी नजर बिहार के मिथिला इलाके पर है. वह इस इलाके पर खास ध्यान दे रही है. इसे समझने के लिए पिछले दिनों हुआ नीतीश कुमार के कैबिनेट के विस्तार को देखना होगा. इस विस्तार में नीतीश कैबिनेट में बीजेपी कोटे के सात मंत्री शामिल किए गए थे, उन सात मंत्रियों में से तीन अकेले मिथिला क्षेत्र से आते हैं. इसके साथ ही नीतीश कैबिनेट में मिथिला क्षेत्र के मंत्रियों की संख्या नौ हो गई है. इनमें सबसे ज्यादा चार मंत्री दरभंगा से हैं, जिसे मिथिला की राजधानी माना जाता है. मिथिला में बीजेपी जीतती भी है, खासकर शहरी सीटों पर. ग्रामीण इलाकों पर आरजेडी और जेडीयू की पकड़ मजबूत है. इसे मजबूत पकड़ को तोड़ने की कोशिश बीजेपी कर रही है.  

राष्ट्रीय जनता दल की नेता ने मिथिला को अलग राज्य बनाने की मांग की है.

राष्ट्रीय जनता दल की नेता ने मिथिला को अलग राज्य बनाने की मांग की है.

मिथिला का इलाका राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के प्रभाव वाला इलाका है. अगर हम सीतामढ़ी की बात करें तो लोकसभा चुनाव में यह सीट जनता दल यूनाइटेड के खाते में गई थी. वहां से जेडीयू ने देवेश चंद्र ठाकुर को टिकट दिया था. उन्होंने आरजेडी के अर्जुन राय को 50 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था. वहीं अगर विधानसभा चुनाव की बात करें तो वहां भी एनडीए का पड़ला भारी है. सीतामढ़ी में विधानसभा की कुल छह सीटें आती हैं. इनमें से तीन सीटें बीजेपी और दो सीटें जेडीयू के पास हैं. वहीं केवल एक सीट पर आरजेडी का कब्जा है. वहीं लोकसभा चुनाव में एनडीए के उम्मीदवारों ने हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, उजियारपुर, मधुबनी, सीतामढ़ी जैसी कई सीटों पर जीत दर्ज की थी. लोकसभा चुनाव में पूरे बिहार में एनडीए ने 39 में से 30 सीटों पर अपना परचम लहराया था. 

मिथिला, मैथिली और मखाना

बीजेपी ने मिथिला को ध्यान में रखकर कई कदम उठाए हैं.पिछले साल नवंबर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के मैथिली संस्करण का विमोचन किया था. अटल बिहारी वाजपेयी की बीजेपी सरकार ने मैथिली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाया था.वहीं नरेंद्र मोदी की सरकार इस साल के बजट में मखाना बोर्ड के गठन की घोषणा की है. मखाना मिथिला की सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा हुआ है. बीजेपी की कोशिश अधिक से अधिक सीटें जीतकर अपना आधार बढ़ाने की है. इसलिए उसने मिथिला को नीतीश कैबिनेट में अधिक बर्थ भी मिथिला को ही दिया है. वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी इस इलाके में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए मिथिला को अलग राज्य बनाने की मांग कर रही है. उसका कहना है कि इसके बाद ही मिथिला इलाके का विकास हो पाएगा.

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