- लखीसराय जिले के खुरयारी गांव में भाजपा के पोलिंग एजेंट को बूथ पर बैठने से रोका गया था, जिससे विवाद शुरू हुआ
- डिप्टी CM सिन्हा विवादित बूथ पर पहुंचे तो स्थानीय ग्रामीणों ने सड़क की खराब स्थिति को लेकर उनका विरोध किया
- विजय सिन्हा ने राजद एमएलसी अजय सिंह पर बूथ कब्जाने और भय का माहौल बनाने का आरोप लगाया
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान लखीसराय जिले का सियासी पारा तब अपने चरम पर पहुंच गया, जब राजद एमएलसी अजय सिंह और उपमुख्यमंत्री सह भाजपा प्रत्याशी विजय सिन्हा आमने-सामने आ गए, जिससे राज्यभर में राजनीतिक हलचल मच गई.
झगड़े की इनसाइड स्टोरी
घटना की शुरुआत हलसी प्रखंड के खुरयारी गांव से हुई. रिपोर्ट्स के अनुसार, यहां भाजपा के पोलिंग एजेंट को बूथ पर बैठने नहीं दिया जा रहा था. सूचना मिलने पर लखीसराय के एसपी अजय कुमार ने मौके का निरीक्षण किया और सुरक्षा का आश्वासन दिया, लेकिन मामला शांत नहीं हुआ.

कुछ ही देर बाद स्थिति तब और गंभीर हो गई, जब उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा खुद विवादित बूथ पर पहुंचने की कोशिश करने लगे. स्थानीय ग्रामीणों ने उनका विरोध शुरू कर दिया. ग्रामीणों का आरोप था कि उनके गांव में वर्षों से सड़क की स्थिति बदहाल है और विकास की कोई योजना धरातल पर लागू नहीं हुई है.
विजय सिन्हा का आरोप, अजय सिंह का पलटवार
मामले की गंभीरता को देखते हुए, उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने इस घटना के लिए सीधे तौर पर राजद नेता अजय सिंह पर बूथ कब्जाने और भय का माहौल बनाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि अजय सिंह चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं.
इस आरोप के बाद, राजद एमएलसी अजय सिंह ने पलटवार करते हुए कहा, "विजय सिन्हा अब पूरी तरह बौखला गए हैं. जनता ने उन्हें नकार दिया है और उनकी विदाई तय है." उन्होंने आगे कहा कि हार के डर से इस तरह के झूठे आरोप लगाने वाले व्यक्ति की राजनीति समाप्ति की ओर है.

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल, आयोग ने मांगी रिपोर्ट
लखीसराय में दोनों नेताओं के बीच तीखी बहस का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए, चुनाव आयोग ने भी इस पूरे मामले पर रिपोर्ट तलब की है, वहीं पुलिस प्रशासन ने स्थिति पर कड़ी नजर बनाए रखी है.
आगे क्या?
लखीसराय का यह सियासी ड्रामा न केवल जिले की राजनीति में नई दरारें खोल गया है, बल्कि बिहार के चुनावी माहौल में भी नया तूफान खड़ा कर चुका है. अब देखना यह होगा कि जनता किसे सही ठहराती है. विकास के वादे करने वाले उम्मीदवार को या सवाल उठाने वाले विपक्षी नेता को. इस टकराव का अंतिम चुनावी परिणाम पर क्या असर पड़ेगा, यह जानने के लिए हमें इंतजार करना होगा.
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