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ग्राउंड रिपोर्ट: कैसे हुई दुलारचंद की हत्या? जानिए मोकामा में हुए बवाल की कहानी, NDTV की जुबानी

दुलारचंद की हत्या पर बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू है. इसके बावजूद कुछ लोग बंदूक और गोली लेकर कैसे घूम रहे हैं? प्रधानमंत्री 20 साल पहले की बात कर रहे हैं.

  • बिहार के मोकामा विधानसभा क्षेत्र में जनसुराज पार्टी समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या चुनाव प्रचार के दौरान हुई
  • हत्या के आरोप मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह के समर्थकों पर लगे हैं और राजनीतिक तनाव बढ़ा है
  • दुलारचंद यादव पर भी हत्या, रंगदारी और आर्म्स एक्ट समेत कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे
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मोकामा:

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार अभियान जोर-शोर से चल रहा है. इस बीच, पटना से सटे मोकामा में जन सुराज के एक समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या हो गई. विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले लालू यादव के करीबी रह चुके और जनसुराज समर्थक दुलारचंद यादव की मोकामा में हत्या ने बवाल मचा दिया है. बिहार के मोकामा विधानसभा क्षेत्र में जनसुराज पार्टी के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के समर्थन में प्रचार के दौरान दुलारचंद यादव की हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड को लेकर मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह के समर्थकों पर हत्या के आरोप लगे हैं. इसी हत्या को लेकर मोकामा विधानसभा क्षेत्र में जनसुराज पार्टी के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी ने एनडीटीवी को क्या कुछ बताया, जानिए-

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आवाज आई कि मार पीयूषवा के, ढेर नेता बनता है

जन सुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी ने बताया कि दुलारचंद चाचा गाड़ी में पीछे दाहिनी तरफ बैठे थे, उनका जब काफिला गुजरा तो उनसे गाली-गलौज की गई. इसी काफिले में सातवें और आठवें नंबर पर मेरी गाड़ी थी, जिसमें मैं बैठा था. वहीं से आवाज आई कि मार पीयूषवा के, ढेर नेता बनता है ये. बहुत विधायक बनता है. पीयूष प्रियदर्शी ने कहा कि संभवतय ये आवाज मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह की ही थी. उसके बाद वहां पर 15 से 20 लोग आ गए. इनमें 5 प्रावेट गनर और चार सरकारी गनर थे, इस तरह कुछ 9 गनर थे. साथ ही 15 लोग डंडा लेकर आए और उन्होंने हमारी गाड़ियों को तोड़ना शुरू कर दिया. इस पर हमने प्रतिकार किया.

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पैर में गोली मारी और गाड़ी चढ़ा दी...

पीयूष ने कहा कि पीछे गाड़ी में दुलारचंद चाचा बैठे थे, वहीं पर उनका कॉलर पकड़े और कुर्ता फाड़ दिया. तब तक हमारे साथ वाली सिक्योरिटी भी आ गई, जिन्होंने उन्हें न्यूट्रिलाइज किया. यहां पर कुछ नहीं हुआ, फिर आगे बढ़े और हमारे कार्यकर्ताओं को पीटने लगे. गाड़ियों के शीशे तोड़े, मारपीट की और कार्यकर्ताओं से भिड़ गए. हमारी गाड़ी आगे बढ़ गई थी, उसके बाद दोनों तरफ के लोगों को शांत कराने के लिए दुलारचंद की आगे आए, उसी दरम्यान समर्थकों ने पैर में गोली मारी और फिर उन पर गाड़ी चढ़ा दी. अनंत सिंह की गाड़ी आगे थी और हम उसे देख रहे थे. काफिले में शामिल लोगों ने बताया कि हम पर पत्थर बरसाए गए और पांच से छह राउंड फायरिंग हुई.

मोकामा में सामंतवादी ताकतों का खात्मा जरूरी

मोकामा से जन सुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी ने कहा कि इस मामले में प्रशांत किशोर भी हमारे साथ है और हमें इस मामले में हर हाल में न्याय चाहिए, दुलारचंद जी बड़े नेता थे. ये बहुत गलत हुआ वो हमारे पिता समान थे. सामंतवादी ताकतें मोकामा में बहुत हावी हो गई है इसलिए इनका खात्मा होना भी बेहद जरूरी है. अपनी ये बात कहते हुए पीयूष प्रियदर्शी भावुक हो गए. दुलारचंद जी से भले ही मेरा खून का रिश्ता नहीं था लेकिन वो मेरे पिता जैसे ही थे. वो मुझे बेहद प्रेम करते थे. बिहार में चुनाव के बीच इस सनसनीखेज मर्डर से क्या मोकामा में चुनावी मिजाज बदलेगा इसको लेकर भी काफी बात हो रही है.

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बाहुबली का उदय: टाल क्षेत्र का 'दबंग'

दुलारचंद यादव का शुरुआती जीवन और पहचान मोकामा के टाल क्षेत्र में उनकी दबंगई और आपराधिक पृष्ठभूमि से जुड़ी थी. 80 और 90 के दशक में, जब बिहार में बाहुबलियों का बोलबाला था, दुलारचंद यादव ने इस क्षेत्र में अपना एकछत्र राज स्थापित किया. उन पर हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, रंगदारी और आर्म्स एक्ट सहित कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे. 1991 के कांग्रेस नेता सीताराम सिंह हत्याकांड में भी उनका नाम आया, जिसने उनकी ख्याति को और बढ़ा दिया. अपनी इस "दबंग" छवि के बावजूद, या शायद इसी वजह से, वे अपने समाज, खासकर यादव समुदाय के बीच एक मजबूत आधार बनाने में सफल रहे, जहां उन्हें एक संरक्षक और "न्याय दिलाने वाले" व्यक्ति के रूप में देखा जाता था.

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