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बिहार चुनाव परिणाम: कोढ़ा में भाजपा ने दोहराया 2020 का इतिहास, कविता देवी ने कांग्रेस की पूनम कुमारी को हराया

कोढ़ा विधानसभा सीट पर भाजपा की कविता देवी ने कांग्रेस की पूनम कुमारी को 22,257 मतों से हराया. कविता देवी पर 1,23,495 मतदाताओं ने अपना भरोसा जताया तो कांग्रेस उम्‍मीदवार को 1,01,238 मतों से संतोष करना पड़ा.

बिहार चुनाव परिणाम: कोढ़ा में भाजपा ने दोहराया 2020 का इतिहास, कविता देवी ने कांग्रेस की पूनम कुमारी को हराया
  • कोढ़ा विधानसभा सीट भाजपा के खाते में गई है. पार्टी की कविता देवी ने कांग्रेस की पूनम कुमारी को शिकस्‍त दी है.
  • कविता देवी पर 123495 मतदाताओं ने अपना भरोसा जताया तो कांग्रेस उम्‍मीदवार को 1,01, 238 मतों से संतोष करना पड़ा.
  • कोढ़ा के पहले विधायक पूर्व CM भोला पासवान शास्त्री थे. वर्ष 2000 में भाजपा ने यहां पहली बार जीत दर्ज की.
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कटिहार:

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम आ गए हैं. इस चुनाव में कोढ़ा विधानसभा सीट भाजपा के खाते में गई है. पार्टी की कविता देवी ने कांग्रेस की पूनम कुमारी को शिकस्‍त दी है. कविता देवी ने पूनम कुमारी को 22257 मतों से हराया. कविता देवी पर 123495 मतदाताओं ने अपना भरोसा जताया तो कांग्रेस उम्‍मीदवार को 1,01, 238 मतों से संतोष करना पड़ा. इस चुनाव में जन सुराज पार्टी के उम्‍मीदवार निर्मल कुमार राज तीसरे स्‍थान पर रहे. उन्‍हें 4028 मत मिले. बिहार चुनाव के दूसरे चरण में कोढ़ा सीट पर जबरदस्‍त वोटिंग दर्ज की गई थी और यहां पर 79.67 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. 

कोढ़ा विधानसभा में इससे पहले तक 14 बार चुनाव हुए थे, जिनमें जिनमें कांग्रेस ने छह बार, तीन बार भाजपा और दो बार जनता दल ने जीत दर्ज की है. लोकतांत्रिक कांग्रेस, जनता पार्टी और जेडीयू को एक-एक बार सफलता मिली है. यह क्षेत्र कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, लेकिन पिछले दो दशकों में भाजपा ने यहां अपनी पकड़ मजबूत की है. खास तौर पर महेश पासवान और उनकी पत्नी कविता देवी के जरिए भाजपा ने इस क्षेत्र में प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराई है.

भोला पासवान शास्‍त्री का निर्वाचन क्षेत्र रहा है कोढ़ा 

राजनीतिक इतिहास की बात करें तो कोढ़ा के पहले विधायक पहले अनुसूचित जाति के मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री थे. उन्होंने 1967 और 1972 में कांग्रेस से, जबकि 1969 में लोकतांत्रिक कांग्रेस से जीत हासिल की थी. इसके बाद 1977 में जनता पार्टी से सीता राम विधायक बने. 1980 में कांग्रेस की वापसी हुई और विश्वनाथ ऋषि ने जीत दर्ज की. 1990 में सीता राम ने जनता दल के टिकट पर जीत हासिल की. वर्ष 2000 में भाजपा ने इस सीट पर पहली बार जीत दर्ज की, जब महेश पासवान विधायक बने.

2005 में हुए दो विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की सुनीता देवी ने लगातार दोनों बार जीत दर्ज कर भाजपा की चुनौती को कमजोर किया. 2010 में फिर भाजपा के महेश पासवान ने वापसी की. 2015 में कांग्रेस की पूनम पासवान ने जीत हासिल कर सीट पर फिर से कब्जा जमाया. लेकिन, 2020 के चुनाव में भाजपा की कविता देवी ने कांग्रेस को पीछे छोड़ते हुए जीत दर्ज की.

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