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2014 से अब तक BJP का विजय रथ... किन 30+ राज्यों में खिला 'कमल' और क्या रही पार्टी की रणनीति; जानिए सबकुछ

साल 2014 से लेकर अब तक, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 30 से अधिक विधानसभा चुनावों में सरकार का गठन किया है, जो देश में उसके बढ़ते राजनीतिक प्रभुत्व को दर्शाता है. इन जीतों में कई राज्यों में उसे अकेले पूर्ण बहुमत मिला, जबकि शेष राज्यों में उसने गठबंधन के माध्यम से सत्ता हासिल की.

2014 से अब तक BJP का विजय रथ... किन 30+ राज्यों में खिला 'कमल' और क्या रही पार्टी की रणनीति; जानिए सबकुछ
  • 2014 से 2025 तक बीजेपी ने 30 से अधिक विधानसभा चुनावों में सरकार बनाई और कई बार पूर्ण बहुमत हासिल किया है.
  • बीजेपी की जीत के पीछे मोदी की लोकप्रियता, संगठन की मजबूती, वेलफेयर स्कीम और कमजोर विपक्ष प्रमुख कारण हैं.
  • पार्टी चुनावों में उज्ज्वला, आयुष्मान भारत और फ्री राशन जैसी योजनाओं को प्रचार का मुख्य आधार बनाती है.
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नई दिल्ली:

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है, और चुनावी सरगर्मियाँ अपने चरम पर हैं. बीजेपी (BJP) के शीर्ष नेता लगातार चुनावी रैलियों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. इन अभियानों में, "हमने क्या किया" और "वो क्या करेंगे" जैसे नारों के साथ उपलब्धियों, वादों और विरोधी पर हमलों की जंग छिड़ी हुई है.

इस चुनावी शोरगुल से इतर, यह जानना महत्वपूर्ण है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 2014 के बाद राष्ट्रीय स्तर पर और विभिन्न राज्यों में लगातार जीत कैसे हासिल की है. बिहार जैसे अहम राज्य में जीत सुनिश्चित करने के लिए बीजेपी किन विशिष्ट रणनीतियों पर भरोसा करती है और कौन से प्रमुख कारक उसकी सफलता में निर्णायक भूमिका निभाते हैं, आइए इस पर विस्तार से नज़र डालते हैं.

2014 से 2025 तक बीजेपी की विधानसभा चुनाव जीतें

2014 से अब तक बीजेपी ने 30+ विधानसभा चुनावों में सरकार बनाई है, जिनमें से कई में पूर्ण बहुमत अकेले मिला तो कई में गठबंधन से.

2014

•  हरियाणा: 47/90 सीटें, 33.2% वोट। अकेले बहुमत। जीत का कारण- कांग्रेस की भ्रष्टाचार-विरोधी लहर, मोदी लहर। 

•  महाराष्ट्र: 122/288 सीटें, 27.8% वोट। शिवसेना के साथ गठबंधन। जीत का कारण- एंटी-इनकंबेंसी कांग्रेस-NCP पर।

2016

•  असम: 60/126 सीटें, 29.5% वोट। AGP-UPPL के साथ. जीत का कारण-कांग्रेस की लंबी सत्ता से नाराजगी, विकास वादे.

2017 

•  गुजरात: 99/182 सीटें, 49.1% वोट. अकेले. जीत का कारण-मोदी-शाह की होमग्राउंड, हिंदुत्व+विकास

•  हिमाचल प्रदेश: 44/68 सीटें, 48.8% वोट. अकेले. जीत का कारण- कांग्रेस की अस्थिर सरकार

•  उत्तर प्रदेश: 312/403 सीटें, 39.7% वोट. अपना दल के साथ. जीत का कारण-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि , राम मंदिर मुद्दा, PDA (पिछड़ा-दलित-अल्प) फोकस.

•  उत्तराखंड: 57/70 सीटें, 46.5% वोट. अकेले। जीत का कारण-कांग्रेस की आंतरिक कलह.

2018

•  त्रिपुरा: 36/60 सीटें, 43.6% वोट. अकेले। जीत का कारण-CPI(M) की 25 साल की सत्ता से विद्रोह, हिमंता बिस्वा सरमा की रणनीति.

2019

•  अरुणाचल प्रदेश: 41/60 सीटें, 50.9% वोट. अकेले.

•  हरियाणा: 40/90 सीटें, 36.5% वोट. JJP के साथ। जीत का कारण- जाट आरक्षण मुद्दा उलटा पड़ा.

2021

•  असम: 60/126 सीटें, 33.2% वोट. गठबंधन. जीत का कारण- हिमंता की लोकप्रियता, बाढ़ राहत

2022

•  गोवा: 20/40 सीटें, 33.3% वोट. MGP के साथ.

•  गुजरात: 156/182 सीटें, 52.5% वोट. अकेले (रिकॉर्ड)। जीत का कारण- मोदी फैक्टर.

•  मणिपुर: 32/60 सीटें, 37.8% वोट. अकेले.

•  उत्तर प्रदेश: 255/403 सीटें, 41.3% वोट. गठबंधन. जीत का कारण- फ्री राशन, लैपटॉप स्कीम, कानून-व्यवस्था.

•  उत्तराखंड: 47/70 सीटें, 44.3% वोट. अकेले.

2023 हैट्रिक

•  छत्तीसगढ़: 54/90 सीटें, 46.3% वोट. अकेले. जीत का कारण- भूपेश बघेल पर भ्रष्टाचार के आरोप.

•  मध्य प्रदेश: 163/230 सीटें, 48.6% वोट. अकेले। जीत का कारण- शिवराज सिंह की 20 साल पॉपुलर स्कीम्स, महिला वोट

•  राजस्थान: 115/200 सीटें, 41.7% वोट। अकेले. जीत का कारण-गहलोत सरकार की आंतरिक फूट.

•  त्रिपुरा: 32/60 सीटें, 39.0% वोट..अकेले.

2024

•  अरुणाचल प्रदेश: 46/60 सीटें, 54.6% वोट. अकेले.

•  हरियाणा: 48/90 सीटें, 40.0% वोट. अकेले. जीत का कारण- खट्टर की विकास योजनाएं.

•  महाराष्ट्र: 132/288 सीटें, 26.3% वोट. महायुति (शिवसेना-NCP) के साथ.

•  ओडिशा: 78/147 सीटें, 40.1% वोट. अकेले (पहली बार). जीत का कारण- BJD की अहंकारी छवि.

2025

•  दिल्ली: 48/70 सीटें, 47.2% वोट. अकेले (27 साल बाद). जीत का कारण- AAP की नाकामी (यमुना सफाई, पानी, प्रदूषण, भ्रष्टाचार-शराब घोटाला), मोदी की केंद्रीय योजनाएं, महिला सशक्तिकरण.    

सामान्य कारण जीत के पीछे:

1.  मोदी जादू: विकास (रोड, गैस, बिजली), राष्ट्रवाद (राम मंदिर 2024).

2.  संगठन शक्ति: RSS, लाखों कार्यकर्ता.

3.  वेलफेयर स्कीम: फ्री राशन (80 करोड़), लडकी बहिन, PMAY.

4.  विपक्ष कमजोर: कांग्रेस की कमजोरी, क्षेत्रीय दलों की हार.

5.  एंटी-इनकंबेंसी + हिंदुत्व.

बीजेपी के योजनाएँ जिनपर वो चुनावों में उतरती है - 

1-उज्ज्वला योजना 

हरियाणा में ये योजना मुफ्त गैस सिलेंडर के नाम से चली और इस योजना के तहत 1.2 करोड़ नए कनेक्शन दिए गए . 

2-आयुष्मान भारत योजना 

राज्यों में योजना लागू हुई और आयुष्मान भारत + राज्यों के अपने हेल्थ स्कीम योजन का लाभ भी लोगों को मिला , इसके तहत 50 करोड़ कार्ड बने और गरीबों के वोट बीजेपी के पक्ष में ट्रास्फर हुए . 

इसके पीछे की रणनीति 

3- DBT (Direct Benefit Transfer): 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन “मोदी की गारंटी”. लोकल लीडर क्रेडिट: “मोदीजी ने दिया, CM ने पहुंचाया”.

4-हिंदुत्व + सॉफ्ट हिंदुत्व (राम मंदिर, UCC, CAA)

“भावनात्मक जुड़ाव + राष्ट्रवाद”

राम मंदिर (2024 उद्घाटन) → गुजरात 156 सीटों पर इसका प्रभाव रहा साथ ही यूपी की  255 सीटें इससे प्रभावित रहीं जो बीजेपी के पक्ष में हो गई .

•  CAA-NRC: असम, त्रिपुरा में बंगाली हिंदू वोट इससे प्रभावित हुए . बाहरी बनाम भीतरी की राजनीति शुरू हुई जिसका सीधा फ़ायदा बीजेपी को मिला . 

•  UCC (Uniform Civil Code): उत्तराखंड में 2022 में कानून बना और  में लागू हुआ . आरोप लगा कि एक समुदाय विशेष को टारगेट करने के लिए इसे लाया गया लेकिन दूसरी तरफ़ हिंदू पोलराइज़ हुआ और बीजेपी के पक्ष में गया . 

•  सॉफ्ट हिंदुत्व को बढ़ावा : योग, आयुर्वेद, गौ-पालन इस तमाम मुद्दों को बढ़ावा दे कर , इनको सरकारी योजनाओं में शामिल कर के बीजेपी ने सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेला जिससे हिंदू वोटर्स बीजेपी की तरफ़ ख़ास कर के मध्यवर्गीय आकर्षित हुए . 

बीजेपी की चुनावों में जाने से पहले की तैयारी -

1-डेटा एनालिटिक्स + AI + सोशल मीडिया वार रूम

बीजेपी ने टूल्स क्रिएट किए और सोशल मीडिया के ज़रिए घर घर तक पहुंचीं .

2-  सेगमेंटेशन: महिला, युवा, किसान इन सबको अलग-अलग मैसेज भेजे गए . सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई . 

3- फेक न्यूज़ काउंटर: 500+ IT सेल की स्थापना हुई जिसमे 24 घंटे मॉनिटरिंग शुरू की . जितने भी फेक न्यूज़ थे उनकी काउंटर किया गया . 

 उदाहरण के तौर पर दिल्ली 2025 में “यमुना सफाई फेल” कैंपेन चलता गया जी लगभग  एक करोड़ से ज़्यादा लोगों ने देखा और उसका प्रभाव चुनाव पर पड़ा .

दिल्ली में शराब घोटाला इसका कैंपेन सोशल मीडिया पर चलाया गया जिसका सीधा असर चुनाव पर पड़ा . केजरीवाल की छवि ख़राब हुई और चुनाव हार गए . 

4-गठबंधन प्रबंधन (NDA 2.0 – लचीला, लेकिन मजबूत)

गठबंधन में शामिल पार्टियाँ यह तय करती हैं कि कौन सी सीट पर कौन लड़ेगा.

•यह तय करने के लिए पिछले चुनावों के आँकड़े, स्थानीय ताकत, और जातीय समीकरण देखे जाते हैं.

•आम तौर पर BJP ज़्यादा सीटें अपने पास रखती है (क्योंकि उसका वोट शेयर ज़्यादा होता है), लेकिन सहयोगी दलों को भी सम्मानजनक हिस्सा देती है.

सीट शेयरिंग फॉर्मूला के तहत बीजेपी 60–70%, सहयोगी 30–40%.

•उदाहरण के तौर पर 

•बिहार (2019 लोकसभा): BJP ने 17 सीटें, JDU ने 17, LJP ने 6 लड़ीं.

•महाराष्ट्र (2019): BJP ने शिवसेना के साथ 164-124 का फॉर्मूला अपनाया.

5-मुख्यमंत्री चयन + चेहरा प्रोजेक्शन

BJP की रणनीति दो तरह की होती है, यह राज्य की स्थिति और नेतृत्व की लोकप्रियता पर निर्भर करता है .

•बीजेपी जहाँ मजबूत नेता होता है — वहाँ CM फेस घोषित करती है

 अगर किसी राज्य में पार्टी के पास एक लोकप्रिय और स्वीकार्य नेता होता है,तो BJP उसे “मुख्यमंत्री चेहरा” (CM face) बनाकर चुनाव लड़ती है.

उदाहरण के तौर पर 

•उत्तर प्रदेश – योगी आदित्यनाथ

•मध्य प्रदेश – शिवराज सिंह चौहान (2023 तक)

•गुजरात – भूपेंद्र पटेल

•असम – हिमंत बिस्वा सरमा

इसमें जनता सीधे उस नेता को “मुख्यमंत्री उम्मीदवार” के रूप में देखती है,और प्रचार उसी चेहरे के इर्द-गिर्द केंद्रित होता है.

•जहाँ आंतरिक गुटबाज़ी या स्थानीय चेहरा न हो वहाँ चेहरा नहीं घोषित करती-

कुछ राज्यों में BJP चुनाव “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर” लड़ती है,

यानी “डबल इंजन सरकार” या “मोदी का नेतृत्व, स्थानीय CM बाद में तय होगा” का संदेश देती है.

उदाहरण के तौर पर 

•हरियाणा (2014) – चुनाव के बाद मनोहर लाल खट्टर को CM बनाया गया.

•महाराष्ट्र (2014) – पहले CM घोषित नहीं किया गया था, बाद में देवेंद्र फडणवीस बने.

•उत्तरप्रदेश(2017)-पहले सीएम घोषित नहीं किया गया था, बाद में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने .

•कर्नाटक (2018) – मोदी और पार्टी के नाम पर चुनाव लड़ा गया.

•राजस्थान (2023) – CM फेस घोषित नहीं किया गया था; जीत के बाद तय किया गया.

इसका फायदा ये होता है कि पार्टी “मोदी ब्रांड” पर चुनाव लड़ सकती है और स्थानीय स्तर पर असहमति से बच सकती है.

BJP चुनावों में अक्सर “मोदी नेतृत्व” + “स्थानीय संगठन की ताकत” का कॉम्बिनेशन रखती है.जहाँ लोकप्रिय नेता हो, वहाँ वही चेहरा आगे रखती है.जहाँ न हो, वहाँ “टीम मोदी” या “डबल इंजन सरकार” के नारे पर चुनाव लड़ा जाता है और जीत के बाद केंद्रीय नेतृत्व मुख्यमंत्री तय करता है.

6-एंटी-इनकंबेंसी मैनेजमेंट + नया नैरेटिव

“पुरानी सरकार की नाकामी = नई सरकार की जीत”

बीजेपी पुरानी सरकार की नाकामियों को जमकर उजागर करती है जिससे जिस राज्य में बीजेपी की सरकार नहीं है वहाँ भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करती एजेंसियां उसकी जांच करती हैं और तथ्यों के साथ उनपर कार्यवाही होती है . विकास और वादा ख़िलाफ़ी पर विपक्ष को घेरने की रणनीति के साथ बीजेपी काम करती है , चुनाव में जो वादे किए गए , घोषणा पत्र में जो वादे किए गए उसपर सरकार को घेरती है .

•BJP अपने प्रचार में “नारी सुरक्षा, नारी सम्मान, नारी स्वावलंबन” जैसे नारे पर ज़ोर देती है.

•प्रधानमंत्री मोदी और पार्टी नेताओं के भाषणों में “महिलाओं की भागीदारी” और “सुरक्षा” हमेशा मुख्य विषय होते हैं.

•महिला मोर्चा भी इस पर ज़मीनी स्तर पर काम करती है  जैसे आत्मरक्षा प्रशिक्षण, कानूनी सहायता शिविर, और शिकायत निवारण शिविर.

7- बीजेपी की “8S रणनीति”

  • Structure 
  • Social engineering 
  • Schemes 
  • Symbolism 
  • Surveillance
  • Strategy 
  • Star ( Narendra Modi ) 
  • Story ( Narrative ) 

अमित शाह ने कहा था, “बीजेपी नहीं जीतती, विपक्ष हारता है – क्योंकि बीजेपी 24×7 काम करती है.”

मजबूत नेतृत्व, मोदी मैजिक,संगठन की ताक़त, आरएसएस का साथ , लचीली रणनीति के तहत चुनाव में हर बार उतरती है और उम्मीद से अलग परिणाम आते हैं. बिहार चुनाव में भी बीजेपी अपनी इसी रणनीति के साथ उतरी है. नीतीश कुमार बिहार में सर्वमान्य नेता है और  बीजेपी के मजबूत मुख्यमंत्री चेहरा है. मोदी का केंद्रीय नेतृत्व और विकास एजेंडा, महिलाओं की सुरक्षा और मजबूत कानून व्यवस्था, युवाओं को रोजगार, गरीबों को अनाज , बिहार में इंडस्ट्री और रोजगार जैसे मुद्दे हैं जो बीजेपी की रणनीति के तहत ही है जिससे बीजेपी के चुनाव परिणामों में कई बार उछाल देखने को मिला है. 

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