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सीमांचल में AIMIM और जन सुराज वोटकटवा या गेमचेंजर? महागठबंधन की बढ़ी टेंशन

सीमांचल की 24 सीटों ने कभी एनडीए तो कभी महागठबंधन को गले लगाने से गुरेज नहीं किया है तो एआईएमआईएम को दमदार उपस्थिति दर्ज कराने का मौका भी दिया है. इस बार जनसुराज पूरे मुकाबले को दिलचस्प बनाने के लिए मैदान में कूद पड़ी है.

सीमांचल में AIMIM और जन सुराज वोटकटवा या गेमचेंजर? महागठबंधन की बढ़ी टेंशन
  • बिहार चुनाव में सीमांचल क्षेत्र में एआईएमआईएम और जनसुराज के साथ चतुष्कोणीय मुकाबले के कयास लग रहे हैं.
  • एआईएमआईएम ने अब तक जिन 32 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा किया है, उसमें से 14 सीटें सीमांचल की हैं.
  • जनसुराज ने कुल 117 प्रत्याशियों की घोषणा हो चुकी है, इसमें से अब तक सीमांचल की 15 सीटें शामिल हैं.
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पूर्णिया:

बिहार विधानसभा चुनाव में सीमांचल चतुष्कोणीय मुकाबले का गवाह बनेगा या फिर दो ध्रुवों के बीच ही सीधी टक्कर होगी. यह बड़ा सवाल है. साथ ही इस मुकाबले में एक ओर असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम होगी तो दूसरी ओर जनसुराज पूरे मुकाबले को दिलचस्प बनाने के लिए मैदान में कूद पड़ी है. ऐसे में किसका खेल बिगड़ेगा? इस तरह की राजनीतिक चर्चा सीमांचल के चौक-चौराहे पर आम है और कयासों का दौर भी जारी है. सभी के अपने-अपने तर्क और अपने-अपने दावे हैं, मानो सीमांचल कोई भौगौलिक आकृति नहीं बल्कि राजनीति की प्रयोगशाला हो. 

प्रयोगशाला इसलिए भी कि सीमांचल की 24 सीटों ने कभी एनडीए तो कभी महागठबंधन को गले लगाने से गुरेज नहीं किया है. यहां पहली बार एआईएमआईएम को दमदार उपस्थिति दर्ज कराने का मौका भी दिया है. वहीं वक्फ बिल, एसआईआर और घुसपैठिए के शोर के बीच सीमांचल का मतदाता किसे खारिज करता है और किसे ताज पहनाता है, यह 14 नवम्‍बर को को ही तय होगा लेकिन एक बात जो तय है कि सत्ता का राजपथ सीमांचल से होकर ही पटना तक पहुंचेगा. 

सीमांचल की 14 सीटों पर AIMIM लड़ेगी चुनाव

एआईएमआईएम ने अब तक जिन 32 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा किया है, उसमें से 14 सीटें सीमांचल की हैं. इसमें किशनगंज जिले की किशनगंज, कोचाधामन, बहादुरगंज और ठाकुरगंज शामिल है. वहीं, पूर्णिया जिले की अमौर, बायसी और कस्‍बा तो अररिया जिले की जोकीहाट और अररिया, कटिहार की बलिरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी, बरारी और कदवा शामिल है. पार्टी ने सूबे की 100 सीटों पर लड़ने का ऐलान किया है. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि सीमांचल की शेष 10 सीटों में से कुछ और सीटों पर भी पार्टी अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर सकती है. एआईएमआईएम की नजर मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर है. सूबे में कम से कम 47 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में है. एक अनुमान के अनुसार, इसमें 12 सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 50 फीसदी, 07 सीटों पर करीब 30 फीसदी और 28 सीटों पर 20-25 फीसदी है. 

2020 में AIMIM को मिली थी 5 सीटों पर जीत

वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में सीमांचल में एआईएमआईएम को अप्रत्याशित सफलता हासिल हुई थी. पार्टी ने सूबे में कुल 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से सीमांचल की 14 सीटें शामिल थी. कुल 20 उम्मीदवारों में 16 मुस्लिम और 04 प्रत्याशी गैर-मुस्लिम थे. सीमांचल की 14 सीटों में से 05 सीटों पर एआईएमआईएम ने जीत दर्ज की थी, जिसमें से अमौर से मो अख्तरुल ईमान, बहादुरगंज से मो अंजार नईमी, बायसी से मो रूकनुद्दीन, कोचाधामन से मो इजहार असर्फी और जोकीहाट से मो शाहनवाज शामिल थे. एआईएमआईएम की इस अप्रत्याशित सफलता का साइड इफेक्‍ट यह रहा कि महागठबंधन सरकार बनाने से दूर रह गया. हालांकि वर्ष 2022 में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मो अख्तरुल ईमान को छोड़कर शेष चार विधायकों ने पाला बदलकर आरजेडी का दामन थाम लिया था. 

सीमांचल की 15 सीटों पर जनसुराज प्रत्याशी घोषित

जनसुराज ने सोमवार को पार्टी प्रत्याशियों की दूसरी सूची जारी करते हुए कुल 66 प्रत्याशियों की नामों की घोषणा की है. इस प्रकार कुल 117 प्रत्याशियों की घोषणा हो चुकी है, इसमें से अब तक सीमांचल की 15 सीटें शामिल हैं. इन सीटों में सिकटी, कोचाधामन, अमौर,बायसी, प्राणपुर, कस्‍बा, बनमनखी, रुपौली, कटिहार, कदवा, बलरामपुर, मनिहारी, कोढ़ा, नरपतगंज और ठाकुरगंज शामिल है. जनसुराज सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है तो उसके अनुसार, अभी सीमांचल को 9 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा शेष है. इन सीटों में पूर्णिया सदर, धमदाहा, किशनगंज, अररिया, जोकीहाट जैसी हॉट सीट भी शामिल है. 

AIMIM दोहराएगा इतिहास या जनसुराज गेमचेंजर?

राजनीतिक गलियारे में यह सवाल आम है कि क्या ओवैसी का जादू एक बार फिर सीमांचल में चल पाएगा या फिर महागठबंधन का खेल बिगाड़ने में कामयाब होगा? क्योंकि राजद और कांग्रेस एआईएमआईएम को बीजेपी की बी टीम बताती रही है.  एआईएमआईएम ने उन्हीं सीटों को चुना है, जहां अल्पसंख्यकों की उपस्थिति निर्णायक है तो निश्चित रूप से वह महागठबंधन के लिए सिरदर्द साबित हो सकती है. संभावना इस बात की अधिक है कि एआईएमआईएम सीमांचल में मुस्लिम प्रत्याशियों पर ही दांव लगाएगी क्योंकि वर्ष 2020 में उन्होंने जब गैर-मुस्लिम प्रत्याशियों को आजमाया था तो नतीजा सिफर ही रहा था. 

दूसरी ओर, जनसुराज प्रत्याशियों की सूची में अतिपछड़ों और मुसलमानों को प्राथमिकता दे रही है, जिन 15 प्रत्याशियों की घोषणा हुई है, उसमें केवल मुसलमान, अतिपिछड़ा और ओबीसी को जगह मिली है. जाहिर है कि जनसुराज के प्रत्याशियों से सबसे अधिक नुकसान जेडीयू और राजद को उठाना पड़ सकता है. इन 15 सीटों में केवल बनमनखी और नरपतगंज ऐसी सीटें हैं, जहां भाजपा का भी खेल खराब हो सकता है. देखना होगा कि सीमांचल में जनसुराज वोट कटवा बनकर रह जाता है या गेमचेंजर साबित होता है. 

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