
- बिहार में कुल मतदाता संख्या 7.41 करोड़ है, जिनमें पुरुष मतदाता तीन करोड़ नब्बे लाख से अधिक हैं.
- महिला मतदाताओं की संख्या तीन करोड़ पैंतालीस लाख के करीब है, जो पुरुषों के लगभग बराबर है.
- नीतीश कुमार ने शराब पर प्रतिबंध और महिलाओं के लिए योजनाओं से चुनाव में महत्वपूर्ण बढ़त हासिल की है.
बिहार चुनाव की रणभेरी बजने वाली है. सभी दलों ने गुणा-गणित बना लिया है. इसी के अनुसार, बिहार में चुनाव की रैलियां होंगी और इसी के अनुसार सभी नेता अपने-भाषण देंगे. मुद्दे वही होंगे, जिन पर सबसे ज्यादा फोकस होगा. सर के बाद बिहार में कुल वोटर 7.41 करोड़ हैं. इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 3 करोड़ 92 लाख 7 हजार 804 है तो महिला मतदाताओं की संख्या 3 करोड़ 49 लाख 82 हजार 828 है. साफ है कि महिला मतदाताओं की संख्या कुछ लाख ही पुरुषों से कम है. आमतौर पर माना जाता है कि यूथ डिसाइड करता है कि इस बार का चुनाव कौन जीतेगा. मगर 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से देखा जा रहा है कि महिला मतदाता एकतरफा वोटिंग कर चुनाव का रुख मोड़ दे रही हैं. साफ है कि युवाओं पर महिला वोटर भारी पड़ रही हैं. यही कारण है कि सभी दल महिलाओं को लेकर खास फोकस कर रहे हैं.
- बिहार में कुल वोटर: 7.41 करोड़
- कुल मतदाता: 7 करोड़ 41 लाख 92 हजार 357
- पुरुष मतदाता: 3 करोड़ 92 लाख 7 हजार 804
- महिला मतदाता: 3 करोड़ 49 लाख 82 हजार 828
- 85 वर्ष से ऊपर के वोटर: 4 लाख तीन हजार 985
- 18 से 19 साल के नए वोटर: 14 लाख 1 हजार 50
शराब पर लगाम नीतीश की ताकत
नीतीश कुमार ने महिलाओं का दिल शराब पर लगाम लगाकर जीत लिया है. साथ ही स्कूल-कॉलेज जाने वाली बच्चियों के लिए भी कई तरह की योजनाएं चला रहे हैं. चुनाव के पहले ही कई नई घोषणाएं भी हो चुकी हैं. इस तरह से एनडीए ने इस मामले में लीड ले रखी है. हालांकि, घोषणाओं के मामले में महागठबंधन और प्रशांत किशोर भी पीछे नहीं हैं. मगर एनडीए की तरफ से योजनाओं को लागू कर देने से पलड़ा भारी पड़ रहा है.
बेरोजगारी क्यों बन नहीं पा रही मुद्दा
युवाओं को सबसे ज्यादा जरूरत रोजगार की होती है. ये हर चुनाव में मुद्दा तो बनता है, लेकिन सिर्फ इसी मु्द्दे पर चुनाव की हार-जीत तय नहीं होती. बिहार में तो ये और भी मुश्किल है. बिहार सरकार ने काफी संख्या में सरकारी नौकरियां भरी हैं. इसका क्रेडिट नीतीश कुमार और तेजस्वी दोनों लेते हैं. अब सभी को पता है कि सरकारी नौकरी की गुंजाइश बिहार सरकार के पास बहुत ज्यादा बची नहीं है. इसीलिए प्रशांत किशोर समेत सभी दल प्राइवेट नौकरियों की बात करने लगे हैं.
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विकास कार्यो के जरिए दूर की जा रही नाराजगी
बिहार चुनाव से पहले राज्य सरकार एक के बाद एक विकास कार्यों को पूरा कर रही है. आज ही पटना में मेट्रो का उद्घाटन है. इसके जरिए सरकार ये मैसेज देने की कोशिश कर रही है कि वो हर काम को तरजीह दे रही है और धीरे-धीरे सारे काम होंगे. मगर तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर इसी पर चोट कर रहे हैं कि बिहार का विकास धीमी गति से हो रहा है. अब ये जनता 2025 बिहार विधानसभा चुनाव में तय करेगी कि वो किसकी बात और काम पर विश्वास करती है.
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