- बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 121 सीटों पर बंपर वोटिंग हुई
- 2020 में जिन 167 सीटों पर महिलाओं का मतदान प्रतिशत ज्यादा रहा था उनमें से 99 NDA ने जीती थीं
- चुनावी एक्सपर्ट्स का मानना है कि नीतीश की 10 हजार वाली स्कीम ने NDA की कोर महिला वोटरों में जोश भरा है
बिहार में पहले चरण की 121 सीटों पर जिस तरह से बंपर वोटिंग हुई है, उससे कई समीकरण बन और बिगड़ सकते हैं. 2020 की तुलना में इस बार वोटरों में जबर्दस्त उत्साह देखने को मिला है. शाम पांच बजे तक 60.1 पर्सेंट वोटिंग हुई है. 2020 से तुलना करें तो तब इन सीटों पर पांच बजे तक 51.1 पर्सेंट ही वोट गिरे थे. इस बार मतदान प्रतिशत 8.3 पर्सेंट बढ़ गया है.. अभी यह आकंड़ा और बढ़ेगा. वोटरों का यह उत्साह सुबह से ही देखा जा रहा था. दोपहर 1 बजे तक 42.3 पर्सेंट मतदान हुआ, तो दोपहर 3 बजे तक यह 53.8% हो गया था. बता दें कि बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में फाइनल मतदान प्रतिशत 55.89 प्रतिशत रहा था. (121 सीटों पर कहां कितनी वोटिंग, यहां देखें ) इस बंपर वोटिंग की वजह क्या है और यह किसके लिए खुशखबरी लेकर आ रहा है? आमतौर पर ज्यादा वोटिंग का मतलब सत्ता विरोधी लहर से जोड़ा जाता रहा है, लेकिन हर बार नहीं. इस बार बिहार में मामला भी थोड़ा अलग है. क्या 10 हजार वाली स्कीम काम कर रही है और महिलाएं जोश के साथ पोलिंग बूथ तक पहुंच रही हैं? अभी तक इस बढ़े मतदान प्रतिशत के तीन ऐंगल हैं.
| 2020 में वोटिंग | 2025 में वोट (शाम 5 बजे तक) | अंतर |
| 51.8% | 60.1% | 8.3% |
- क्या 10 हजार स्कीम ने एडीए की कोर महिला वोटरों में जोश भरा है और वे पोलिंग बूथ तक पहुंच रही हैं?
- क्या बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत SIR में 65 लाख वोट कटने का असर है?
- चुनाव आयोग ने विपक्ष के आरोपों के बाद इस बार वोटिंग पर्सेंटेज का डेटा रियल टाइम किया है. पहले मतदान प्रतिशत बाद में बढ़ जाता था. तो क्या असर इसका है?

10 हजार की स्कीम ने महिला वोटरों में भरा जोश?
चुनाव विश्लेषक अमिताभ तिवारी के मुताबिक 10 हजार की स्कीम एनडीए की कोर महिला वोटरों में जोश भर सकता है. वह कहते हैं कि बिहार में प्रति व्यक्ति आय करीब साढ़े पांच हजार के करीब है. सरकार ने डेढ़ करोड़ महिलाओं के हाथ में 10 हजार रुपये दे दिए हैं. यह बिहार की महिला वोटरों का करीब 40 फीसदी है. डेढ़ करोड़ महिला वोटरों को 10 हजार देने का मतलब है कि असर साढ़े चार करोड़ (प्रति परिवार चार सदस्य मानें तो) वोटरों पर पड़ेगा. (मुस्लिम बहुल सीटों पर कितनी वोटिंग, यहां देखे)

तिवारी के मुताबिक एनडीए का कोर वोट ब्लॉक उसके साथ है. वह चुनाव में उसके लिए वोट करता ही है. लेकिन यह स्कीम कोर वोट ग्रुप में वोटिंग के लिएजोश भरेगा. पिछले चुनाव में 167 सीटों पर महिलाओं ने बंपर वोटिंग की थी. इसमें से 99 सीटों पर एनडीए जीती थी. जहां पुरुषों के बंपर वोट पड़े थे, वहां एनडीए उम्मीदवार पीछे थे. ऐसी 26-27 सीटें ही एनडीए के खाते में आई थीं.
नीतीश के 10 हजार ने क्या कर दिया जादू?
वरिष्ठ चुनावी विशेषज्ञ संजीव श्रीवास्तव महिलाओं को 10 हजार वाली स्कीम के इम्पैक्ट पर कहते हैं कि एनडीए को इसका चुनावी लाभ मिल रहा है. इसका जमीन पर असर दिख रहा है. तेजस्वी और प्रियंका इसी स्कीम पर अटैक कर रहे हैं. यह दिखाता है कि विपक्षी खेमे में बेचैनी है. महिलाओं के बीच नीतीश कुमार की वैसे भी पुरानी पैठ रही है.

वह कहते हैं कि नीतीश के पिछले कार्यकाल पर नजर डालें, तो उनके प्रति महिलाओं के इस रुझान का पैटर्न नजर आता है. 2005 के 2010 के बीच में जब नीतीश कुमार के हाथ में पहली बार बिहार की कमान आई तो उन्होंने साइकिलें बांटीं. उन्होंने राज्य की कानून व्यवस्था को दुरुस्त किया. शराबबंदी से महिलाओं के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ी. अगर बिहार के संदर्भ में देखें तो नीतीश कुमार की लोकप्रियता महिला वोटरों में पीएम मोदी से भी ज्यादा नजर आएगी.दूसरे राज्यों में यह नजर नहीं आता है.
क्या 10 हजार वाली स्कीम काम कर गई?
एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार और चुनावी एक्सपर्ट अजित झा के मुताबिक बिहार चुनाव में 10 हजार की स्कीम का बड़ा इम्पैक्ट दिख सकता है. इसका असर कुछ वैसा ही हो सकता है जैसा पीएम मोदी के किसानों के लिए छह हजार की स्कीम का दिखा था. तब सरकार के इस कदम ने किसान आंदोलन का उबाल ठंडा कर दिया था. नीतीश सरकार ने महिलाओं पर अलग अलग स्कीमों के जरिए जमकर खर्च किया है. शराबबंदी बड़ा फैसला था. महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने में सरकार सफल रही. ऐसे में 10 हजार सोने पर सुहागा जैसा है. वैसे भी एक सर्वे की मानें तो महिला वोटरों के मामले में नीतीश को तेजस्वी पर 32 पर्सेंट की बढ़त हासिल है.
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