
- बिहार में महागठबंधन के घटक दलों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है. इसमें अब वीआईपी, जेएमएम और आरएलजेपी भी शामिल है.
- कांग्रेस इस बार 63 सीटों पर दावा कर रही है, जिसमें पिछली बार जीती और दूसरे नंबर पर आई सीटें शामिल हैं- सूत्र
- कांग्रेस सीमांचल क्षेत्र की 24 सीटों पर खास जोर दे रही है और इसे अपना प्रमुख क्षेत्र मानती है.
बिहार में चुनाव को लेकर पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे की कवायद शुरू हो गई है. राजनैतिक दलों ने अंदर ही अंदर अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है. महागठबंधन की बात करें तो पहले की तुलना में गठबंधन में शामिल दलों की संख्या इस बार बढ़ गई है. पहले महागठबंधन में पांच दल शामिल थे- आरजेडी, कांग्रेस, माले, सीपीआई और सीपीएम. लेकिन इस बार मुकेश सहनी की वीआईपी, हेमंत सोरेन की जेएमएम और पशुपति पारस की एलजेपी भी महागठबंधन में शामिल हो गई है. ऐसे में ये कुनबा इस बार बढ़कर आठ दलों का हो गया है.
2020 में कांग्रेस ने 70 सीटों पर लड़कर 19 सीटें जीती थी
बिहार में सीटों की संख्या 243 है, जाहिर है अब आठ दलों के बीच इन सीटों का बंटवारा करना होगा. इस लिहाज से सभी दलों को अपनी कुछ न कुछ सीटें कुर्बान करनी पड़ सकती हैं. कांग्रेस जो महागठबंधन की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है, पिछली बार उसने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन सिर्फ 19 ही जीत पायी थी. हालांकि इस बार कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है.

इस बार कांग्रेस 63 सीटों पर पेश कर रही है मजबूत दावा
पिछली बार कांग्रेस ने आरजेडी पर हारने वाली सीटें देने का आरोप लगाया था. पिछले चुनाव में कांग्रेस को सीटें भले ही 70 दी गई थी, लेकिन इसमें अधिकतर वो सीटें थी, जिसे कांग्रेस और आरजेडी ने कभी नहीं जीतीं थी. इस बार कांग्रेस का फॉर्मूला साफ है. कांग्रेस इस बार सीटिंग की 19 सीटों के साथ-साथ पिछली बार दूसरे नंबर पर रहने वाली 44 सीटों पर भी दावा पेश करने वाली है. यानि कुल 63 सीटों पर कांग्रेस का दावा काफी मजबूत है. इसमें से कुछ सीटों पर अदला-बदली हो सकती है.
कांग्रेस का सीमांचल की सीटों पर खास फोकस
वहीं आरजेडी 2020 में 144 सीटों पर लड़ी थी, जिसमें से 75 सीटों पर जीती थी और 67 सीटों पर वो दूसरे नंबर पर रही थी. गठबंधन में सीटों के बंटवारे के समय सबसे ज्यादा इसी दूसरे नंबर की सीटों में अदला-बदली होती है. कांग्रेस सीटों के बंटवारे के वक्त सीमांचल की 24 सीटों पर पूरा फोकस करने वाली है. कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि वो सीमांचल में नंबर वन पार्टी है और यहां सीनियर पार्टनर की भूमिका में होगी. इसके पीछे कांग्रेस का तर्क है कि यहां से कांग्रेस के दो सांसद हैं- कटिहार से तारिक अनवर और किशनगंज से मोहम्मद जावेद. वहीं पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने भी कांग्रेस को ही अपना सर्मथन दिया हुआ है. ऐसे में कांग्रेस का सीमांचल में मजबूत दावा बनता है.

महागठबंधन के पास सीमांचल की 24 में से 14 सीटें जीतने का मौका
अगर 2024 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों को विधानसभा में तब्दील करें तो सीमांचल की 24 सीटों में से महागठबंधन के पास 8 सीटें आएंगी, जिसमें कांग्रेस के पास 6 और आरजेडी के पास 2 सीटें आएंगी, लेकिन यहां पर विधानसभा की 4 सीटें पप्पू यादव को भी मिलेंगी, क्योंकि वे सांसद हैं और 2 सीटें एआईएमआईएम के खाते में भी जा सकती है. यानि महागठबंधन यहां सही ढ़ंग से गठबंधन करके मैदान में उतरता है तो 24 में से 14 सीटें जीत सकता है. 2020 के विधानसभा चुनाव में सीमांचल में कांग्रेस और एआईएमआईएम को 5-5 सीटें, तो वहीं आरजेडी और माले को 1-1 सीट मिली थी.
राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा से उत्साहित है कांग्रेस
कुल मिलाकर सीमांचल में कांग्रेस का दावा मजबूत है, जिसमें वो पीछे नहीं रहेगी. कांग्रेस राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा से भी काफी उत्साहित है और उस रूट पर सीटें मांग रही है, जहां से राहुल गांधी की यात्रा गुजरी थी. मतलब ये कि कांग्रेस जिन जीतने वाली सीटों की मांग कर रही है, वो इन्हीं क्षेत्र की सीटें हैं जहां दलित, अति पिछड़ा, सर्वण और मुस्लिम वोटों का कॉम्बिनेशन बनता है. सीटों के बंटवारे को लेकर एनडीए और महागठबंधन दोनों में घटक दलों के बीच खींचतान जारी है. जाहिर है सभी दल अधिक से अधिक सीटों के लिए तगड़ी सौदेबाजी करती है और महागठबंधन में कांग्रेस भी वही कर रही है.

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