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'मिथिला की बेटी' के PM मोदी भी मुरीद... मैथिली को स्टार कैंडिडेट क्यों बनाना चाहती है बीजेपी, इनसाइड स्टोरी

मैथिली ठाकुर न केवल एक बड़ी सांस्कृतिक हस्ती हैं, बल्कि वह मैथिल ब्राह्मण समुदाय से भी आती हैं, जिसकी मिथिला क्षेत्र में एक अच्छी खासी और प्रभावशाली संख्या है. अगर बीजेपी उन्हें अपना उम्मीदवार बनाती है, तो यह कदम केवल एक सीट तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका व्यापक राजनीतिक और सामाजिक संदेश पूरे मिथिलांचल में जाएगा.

  • बिहार चुनाव से पहले मैथिली ठाकुर और बीजेपी के प्रभारी विनोद तावड़े की मुलाकात ने राजनीतिक अटकलें बढ़ा दी हैं.
  • PM मोदी ने मैथिली ठाकुर की गायकी की कई बार प्रशंसा की और उन्हें सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक माना है.
  • मैथिली ठाकुर को 2023 में बिहार का स्टेट आइकन नियुक्त किया गया और वे मतदाता जागरूकता अभियानों में सक्रिय हैं.
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नई दिल्ली:

बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले प्रसिद्ध लोक गायिका मैथिली ठाकुर और बीजेपी के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े के बीच हुई मुलाकात ने राज्य के सियासी गलियारों में अटकलों का दौर शुरू कर दिया है. मैथिली ठाकुर मिथिलांचल का एक बड़ा और प्रभावशाली चेहरा मानी जाती हैं और वह मैथिल ब्राह्मण समुदाय से आती हैं. उनकी लोकप्रियता को देखते हुए यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वह बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ सकती हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई मौकों पर मैथिली ठाकुर की तारीफ कर चुके हैं.

मैथिली ठाकुर की आवाज के मुरीद हैं PM मोदी

लोक गायिका मैथिली ठाकुर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लगातार प्रोत्साहन मिलता रहा है, जो उनकी प्रतिभा और सांस्कृतिक महत्व को उजागर करता है. अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय, पीएम मोदी ने मैथिली ठाकुर द्वारा गाए गए एक भजन की विशेष रूप से प्रशंसा की थी. उन्होंने 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए कहा था कि प्राण प्रतिष्ठा का अवसर भगवान श्री राम के जीवन से जुड़ी घटनाओं की याद दिलाता है, और ऐसी ही एक भावनात्मक घटना मां शबरी से जुड़ी है. उन्होंने मैथिली ठाकुर की मधुर प्रस्तुति को सुनने के लिए अपने 'परिवार के सदस्यों' (देशवासियों) से आग्रह किया था.

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इसके अलावा बीते 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भारत मंडपम में आयोजित पहले राष्ट्रीय सर्जक पुरस्कार (नेशनल क्रिएटर्स अवार्ड) समारोह में भी मैथिली ठाकुर को सम्मानित किया गया था. उन्हें कल्चर एंबेसडर ऑफ द ईयर अवॉर्ड से नवाजा गया था. इस दौरान, जब मैथिली ठाकुर मंच पर आईं, तो पीएम मोदी ने हल्के-फुल्के अंदाज में उनसे कहा, "आज सुना ही दो, क्योंकि लोग मेरा सुन-सुनकर थक जाते हैं." इस पर सभी लोग तालियां बजाने लगे और मैथिली ठाकुर ने पीएम मोदी के साथ मंच पर ही एक शिव भजन गाकर सबका मन मोह लिया.

मिथिलांचल का प्रभावशाली चेहरा मानी जाती हैं मैथिली ठाकुर

मैथिली ठाकुर मिथिलांचल का एक प्रसिद्ध और प्रभावशाली चेहरा हैं. मैथिली और भोजपुरी जैसी स्थानीय भाषाओं में लोकगीत, छठ गीत, कजरी और पारंपरिक भजन गाती हैं. उनके पिता रमेश ठाकुर भी संगीतकार हैं, जिन्होंने उन्हें बचपन से ही संगीत की शिक्षा दी, जिससे उनकी संगीत की जड़ों पर मिथिला की छाप गहरी है.

मैथिली के लाखों फॉलोअर्स हैं

मैथिली ठाकुर की लोकप्रियता केवल बिहार तक ही सीमित नहीं है, लेकिन मिथिलांचल में यह अत्यधिक प्रभावी है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनके लाखों फॉलोअर्स हैं, खासकर युवाओं के बीच उनकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग है. यह उन्हें किसी भी राजनीतिक दल के लिए एक 'गेम चेंजर' या प्रभावशाली चेहरा बनाता है. 2023 में चुनाव आयोग ने उन्हें बिहार का 'स्टेट आइकन' (State Icon) नियुक्त किया था. उन्होंने मतदाता जागरूकता अभियानों में भी सक्रिय भूमिका निभाई है.

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मैथिली ठाकुर का राजनीतिक प्रभाव: मिथिलांचल में संदेश

मैथिली ठाकुर न केवल एक बड़ी सांस्कृतिक हस्ती हैं, बल्कि वह मैथिल ब्राह्मण समुदाय से भी आती हैं, जिसकी मिथिला क्षेत्र में एक अच्छी खासी और प्रभावशाली संख्या है. अगर बीजेपी उन्हें अपना उम्मीदवार बनाती है, तो यह कदम केवल एक सीट तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका व्यापक राजनीतिक और सामाजिक संदेश पूरे मिथिलांचल में जाएगा. मैथिली ठाकुर को मैदान में उतारने से बीजेपी एक साथ कई लक्ष्य साध सकती है.

ब्राह्मण समुदाय में मजबूत पैठ

मैथिली ठाकुर का चुनाव लड़ना ब्राह्मण समुदाय के बीच एक मजबूत सकारात्मक संदेश भेजेगा. यह वर्ग परंपरागत रूप से बीजेपी का समर्थक माना जाता रहा है, और इस समुदाय की एक लोकप्रिय 'बेटी' को टिकट देने से उनका समर्थन और भी व्यापक हो सकता है. यह कदम समुदाय के युवाओं को भी पार्टी की ओर आकर्षित करेगा.

क्षेत्रीय पहचान का समीकरण

मैथिली ठाकुर अपनी गायकी के माध्यम से मिथिला और मैथिली संस्कृति की एक सशक्त प्रतीक बन चुकी हैं. उनका चुनाव लड़ना 'मिथिला की बेटी' के सम्मान से जोड़ा जाएगा, जिससे वह क्षेत्रीय भावनाओं को भुनाते हुए जातिगत समीकरणों से ऊपर उठकर वोट हासिल कर सकती हैं.

युवा और महिला वोटरों पर प्रभाव

मैथिली अपनी युवावस्था, सोशल मीडिया पर जबरदस्त फॉलोविंग और महिला होने के कारण युवा और महिला वोटरों को बड़ी संख्या में प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं.

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