- बिहार में कृषि पदाधिकारी हैं मनोज कुमार
 - मनोज कुमार का वीडियो हुआ था वायरल
 - जांच में दोषी पाए गए पदाधिकारी मनोज कुमार
 
क्या बिहार में अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग अलग कानून हैं. यह सवाल इसलिए पूछा जा रहा हैं क्योंकि पिछले दिनों राज्य के अररिया में एक चौकीदार को लॉकडाउन के दौरान एक जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा कान पकड़कर उठक-बैठक लगाने के प्रकरण में जहां वहां मौजूद अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई हुई, वहीं जांच में दोषी पाए गए जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार के खिलाफ एक FIR दर्ज हुई है.
मनोज कुमार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू हुई और अब उन्हे स्थानांतरित कर पटना भेज दिया गया है, लेकिन जो जांच रिपोर्ट राज्य सरकर को भेजी गई है उसमें इस मामले के लिए साफ-साफ मनोज कुमार को दोषी पाया गया है. निश्चित रूप से इस मामले में शुरूआत में यह खबर आई थी कि मनोज कुमार का प्रमोशन हुआ है, लेकिन अब वह खबर गलत पाई गई है.
बताते चलें कि बिहार के अररिया जिले में एक होमगार्ड को कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार से लॉकडाउन के दौरान निकलने वाला पास मांगना महंगा पड़ गया था. मनोज कुमार ने उस गार्ड से कान पकड़कर उठक बैठक कराई. इस पूरे मामले को किसी ने मोबाइल पर रिकॉर्ड कर लिया और 20 सेकेंड का इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. वीडियो में साफ देखा जा सकता था कि मनोज कुमार कुछ लोगों को डांट रहे थे. ऐसा लग रहा था कि बाकी लोग उस होमगार्ड के सीनियर हैं. वहीं कुछ अन्य इस पूरे मामले को मूकदर्शक बनकर देख रहे थे. वीडियो में साफ सुनाई दे रहा है कि कोई उस जवान से पूछ रहा है, 'तुम इनको कैसे रोक सकते हो, यह एक वरिष्ठ कृषि अधिकारी हैं.'
इस वीडियो को ट्विटर पर भी शेयर किया गया है. जिसमें लिखा गया है कि यह एक सिपाही जिसने अररिया के कृषि अधिकारी से कोविड-19 वाहन पास मांगने की हिम्मत की थी.
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