- बहादुरगंज विधानसभा सीट पर 1952 से अब तक कांग्रेस ने दस बार जीत हासिल कर अपना दबदबा कायम रखा है.
- 2020 में एआईएमआईएम के मोहम्मद अंजार नईमी ने कांग्रेस को हराकर इस सीट पर पार्टी का झंडा गाड़ा था.
- बहादुरगंज में मुस्लिम आबादी अधिक होने के कारण चुनाव परिणाम धार्मिक समीकरणों से गहराई से प्रभावित होते हैं.
बहादुरगंज सीट पर जदयू के मदन सहनी ने आरजेडी के भोला यादव को 12,011 वोटों से हराया. किशनगंज जिले की बहादुरगंज विधानसभा सीट मुस्लिम बहुल क्षेत्र मानी जाती है, बहादुरगंज विधानसभा सीट पर 1952 से अब तक 16 चुनाव हो चुके हैं और इनमें से 10 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. यह आंकड़ा स्पष्ट करता है कि इस सीट पर लंबे समय तक कांग्रेस का दबदबा रहा है. खासकर 2005 से 2015 तक कांग्रेस के मोहम्मद तौसीफ आलम ने जीत दर्ज कर अपनी मजबूत पकड़ दिखाई थी. लेकिन, 2020 के विधानसभा चुनाव में इस परंपरा को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने तोड़ दिया.
मोहम्मद अंजार नईमी ने 2020 के चुनाव में कांग्रेस को हराकर इस सीट पर एआईएमआईएम का झंडा गाड़ दिया. हालांकि, बाद में उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दामन थाम लिया, जिससे समीकरण फिर बदलते नजर आए. उस चुनाव में एआईएमआईएम, कांग्रेस और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था.
बीजेपी भी जीत चुकी है
कांग्रेस के अलावा इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (पीएसपी), जनता दल और जनता पार्टी भी एक-एक बार जीत हासिल कर चुकी हैं. इसके अतिरिक्त कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी बहादुरगंज की जनता का भरोसा जीता है. इससे स्पष्ट होता है कि भले ही यहां एकतरफा वर्चस्व लंबे समय तक रहा हो, लेकिन समय-समय पर राजनीतिक परिवर्तन और जनता की पसंद में बदलाव देखने को मिला है.
2024 के आंकड़ों के अनुसार, बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र की अनुमानित जनसंख्या 510,164 है, जिनमें 2,59,165 पुरुष और 2,50,999 महिलाएं शामिल हैं. इस सीट पर कुल 3,07,148 मतदाता हैं, जिनमें 1,58,638 पुरुष, 1,48,496 महिला और 14 थर्ड जेंडर हैं. मुस्लिम आबादी का अनुपात अधिक होने के कारण यह सीट धार्मिक और सामाजिक समीकरणों से गहराई से प्रभावित रहती है.
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