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This Article is From Jun 07, 2022

BJP नेताओं के बयान पर भारत के रुख और पार्टी की कार्रवाई से कतर के राजनयिक संतुष्ट : सुशील मोदी

'उपराष्ट्रपति नायडू ने कतर के प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि भारतियों के पूजा स्थल एवं दाह संस्कार के लिए भूमि प्रदान करें.' बता दें कि अभी कतर में मृत्यु होने पर शव को या तो दफनाना पड़ता है या वापस भारत लाना पड़ता है, क्योंकि वहां शवों के दाह संस्कार की अनुमति नहीं है.

BJP नेताओं के बयान पर भारत के रुख और पार्टी की कार्रवाई से कतर के राजनयिक संतुष्ट : सुशील मोदी
सुशील मोदी (फाइल फोटो)
पटना:

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू (Vice President M. Venkaiah Naidu) के साथ कई देशों का दौरा कर लौटने के बाद बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी (Rajya Sabha MP Sushil Kumar Modi) ने कहा कि भाजपा के कुछ नेताओं के आपत्तिजनक बयान पर भारत सरकार के स्टैंड और पार्टी द्वारा की गई कार्रवाई से कतर के राजनयिक संतुष्ट दिखाई पड़े. वहीं उन्होंने बताया कि उपराष्ट्रपति ने वहां के प्रधानमंत्री से भारतियों के पूजा स्थल और दाह संस्कार के लिए जमीन देने की मांग की है.


पश्चिमी अफ्रीकी देश गेबान, सेनेगल और अरब देश कतर की आठ दिवसीय राजकीय यात्रा से लौटने के बाद मोदी ने कहा कि कतर की 27 लाख की आबादी में 27% (7.50 लाख) भारतीय मूल के लोग हैं, जिसमें बड़ी संख्या में बिहार के लोग भी शामिल हैं.

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उन्होंने कहा कि कतर यात्रा के दौरान बिहार सरकार द्वारा अप्रवासी बिहारियों के लिए गठित बिहार फाउंडेशन के सदस्यों के साथ भी मुलाकात की, जिसमें उन लोगों ने आग्रह किया कि पटना से दोहा के लिए सीधी विमान सेवा प्रारंभ की जाए, क्योंकि बड़ी संख्या में बिहारियों को दिल्ली या लखनऊ के रास्ते बिहार आना पड़ता है. उनका यह भी आग्रह था कि बिहार सरकार प्रवासी बिहारियों के लिए एक सेल गठित करे, जिसके माध्यम से उनकी बिहार से जुड़ी समस्याओं के समाधान में मदद मिल सके.

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सुशील मोदी ने कहा कि उपराष्ट्रपति नायडू ने कतर के प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि भारतियों के पूजा स्थल एवं दाह संस्कार के लिए भूमि प्रदान करें. बता दें कि अभी कतर में मृत्यु होने पर शव को या तो दफनाना पड़ता है या वापस भारत लाना पड़ता है, क्योंकि वहां शवों के दाह संस्कार की अनुमति नहीं है.

गेबान और सेनेगल की 1960 में आजादी के बाद पहली बार भारत के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल का इन देशों का राजकीय दौरा था.
 

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