 
                                            कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु में खुले मैदान और पार्क को कम करने का फैसला लिया है.
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                बेंगलुरु: 
                                        अगर कर्नाटक सरकार के नए विधेयक को राज्यपाल से मंजूरी मिल जाती है शायद बेंगलुरु को अपने उपनाम गार्डन सिटी से हाथ धोना पड़ जाए.
कर्नाटक सरकार ने भविष्य के खाके के लिए शहर के खुले क्षेत्र और पार्कों के क्षेत्र में 10 फीसदी कमी करने का फैसला किया है. कर्नाटक शहरी विकास प्राधिकार विधेयक में न सिर्फ खुले इलाकों में 10 फीसदी कटौती की बात है बल्कि जन सुविधाओं के लिए निर्धारित इलाके को भी घटाकर 5 फीसदी करने की भी बात है.
इसी वर्ष राज्यपाल वजुभाई वाला ने इस विधेयक को वापस लौटा दिया था लेकिन कैबिनेट ने इसे दोबारा राजभवन भेजने का फैसला किया.
हालांकि विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रदूषण को नियंत्रित करने में पार्कों और खुले इलाकों के महत्व को नहीं समझने के लिए सरकार की आलोचना की है.
बीजेपी नेता डॉ. अश्वथनारायण ने कहा, 'सरकारी एजेंसियां उस फॉर्मूले पर नहीं चल सकती जिसपर निजी कंपनियां चलती हैं. सरकार को हरित इलाकों में कटौती करने की बजाय उनके संरक्षण के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने चाहिए.
पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने नियम में बदलाव कर प्राइवेट लेआउट में खुले इलाकों को बढ़ाकर 15 फीसदी कर सरकारी निकायों द्वारा तैयार किए लेआउट के अनुरूप करने की मांग की है.
साथ ही उन्होंने ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने की प्रक्रिया में लोगों की राय नहीं लिए जाने को लेकर भी सवाल उठाया.
सिटिजन ऐक्शन फोरम की अध्यक्ष डीएस राजशेखर ने कहा, 'कोई भी चर्चा नहीं की गई. जहां तक लोगों का सवाल है, तो वो लोगों की भागीदारी और उनकी सलाह लेना तो भूल ही गए हैं.'
वहीं सत्तारूढ़ कांग्रेस ने योजना का यह कहते हुए बचाव किया है कि यह कदम लोगों के लिए किफायती होगा.
कांग्रेस के विधायक रिजवान अरशद ने कहा, 'यह आम लोगों की भलाई के लिए है ताकि सरकार जमीनों की कीमत कम कर सके और इसे मध्य वर्ग, उच्च मध्य वर्ग और निम्न वर्ग के लिए ज्यादा किफायती बना सके.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
                                                                        
                                    
                                कर्नाटक सरकार ने भविष्य के खाके के लिए शहर के खुले क्षेत्र और पार्कों के क्षेत्र में 10 फीसदी कमी करने का फैसला किया है. कर्नाटक शहरी विकास प्राधिकार विधेयक में न सिर्फ खुले इलाकों में 10 फीसदी कटौती की बात है बल्कि जन सुविधाओं के लिए निर्धारित इलाके को भी घटाकर 5 फीसदी करने की भी बात है.
इसी वर्ष राज्यपाल वजुभाई वाला ने इस विधेयक को वापस लौटा दिया था लेकिन कैबिनेट ने इसे दोबारा राजभवन भेजने का फैसला किया.
हालांकि विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रदूषण को नियंत्रित करने में पार्कों और खुले इलाकों के महत्व को नहीं समझने के लिए सरकार की आलोचना की है.
बीजेपी नेता डॉ. अश्वथनारायण ने कहा, 'सरकारी एजेंसियां उस फॉर्मूले पर नहीं चल सकती जिसपर निजी कंपनियां चलती हैं. सरकार को हरित इलाकों में कटौती करने की बजाय उनके संरक्षण के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने चाहिए.
पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने नियम में बदलाव कर प्राइवेट लेआउट में खुले इलाकों को बढ़ाकर 15 फीसदी कर सरकारी निकायों द्वारा तैयार किए लेआउट के अनुरूप करने की मांग की है.
साथ ही उन्होंने ऐसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने की प्रक्रिया में लोगों की राय नहीं लिए जाने को लेकर भी सवाल उठाया.
सिटिजन ऐक्शन फोरम की अध्यक्ष डीएस राजशेखर ने कहा, 'कोई भी चर्चा नहीं की गई. जहां तक लोगों का सवाल है, तो वो लोगों की भागीदारी और उनकी सलाह लेना तो भूल ही गए हैं.'
वहीं सत्तारूढ़ कांग्रेस ने योजना का यह कहते हुए बचाव किया है कि यह कदम लोगों के लिए किफायती होगा.
कांग्रेस के विधायक रिजवान अरशद ने कहा, 'यह आम लोगों की भलाई के लिए है ताकि सरकार जमीनों की कीमत कम कर सके और इसे मध्य वर्ग, उच्च मध्य वर्ग और निम्न वर्ग के लिए ज्यादा किफायती बना सके.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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