 
                                            - नोएडा सेक्टर 150 स्थित टाटा यूरेका पार्क में स्टीम बाथ के दरवाजे का ताला जाम होने से 2 महिलाएं एक घंटे तक फंसी
- महिलाओं ने स्टीम बाथ चैंबर में पानी की कमी और घबराहट की शिकायत की तथा छत तोड़कर बाहर निकलने में सफलता पाई
- क्लबहाउस में स्टाफ अनुपस्थित था, जिससे महिलाओं की मदद नहीं हो सकी और रिसेप्शन पर भी कोई उपलब्ध नहीं था
इस हफ्ते की शुरुआत में नोएडा के सेक्टर 150 स्थित टाटा यूरेका पार्क सोसाइटी में स्टीम बाथ के दरवाजे का ताला जाम हो जाने की वजह से दो महिलाएं लगभग एक घंटे तक उसमें फंसी रह गई थीं. यह घटना मंगलवार की है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पारुल चतुर्वेदी और तरुणा नाम की इन महिलाओं ने दोपहर के आसपास कॉन्डोमिनियम के क्लबहाउस में 30 मिनट का स्टीम बाथ सेशन बुक किया था, तभी हीटेड चैंबर का दरवाजा खराब हो गया और वो अंदर फंस गईं.
दोनों महिलाएं बाहर निकलने की कोशिश कर रहीं थीं और फिर वो दोनों मदद के लिए चिल्लाने लगीं लेकिन क्लबहाउस में स्टाफ का कोई सदस्य मौजूद नहीं था और इस वजह से उनकी मदद के लिए कोई नहीं आया. पारुल चतुर्वेदी ने बताया, "हमने दोपहर 12 बजे से 30 मिनट के लिए स्टीम बुक किया था. अंदर जाने पर हमने पाया कि स्टीम चैंबर गंदा था और इसलिए हमने स्टाफ को उसे साफ करने के लिए बुलाया. आखिरकार जब हमारा सेशन शुरू हुआ तो स्टीम से कमरा भर गया और सिस्टम लगभग 30 मिनट तक चला और फिर अपने आप बंद हो गया. जब हमने बाहर निकलने की कोशिश की तो हमने देखा का दरवाजा नहीं खुल रहा था. हम 10-15 मिनट तक कोशिश करते रहे लेकिन ताला जाम हो गया था."
महिलाओं ने बताया कि स्टीम चैंबर के अंदर उन्हें पानी की कमी और घबराहट होने लगी थी. हताशा में, चतुर्वेदी एक स्लैब पर चढ़ गईं और एक छोटी सी छड़—जो उन्हें चैंबर के अंदर मिली थी और जिसे उन्होंने अलार्म लीवर समझ लिया था—से छत तोड़ दी और एक बड़ी छड़ को हटाने में कामयाब रहीं.
चतुर्वेदी ने दावा किया, "इसका इस्तेमाल करके हमने ताला तोड़ दिया. हम मदद के लिए चिल्लाते रहे और दरवाजा पीटते रहे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. बाहर आकर, हम रिसेप्शन पर गए, लेकिन वहां भी कोई नहीं मिला." ऑनलाइन प्रसारित एक वीडियो में क्षतिग्रस्त ताला और टूटी हुई छत की टाइलें दिखाई दे रही हैं.
महिलाओं ने थकान और दिल की धड़कने तेज होने की शिकायत की. डॉक्टरों के अनुसार, अत्यधिक गर्मी के संपर्क में आने से शरीर की तापमान नियंत्रित करने की क्षमता कम हो सकती है और दौरे, दिल का दौरा, लीवर फेलियर, रक्त का थक्का जमना और गुर्दे की क्षति जैसी गंभीर जटिलताएं भी हो सकती हैं.
इस बीच निवासियों ने डेवलपर और सोसाइटी की रखरखाव एजेंसी, सीबीआरई पर घटिया रखरखाव, देरी से प्रतिक्रिया और आपातकालीन प्रोटोकॉल की कमी का आरोप लगाया है. निवासियों ने बताया कि रखरखाव शुल्क के रूप में 4.25 रुपये प्रति वर्ग फुट दिया जाता है, जो कुछ फ्लैट मालिकों के लिए करीब 6,700 रुपेय पेरित महीना है. ये शुल्क देने के बाद भी अक्सर तकनीकी खराबी और अप्रशिक्षित कर्मचारी मौजूद रहते हैं. हालांकि, पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई है, लेकिन निवासियों ने सभी मनोरंजन सुविधाओं की सुरक्षा ऑडिट की मांग की है.
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