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ब्लॉग राइटर
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जेठ की दुपहरी में शीतल साये सा ‘अनुपम’ अहसास
बात कुछ यूं थी कि मैंने पानी पर कुछ कच्चा–पक्का लिखा था. और सामाजिक विषयों पर काम करने वाली एक संस्था को दे दिया था. एक दिन अचानक उनके यहां से फोन आया कि वह इसे प्रकाशित करना चाहते हैं. बस फिर क्या था, पानी पर अपनी किताब होगी, इस कल्पना के साथ यह संकल्प भी बलवती हो गया कि इसकी भूमिका को अनुपम जी ही लिखेंगे. किताब का काम पूरा हुआ. और अनुपम जी को आग्रह प्रस्तुत कर दिया गया.
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- दिसंबर 20, 2016 16:13 pm IST