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    हमारे जंगल का समाज

    जंगलों को जब बहुत क़रीब से देखो तो वो जंगल नहीं लगते, एक समाज सा लगते हैं इंसानी समाज से ज़्यादा व्यवस्थित, ज़्यादा उदार, ज़्यादा सभ्य. हमारे समाज में अपनी ज़रूरत से ज़्यादा खाने की भूख होती है लेकिन जंगल का समाज उतना ही उपभोग करता है जितनी पेट इजाज़त देता है. इस जंगली समाज का क़रीब से अध्ययन करते हुए हमें कई दिलचस्प बातें पता चलती हैं. ऐसी ही एक जानकारी संक्षेप में आपसे बांटना चाहती हूं. 

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