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    राहुल गांधी के ल‍िए खतरा माने जा रहे ज्‍योत‍िराद‍ित्‍य स‍िंध‍िया के पास नहीं था कोई दूसरा व‍िकल्‍प...

    Jyotiraditya Scindia: ज्‍योत‍िराद‍ित्‍य ने पावर स्‍ट्रक्‍चर में प्रासंग‍िक बने रहने के ल‍िए एक आख‍िरी प्रयास क‍िया. उन्‍होंने राज्‍यसभा में मनोनयन के ल‍िए कहा लेक‍िन गांधी पर‍िवार से इससे भी इनकार कर द‍िया. कांग्रेस पार्टी के र‍िपोर्ट करने वालों के अनुसार, सोन‍िया गांधी नहीं चाहती थीं क‍ि ज्‍योत‍िराद‍ित्‍य मजबूत हों और कांग्रेस पार्टी में गांधी पर‍िवार के वर्चस्‍व के ल‍िए संभाव‍ित रखना बनें. ऐसे में ज्‍योत‍िराद‍ित्‍य के पास एक रास्‍ता ही बाकी था-वह था कांग्रेस पार्टी को छोड़ना.

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    मोदी-शाह के CAB में मुस्लिमों के लिए क्यों नहीं है जगह...?

    वर्ष 1993 में, एक बांग्लादेशी लेखिका ने, जिन्हें अपने मुल्क में लोकप्रिय होने के बावजूद बाहर ज़्यादा लोग नहीं जानते थे, अपना चौथा उपन्यास प्रकाशित किया. इस उपन्यास में एक ऐसे हिन्दू परिवार की कहानी थी, जिसका बांग्लादेश के प्रति लगाव उस साम्प्रदायिक हिंसा की वजह से कम होता चला गया, जिसका सामना उन्हें करना पड़ा. यह उपन्यास 'लज्जा' दुनियाभर में बेस्टसेलर बना, लेकिन अपने ही वतन में इस पर पाबंदी लगी.

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    डराती है रवीश कुमार की पत्रकारिता, उन्हें भी, जो सत्तासीन हैं...

    रवीश ने 19 साल पहले रिपोर्टिंग करना शुरू किया था, और शुरुआत से ही पहचान लिया था कि टेलीविज़न किस्सों का माध्यम है, सो, रवीश ने उन ख़बरों को चुना जो शर्तिया वैसी ही थीं. वैसे किस्से, जिनके चरित्र अपने जैसे लगते थे, जिनकी शुरुआत होती थी, मध्य होता था, अंत होता था. यही खोजी और सच्चाई के पक्षधर के रूप में रवीश की कामयाबी का राज़ है, और यही वजह है मैगसेसे पुरस्कार के रूप में उनकी बड़ी कामयाबी की.

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    अर्बन नक्सल के नाम पर मामला कारपोरेट लूट की दलाली खाने का है...

    सरकार की कोई भी विकास परियोजना में बाधा डालने में नक्सली सबसे आगे होते हैं. साथ में नक्सलियों और टिम्बर/कोयला/खनिज/तेंदू पत्ता माफिया के बीच सांठ-गांठ बन गई है. कई जगहों पर नक्सली कमांडर इन माफिया और कंपनियों से ‘हफ़्ता’ लेकर उनकी रक्षा करते हैं. कोई गांववाला इनके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाता है तो उसे गद्दार बोलकर मार दिया जाता है.

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