-
ब्लॉग राइटर
-
मैंने खुद बचाया है जवानों को सियाचिन में... भुलाए नहीं भूलता वह मंजर...
जब जवान मिल जाएंगे, चीतल फिर उड़कर वहां जाएंगे, और इस बार अपने साथियों के पार्थिव शरीरों को लेने के लिए। मैं समझ सकता हूं कि उस वक्त उन पायलटों के दिमाग में क्या चल रहा होगा - वे भी उस दृश्य को कभी नहीं भूल पाएंगे, जैसे मैं 1995 में देखे उस नागा युवक के चेहरे को नहीं भूल सका हूं।