मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को दिया आशीर्वाद
नई दिल्ली:
समाजवादी पार्टी में एक बार फिर पिता-पुत्र के बीच की लड़ाई थमती दिख रही है. NDTV से मुलायम सिंह यादव ने कहा है कि अखिलेश यादव को मेरा आशीर्वाद और वह 9 फरवरी से यूपी में चुनाव करेंगे. इससे पूर्व मुलायम सिंह यादव ने अचानक एक इंटरव्यू में सपा-कांग्रेस गठबंधन पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि वह इससे नाराज हैं और पार्टी के लिए प्रचार नहीं करेंगे. अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए मुलायम ने कहा था कि समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के भविष्य को खराब किया है. मुलायम यहीं नहीं रुके उन्होंने कांग्रेस को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कई सालों तक देश पर राज किया है और इसी की वजह से देश पिछड़ा हुआ है.
दरअसल, मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश यादव से लंबे समय से नाराज चल रहे हैं. अखिलेश ने उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया. वह कह रहे थे कि उन्हें अध्यक्ष बने रहने दिया जाए. दूसरा, वह चुनाव आयोग में साइकिल चुनाव चिह्न की लड़ाई अपने ही बेटे से हार गए. यह टीस भी कहीं न कहीं उनके मन में है. तीसरा, वह हमेशा कांग्रेस के खिलाफ लड़े हैं. वह हमेशा गैर-कांगेसी मोर्चों का हिस्सा रहे. उनकी पूरी सियासी परवरिश गैर-कांग्रेसवाद के नाम पर हुई है. यही नहीं यूपी में भी यह कांग्रेस को कमजोर करके यहां तक पहुंचे हैं. एक समय कांग्रेस का वोटबैंक रहे (मुस्लिम और पिछड़ावर्ग) ने उन्हें सत्ता तक पहुंचाया. अगर यूपी में कांग्रेस दोबारा मजबूत होती है तो उनका वोटबैंक खिसकेगा. सपा कमजोर होगी. इसलिए मुलायम हमेशा से कांग्रेस के साथ गठबंधन के खिलाफ रहे हैं.
इन कारणों के बावजूद आज मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश को आशीर्वाद के साथ यूपी में चुनाव प्रचार की बात कही है.वहीं शिवपाल ने हाल ही में ऐलान किया है कि वह 11 मार्च के बाद नई पार्टी का गठन करेंगे. उन्होंने रोष जाहिर करते हुए कहा कि मेरे समर्थकों के टिकट काट दिए गए हैं. अब ये लोग कहां जाएंगे. इस बीच इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार वह अपनी परंपरागत सीट जसवंतनगर से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ेंगे. हालांकि उन्होंने अभी तक यही कहा है कि ये सब अफवाहें हैं और वह सपा के चुनाव निशान साइकिल से ही चुनाव लड़ेंगे. दरअसल सपा की कमान अखिलेश यादव के हाथों में पूरी तरह से आने के बाद शिवपाल यादव पार्टी में एकदम हाशिए पर पहुंच गए हैं.
दरअसल, मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश यादव से लंबे समय से नाराज चल रहे हैं. अखिलेश ने उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया. वह कह रहे थे कि उन्हें अध्यक्ष बने रहने दिया जाए. दूसरा, वह चुनाव आयोग में साइकिल चुनाव चिह्न की लड़ाई अपने ही बेटे से हार गए. यह टीस भी कहीं न कहीं उनके मन में है. तीसरा, वह हमेशा कांग्रेस के खिलाफ लड़े हैं. वह हमेशा गैर-कांगेसी मोर्चों का हिस्सा रहे. उनकी पूरी सियासी परवरिश गैर-कांग्रेसवाद के नाम पर हुई है. यही नहीं यूपी में भी यह कांग्रेस को कमजोर करके यहां तक पहुंचे हैं. एक समय कांग्रेस का वोटबैंक रहे (मुस्लिम और पिछड़ावर्ग) ने उन्हें सत्ता तक पहुंचाया. अगर यूपी में कांग्रेस दोबारा मजबूत होती है तो उनका वोटबैंक खिसकेगा. सपा कमजोर होगी. इसलिए मुलायम हमेशा से कांग्रेस के साथ गठबंधन के खिलाफ रहे हैं.
इन कारणों के बावजूद आज मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश को आशीर्वाद के साथ यूपी में चुनाव प्रचार की बात कही है.वहीं शिवपाल ने हाल ही में ऐलान किया है कि वह 11 मार्च के बाद नई पार्टी का गठन करेंगे. उन्होंने रोष जाहिर करते हुए कहा कि मेरे समर्थकों के टिकट काट दिए गए हैं. अब ये लोग कहां जाएंगे. इस बीच इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार वह अपनी परंपरागत सीट जसवंतनगर से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ेंगे. हालांकि उन्होंने अभी तक यही कहा है कि ये सब अफवाहें हैं और वह सपा के चुनाव निशान साइकिल से ही चुनाव लड़ेंगे. दरअसल सपा की कमान अखिलेश यादव के हाथों में पूरी तरह से आने के बाद शिवपाल यादव पार्टी में एकदम हाशिए पर पहुंच गए हैं.
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