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एयरलाइन्स के Cute Fee लेने पर शख्स ने पूछा सवाल, सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस, लोग बोले- कुछ दिन बाद सांस लेने की फीस लगेगी

पोस्ट में "यूजर डेवलपमेंट फीस" और "एविएशन सिक्योरिटी फीट" को लेकर सवाल पूछा गया है कि आखिर ये फीस क्यों एड किए जाते हैं,  जो उड़ानों की पहले से ही भारी लागत में इजाफा करते हैं.

एयरलाइन्स के Cute Fee लेने पर शख्स ने पूछा सवाल, सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस, लोग बोले- कुछ दिन बाद सांस लेने की फीस लगेगी
एयरलाइन्स के 'Cute Fee' लेने पर सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

महंगी हवाई यात्राओं को लेकर एक पोस्ट जमकर वायरल हो रहा है और सोशल मीडिया यूजर्स के गुस्से को भड़का दिया है. एडवोकेट श्रेयांश सिंह के अकाउंट से एक्स पर ये पोस्ट किया गया है. इस पोस्ट ने इंडिगो एयरलाइंस द्वारा लगाए जाने वाले अतिरिक्त शुल्क, खास तौर पर "क्यूट फीस" के बारे में तीखी बहस छेड़ दी है. पोस्ट में "यूजर डेवलपमेंट फीस" और "एविएशन सिक्योरिटी फीट" को लेकर सवाल पूछा गया है कि आखिर ये फीस क्यों एड किए जाते हैं, जो उड़ानों की पहले से ही भारी लागत में इजाफा करते हैं.

एयरलाइन्स के एक्स्ट्रा फीस पर सवाल

श्रेयांश ने पोस्ट में लिखा, 'प्रिय इंडिगो, यह 'क्यूट फीस' क्या है? क्या आप यूजर्स से क्यूट होने के लिए शुल्क लेते हैं? या आप इसलिए शुल्क लेते हैं क्योंकि आपको लगता है कि आपके विमान क्यूट हैं?''. उन्होंने आगे लिखा, 'यह "यूजर डेवलपमेंट फीस" क्या है? जब मैं आपके विमान में यात्रा करता हूं तो आप मुझे कैसे विकसित करते हैं? यह 'विमानन सुरक्षा शुल्क' क्या है? क्या मैं यात्रा करते समय अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार को कर नहीं दे रहा हूं? या @MoCA_GoI ने विमानन सुरक्षा को व्यवसायों को आउटसोर्स कर दिया है?''

पोस्ट यहां देखें:

इंडिगो एयरलाइंस ने उनके सवाल पर जवाब देते हुए लिखा, "क्यूट फीस" वास्तव में "कॉमन यूजर टर्मिनल इक्विपमेंट" शुल्क का शॉर्ट फॉर्म है. ये शुल्क एयरपोर्ट के बुनियादी ढांचे, जैसे मेटल डिटेक्टर, एस्केलेटर और अन्य आवश्यक उपकरणों के इस्तेमाल से जुड़े हैं. एयरलाइन्स ने लिखा, ''नमस्ते, हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि क्यूट शुल्क कॉमन यूजर टर्मिनल इक्विपमेंट शुल्क को संदर्भित करता है. यह वह राशि है जो एयरपोर्ट पर उपयोग किए जा रहे मेटल-डिटेक्टिंग मशीनों, एस्केलेटर और अन्य उपकरणों के उपयोग के लिए ली जाती है.''

हालांकि एयरलाइन्स के इस जवाब से वह संतुष्ट नहीं हुए और अपना तर्क रखते हुए उन्होंने उपकरणों के रखरखाव की लागत यात्रियों पर डालने की आवश्यकता पर सवाल उठाया, खासकर तब जब ऐसे बुनियादी ढांचे की जिम्मेदारी आमतौर पर सीआईएसएफ जैसी सरकारी एजेंसियों की होती है.

इस पोस्ट ने एयरलाइन फीस में पारदर्शिता और जवाबदेही के बारे में बहस छेड़ दी, जिसमें कई यूजर्स ने इस मुद्दे पर अपनी राय साझा की. कुछ यूजर्स ने बताया कि दुनिया भर में विमानन उद्योग में इसी तरह के शुल्क आम हैं. एक यूजर ने लिखा, ''सोच रहा हूं कि पेट्रोल पंपों पर ईंधन नोजल के लिए अगला उपयोग शुल्क क्या होगा. ओह सॉरी, मुझे उन्हें इस तरह के विचार नहीं देने चाहिए.'' एक अन्य ने लिखा, ''जल्द ही, वे उड़ानों में और भी देरी करना शुरू कर देंगे, हमें दो घंटे से अधिक समय तक हवाई अड्डे पर बैठाएंगे और फिर प्रतीक्षा के दौरान सीटों का उपयोग करने के लिए हमसे "कुर्सी शुल्क" लेंगे. तीसरे ने मज़ाक में लिखा, ''सांस लेने के शुल्क के बारे में क्या? यात्री हवाई अड्डे और विमान में ऑक्सीजन ले रहा है? वह कर विभाजन कहां है?''

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