इंग्लैंड के स्कूल ने छात्रों को सुसाइड नोट लिखने को कहा तो भड़के परिजन. तस्वीर: प्रतीकात्मक
लंदन:
ब्रिटेन के एक स्कूल ने स्टूडेंटस को बेहद अजीबोगरीब होमवर्क दिया है. यहां के एक स्कूल ने शेक्सपियर के दुखांत नाटक 'मैकबेथ' पर एक मॉड्यूल के तहत 60 से अधिक स्टूडेंटस से होमवर्क के रूप में सुसाइड नोट लिखने को कहा. इससे भड़के रोष से स्कूल को माफी मांगनी पड़ी. लंदन के थॉमस टैलिस स्कूल के विद्याथर्यिों से कहा गया कि वे अपने प्रियजन को सुसाइड नोट लिखें. टेलीग्राफ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अंग्रेजी शिक्षक के इस निर्देश से बच्चों के माता-पिताओं में रोष फैल गया और उन्होंने कहा कि मुद्दे से उनके बच्चे निजी तौर पर प्रभावित हुए हैं. स्कूल की मुख्य अध्यापिका कैरोलिन रॉबर्टस ने कहा कि एक बच्चे के माता-पिता ने इस संबंध में हमसे संपर्क किया और हमने स्कूल की तरफ से उनसे माफी मांग ली.
मालूम हो कि 'मैकबेथ' शेक्सपियर के दुखान्त नाटकों में अत्यन्त लोकप्रिय है. इनके रचनाकाल के संबंध में मतभेद है. हालांकि माना जाता है कि शेक्सपियर ने 1605-06 में मैकबेथ की रचना की थी. वस्तुतः यह युग शेक्सपियर जैसे महान मेधावी नाटककार के लिए अपनी दुःखान्त कृतियों के अनुकूल भी था.
शेक्सपियर ने जिस प्रकार अपने अन्य नाटकों के कथानकों के लिए दूसरी पूर्ववर्ती कृतियों से प्रेरणा ली है उसी प्रकार मूल रूप में 'मैकबेथ' का कथानक भी उसका अपना नहीं है. यह एक दुःखान्त नाटक है एवं इसके कथानक का आधार विश्वविश्रुत अंग्रेजी लेखक राफेल होलिन्शेड की स्कॉटलैण्ड-संबंधी एक ऐतिहासिक कृति है. 'मैकबेथ' में जिन घटनाओं का वर्णन है उन्हें पूर्णतया ऐतिहासिक अथवा काल्पनिक मान लेना भी युक्तियुक्त न होगा.
इनपुट: भाषा
मालूम हो कि 'मैकबेथ' शेक्सपियर के दुखान्त नाटकों में अत्यन्त लोकप्रिय है. इनके रचनाकाल के संबंध में मतभेद है. हालांकि माना जाता है कि शेक्सपियर ने 1605-06 में मैकबेथ की रचना की थी. वस्तुतः यह युग शेक्सपियर जैसे महान मेधावी नाटककार के लिए अपनी दुःखान्त कृतियों के अनुकूल भी था.
शेक्सपियर ने जिस प्रकार अपने अन्य नाटकों के कथानकों के लिए दूसरी पूर्ववर्ती कृतियों से प्रेरणा ली है उसी प्रकार मूल रूप में 'मैकबेथ' का कथानक भी उसका अपना नहीं है. यह एक दुःखान्त नाटक है एवं इसके कथानक का आधार विश्वविश्रुत अंग्रेजी लेखक राफेल होलिन्शेड की स्कॉटलैण्ड-संबंधी एक ऐतिहासिक कृति है. 'मैकबेथ' में जिन घटनाओं का वर्णन है उन्हें पूर्णतया ऐतिहासिक अथवा काल्पनिक मान लेना भी युक्तियुक्त न होगा.
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