महाराष्ट्र का कोल्हापुर शहर प्रगतिशील विचारों को मानने वाला शहर है. यहां राजर्षि शाहू महाराज ने महिलाओं के साथ अन्याय करने वाली कई पुरानी परम्पराओं को तोड़ा है. अब कोल्हापुर के हेरवाड़ ग्राम पंचायत में एक बेटे ने विधवा प्रथा को तिलांजलि देते हुए अपने पिता की मौत के बाद अपनी मां की दूसरी शादी करवाई, वो भी धूमधाम से, जिसके बाद परिवार में खुशी लहर दौड़ उठी.
सामाजिक कुरीति को तोड़ने वाले बेटे का नाम युवराज शेले है. 23 साल के युवराज के पिता नारायण की दो साल पहले एक दुर्घटना में मौत हो गई थी. बेटे ने देखा कि उसके बाद से मां रत्ना उदास और परेशान रहने लगी थीं. समाज भी उन्हें विधवा की नजर से देखने लगा था. केवल 45 साल की उम्र में मां का ये हाल 23 साल के बेटे से देखा नही गया और उसने अपनी मां की दूसरी शादी कराने की ठान ली.
बेटे ने जान पहचान के ही एक किसान मारुति को मां से शादी के लिए राजी कर लिया, लेकिन अब उसके सामने चुनौती थी मां को दूसरी शादी के लिए तैयार करने की. पहले दिन मां ने साफ इनकार कर दिया. डर था कि समाज क्या कहेगा? लेकिन बेटा लगातार उसे समझाता रहा. आखिरकार बेटे के जिद के आगे मां को अपनी जिद छोड़नी पड़ी और वो दूसरी शादी के लिए राजी हो गई.
खास बात है कि आस-पड़ोस के सभी ने बेटे के इस प्रयास का समर्थन किया और शादी समारोह में शामिल भी हुए. मां रत्ना का कहना है कि, 'बेटे की शादी कराने की उम्र थी, लेकिन बेटे के जिद के लिए मुझे खुद अपनी शादी करनी पड़ी. मै खुश हूं.' इससे बेटे की इच्छा पूरी हुई. रत्ना की मांग फिर से भर गई और अब तीनों राजी खुशी रह रहे हैं. बेटे और मां के इस साहसिक निर्णय से कोल्हापुर प्रगतिशील आंदोलन में एक और कदम आगे बढ़ गया है.
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