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This Article is From Oct 15, 2015

घंटों कुर्सी से चिपके रहना पड़ता है तो अब टेंशन लेने की जरूरत नहीं

घंटों कुर्सी से चिपके रहना पड़ता है तो अब टेंशन लेने की जरूरत नहीं
प्रतीकात्मक फोटो
लंदन: अपनी मर्जी से या मजबूरी से अगर आपको घंटों कुर्सी से चिपके रहना पड़ता है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। पांच हजार से ज्यादा लोगों पर किए गए एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि घर में या दफ्तर में घंटों बैठे रहने वालों की जान को कोई जोखिम नहीं है।

एक्सेटर और यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन का यह अध्ययन पिछले अध्ययनों में किए गए इन दावों को चुनौती देता है कि देर तक बैठे रहना जल्दी मौत होने के खतरे को बढ़ाता है, भले ही आप शारीरिक रूप से सक्रिय रहते हों।

16 वर्ष तक किया गया है अध्ययन
यह अध्ययन पांच हजार से ज्यादा प्रतिभागियों पर 16 वर्ष तक किया गया। यह शोध के इस क्षेत्र में सबसे लंबे फॉलो अप अध्ययनों में से एक है।

एक्सेटर विश्वविद्यालय में खेल और स्वास्थ्य विज्ञान विभाग में कार्यरत डॉ मेल्विन हिलस्डन ने कहा कि हमारा अध्ययन बैठने से होने वाले स्वास्थ्य खतरों की मौजूदा सोच के विपरित है और संकेत देता है कि समस्या लगातार बैठे रहने में नहीं बल्कि गतिविधि नहीं होने के कारण होती है।

ऊर्जा की खपत कम तो सेहत के लिए नुकसान
उन्होंने कहा कि कोई भी स्थिर मुद्रा जहां ऊर्जा की खपत कम है सेहत के लिए नुकसानदेह है चाहे बैठे रहना हो या खड़े रहना। हिलस्डन ने कहा कि यह नतीजे सिट-स्टैंड वर्क स्टेशन जैसी सुविधाओं पर सवाल खड़े करते हैं, जो काम करने के वातावरण को स्वस्थ बनाने के इरादे से नियोक्ताओं द्वारा प्रदान किए जा रहे हैं।

अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों ने अपने बैठने के कुल समय के बारे में जानकारी मुहैया कराई, और बैठने के विशिष्ट तरीकों के बारे में बताया : दफ्तर में बैठना, खाली वक्त के दौरान बैठना, टीवी देखने के दौरान बैठना और टीवी नहीं देखने के दौरान खाली वक्त में बैठना: साथ ही रोजाना चलने की गतिविधियों की जानकारी दी और शारीरिक सक्रियता के बारे में भी जानकारी दी।

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