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This Article is From Jul 22, 2020

कोरोना के चलते मां बेटे से हजार किलोमीटर दूर, रोज बच्चे को ऐसे पहुंचाया जा रहा मां का दूध

करीब एक महीने से 33 वर्षीय जिकमेट वांगडुस अपने साले के साथ दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा जा रहे हैं. वह वहां से एक बॉक्स लेते हैं जो कोई साधारण बॉक्स नहीं है. उस बॉक्स में उनके नवजात शिशु के लिए उसकी मां का दूध होता है जो लेह से आता है. 

कोरोना के चलते मां बेटे से हजार किलोमीटर दूर, रोज बच्चे को ऐसे पहुंचाया जा रहा मां का दूध
नवजात शिशु के लिए प्रति दिन लेह से दिल्ली लाया जा रहा मां का दूध

करीब एक महीने से 33 वर्षीय जिकमेट वांगडुस अपने साले के साथ दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा जा रहे हैं. वह वहां से एक बॉक्स लेते हैं जो कोई साधारण बॉक्स नहीं है. उस बॉक्स में उनके नवजात शिशु के लिए उसकी मां का दूध होता है जो लेह से आता है. बॉक्स में सात छोटे-छोटे डिब्बे होते हैं जिनमें मां का दूध होता है. वांगडस के शिुश की हाल ही में यहां के एक निजी अस्पताल में सर्जरी हुई है.

इस शिशु का जन्म 16 जून को लेह के सोनम नूरबो मेमोरियल अस्पताल में आपरेशन से हुआ और उसकी 30 वर्षीय दोरजे पाल्मो ने महसूस किया कि बच्चा मां का दूध पीने में असमर्थ है. वांगडुस ने कहा कि वह उस समय मैसूर में थे और उनके घर वालों ने उनसे और उनके गुरुजी के परिवार के सदस्यों से संपर्क किया जो डॉक्टर हैं. डाक्टरों ने बच्चे को तुरंत दिल्ली या चंडीगढ़ में एक बड़े अस्पताल में भेजने का सुझाव दिया.

इसके बाद उनका साला जिग्मत ग्यालपो 18 जून की सुबह बच्चे को लेकर विमान से दिल्ली पहुंचा. वांगडुस मैसूर में एक शैक्षणिक संस्थान में प्रबंधक के रूप में काम करते हैं. वह भी उसी दिन सुबह दिल्ली पहुंच गए. लेह और दिल्ली के बीच सड़क मार्ग से दूरी करीब 1000 किमी है और सीधी उड़ान में एक घंटे और 15 मिनट लगते हैं. बच्चे को उसके पिता और मामा ने मैक्स अस्पताल, शालीमार बाग में भर्ती कराया.

लड़के को एनआईसीयू (नवजात शिशु सघन चिकित्सा इकाई) में भर्ती कराया गया. मैक्स अस्पताल में बाल रोग विभाग के प्रमुख सलाहकार, डॉ हर्षवर्धन ने बच्चे का इलाज किया कहा कि यह असामान्य बीमारी नहीं है तथा हर हजार बच्चों में लगभग तीन बच्चे इससे प्रभावित होते हैं. उन्होंने कहा कि बच्चे की सर्जरी की गयी जो लगभग तीन घंटे चली. चार दिन के बच्चे की यह जटिल सर्जरी सफल रही.

डॉक्टर ने कहा कि बच्चे को तीन दिन तक एनआईसीयू में रखा गया था और नली से दूध दिया गया. इसके बाद उन्होंने बच्चे के पिता को मां के दूध की आवश्यकता के बारे में बताया. 

वांगडुस ने कहा कि एक बहुत ही उदार निजी विमानन कंपनी ने हर दिन बॉक्स मुफ्त में भेजने की सुविधा प्रदान की और लेह में उनके मित्रों तथा दिल्ली आने वाले यात्रियों ने मदद की. उन्होंने कहा, ‘मेरी पत्नी कोरोना वायरस के कारण दिल्ली आने में असमर्थ थी और इसलिए हमें इस तरीके से प्रबंध करना पड़ा. बालक अब स्वस्थ है और वह शु्क्रवार को अपनी मां से मिल सकेगा.'

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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