वाशिंगटन:
कम्प्यूटर, आईपैड व आईफोन निर्माता कंपनी एप्पल के दूरदर्शी सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स ने पर्सनल कम्प्यूटर से लेकर संगीत उद्योग तक हर जगह कई तरह से अपनी छाप छोड़ी। स्टीव के लिए यह बात भी काफी मायने रखती थी कि एक उत्पाद दिखता कैसा है, कैसा महसूस होता है और साथ ही तकनीकी विशिष्टता कैसे हासिल करता है। पर्सनल कम्प्यूटर या पीसी निर्माताओं ने जहां प्रोसेसर की तेज गति पर ध्यान दिया, वहीं स्टीव ने डिजाइन के सरलीकरण पर ज्यादा ध्यान दिया। व्यापार पत्रिका 'फॉर्च्यून' ने बताया है कि स्टीव ने किस तरह से दुनिया को बदला। एप्पल की टाइटेनियम के स्थान पर एल्युमीनियम से बनी नोटबुक्स खूब लोकप्रिय हुई। उनकी कुछ समय पहले ही पेश हुई मैकबुक एयर नोटबुक में डिजाइन, कीमत व उसके काम की खूबियों का सुंदर सामंजस्य है। साल 2003 में उन्होंने आईट्यून्स पेश किया था। इसकी दुनियाभर में सबसे ज्यादा ऑनलाइन खुदरा बिक्री होती है। इसके दुनियाभर में 20 करोड़ से ज्यादा पंजीकृत यूजर हैं, जिन्होंने 15 अरब से ज्यादा गीत डाउनलोड किए हैं। साल 2011 में शुरू हुई आईट्यून्य सेवा अपनी स्थिति को और मजबूत बनाएगी। कम्पनी के एप्पल 2 कम्प्यूटर पेश करने के बाद से काफी बदलाव हुए हैं। एप्पल 2 एक प्रकार का 8-बिट का कम्प्यूटर था जिस पर प्लास्टिक का आवरण होता था। साल 1980 में यह बेहद सफल कम्प्यूटर था, इससे लोगों के काम करने के तरीके में क्रांतिकारी परिवर्तन आ गया था। बाद में विंडोज आधारित मैक कम्प्यूटर की बिक्री बढ़ने के बावजूद इसने अपनी जगह बनाए रखी। वास्तव में सितम्बर 2011 की तिमाही में मैक की बिक्री 44 लाख से 46 लाख के बीच होकर इसके एक नया रिकॉर्ड कायम करने की उम्मीद है। पर्सनल कम्प्यूटर के बाद का काल टैबलेट-लैपटॉप हाइब्रिड आईपैड का समय है। साल 2010 में इनकी करीब 1.47 करोड़ की बिक्री हुई और पिछली तिमाही में इस बिक्री में 183 प्रतिशत की वृद्धि हुई। ज्यादातर लोग ऐसी पोर्टेबल युक्ति चाहते हैं जिसे वह आसानी से हर कहीं ले जा सकें। एप्पल ऑपरेटिंग सिस्टम ने एमएस-डॉस, विंडोज या लाइनेक्स से प्रतिस्पर्धा करने की बजाए हमेशा सरलीकरण की तरफ ध्यान दिया है। उसके मैक ओएस सिस्टम 7 या मैक ओएसएक्स से उसका यह दृष्टिकोण समझा जा सकता है। नेक्स्ट कम्पनी ने कार्यालय में इस्तेमाल के लिए इन्हें डिजाइन किया था। अंत में स्टीव का योगदान सिर्फ स्मार्टफोन, टैबलेट या ऑपरेटिंग सिस्टम तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने डूब रही एप्पल कम्पनी को एक बार फिर खड़ा किया और अब यह दुनिया की सबसे मजबूत कम्पनियों में से एक है। उनके 10 साल के अंतराल के बाद 1997 में एप्पल में लौटने पर उन्होंने इसे दुनिया की सबसे मूल्यवान प्रौद्योगिकी सम्पन्न कम्पनी बनाकर माइक्रोसॉफ्ट या एचपी जैसी कम्पनियों को पीछे छोड़ दिया। 'फॉर्च्यून' पत्रिका के मुताबिक व्यापार के इतिहास में यह सबसे बड़ा बदलाव था।
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