
फाइनेंस एडवाइजर और कंटेंट क्रिएटर अक्षत श्रीवास्तव ने भारत लौटने के अपने फैसले पर खेद व्यक्त करके ऑनलाइन बहस छेड़ दी है. उन्होंने अपने फॉलोअर्स को दुबई या सिंगापुर जाने पर विचार करने की सलाह दी. एक्स पर कई पोस्ट में, निवेश समुदाय विज़डम हैच के संस्थापक, अक्षत श्रीवास्तव ने बताया कि वह पहले सिंगापुर में रहते थे, लेकिन "यहां अपना जीवन बनाने" के लिए भारत लौट आए. हालांकि, देश में बढ़ती "नफ़रत, कट्टरता और घोर मूर्खता" और कठिन आर्थिक परिस्थितियों का हवाला देते हुए, उन्होंने खुलासा किया कि वह फिर से विदेश चले गए हैं. एक ऐसा फैसला जिससे वह बहुत खुश हैं.
श्रीवास्तव ने लिखा, "एक समय था जब मैंने सिंगापुर छोड़ने और भारत वापस आने का फैसला किया था. यहां अपना जीवन बनाने के लिए. मैं एक मूर्ख देशभक्त व्यक्ति था. फिर मैंने दिन-ब-दिन यही देखा: मूर्ख लोग हाई टैक्स समर्थन कर रहे हैं, मूर्खतापूर्ण आर्थिक कदम, बेरोजगारी, क्रोनी बिजेसेस. वे अपनी ही बर्बादी की खुशी मना रहे थे. इसलिए मैंने यहां से जाने का फैसला किया. और मैं अपने फैसले से बहुत खुश हूं."
I used to laugh when people said: "The ultimate goal of an Indian is to leave India"
— Akshat Shrivastava (@Akshat_World) July 7, 2025
At one point in time: I decided to leave Singapore. And, come back to India. To build a life here.
I was a stupid patriotic person.
Then I saw that day-by-day: dumb people defending high… https://t.co/tmkfNtUVV6
अपनी कड़ी आलोचना के बावजूद, उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि "भारत मेरी मातृभूमि थी और हमेशा रहेगी. मैं इससे प्यार करता हूं और हमेशा करता रहूंगा." हालाँकि, उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि उन्हें अपने बच्चों और खुद को "आज की नफ़रत, कट्टरता और घोर मूर्खता" के अधीन करने में कोई तुक नहीं दिखता. उन्होंने लिखा, "दुनिया उन मेहनती लोगों के लिए काफ़ी बड़ी है जो योग्यता के आधार पर प्रतिस्पर्धा करना चाहते हैं."
दूसरों को भी दी सलाह
एक अलग पोस्ट में, अक्षत ने साथी भारतीयों को दुबई या सिंगापुर में बस जाने की सलाह दी. उन्होंने कहा, "दोस्तों: बस दुबई या सिंगापुर चले जाओ. कोई भी आपसे स्थानीय भाषा सीखने की उम्मीद नहीं करता. अगर आप जानते हैं तो यह एक फ़ायदा है - लेकिन अगर आप नहीं जानते तो गुंडों द्वारा आपकी पिटाई नहीं की जाएगी. बस क़ानून का पालन करो. एक अच्छे निवासी बनो. उनकी अर्थव्यवस्था में योगदान दो और बदले में अच्छी सुविधाएं पाओ. अपने बच्चों के लिए बेहतर भविष्य और अच्छे करियर के अवसर. जियो और जीने दो."
ऑनलाइन छिड़ी बहस
अक्षत के पोस्ट ने ऑनलाइन एक बहस छेड़ दी है, एक यूज़र ने लिखा, "यह कोई समाधान नहीं है. अपने देश से भाग जाना और दूसरों को हमेशा के लिए ऐसा करने के लिए उकसाना पूरी तरह से स्वार्थी है. इसके बजाय, अपने देश की भलाई के लिए बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल करें और यहां की समस्याओं को सुलझाने में मदद करें. अगर नहीं, तो गुमराह न करें."
एक अन्य ने लिखा, "जिन देशों के बारे में आप सोच रहे हैं, उन्होंने या तो खूनी लड़ाइयां लड़ी हैं या ऐसी सीमाएं तय की हैं जहां प्रवासी हस्तक्षेप नहीं कर सकते. मध्य पूर्व बाहरी लोगों को ज़्यादा अधिकार नहीं देता और पश्चिम प्रवासियों द्वारा पुरानी चीज़ें आयात करने के बाद समस्याओं का सामना कर रहा है, कनाडा इसका एक उदाहरण है. स्थिति और बिगड़ती ही जा रही है."
हालांकि, एक तीसरे यूज़र ने उनसे सहमति जताई. उन्होंने लिखा, "बहुत सही कहा, भाषा की बकवास के लिए किसी पर हमला करना बंद होना चाहिए. बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, सुरक्षा, भ्रष्टाचार के लिए लड़ो. भाषा का अभिमान काम नहीं आता. भारतीय नागरिक खुद को अप्रासंगिक बनाने की होड़ में हैं!!"
एक अन्य ने लिखा, "दुबई में 10 साल बिताने के बाद, किसी ने मुझे अरबी या कोई और भाषा बोलने के लिए कभी मजबूर नहीं किया. हालांकि स्थानीय भाषा सीखने से मुझे फ़ायदा ज़रूर होता, लेकिन मुझे कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि मैं स्थानीय भाषा सीखे बिना ज़िंदा नहीं रह सकता."
एक यूजर ने कमेंट किया, "अगर आपके पास हुनर और सोच है, तो आगे बढ़िए. लेकिन इसे विकास के लिए कीजिए, पलायन के लिए नहीं."
ये भी पढ़ें: सुबह-सुबह दिल्ली-NCR में भूकंप के तेज़ झटके, सोशल मीडिया पर आई मीम्स की बाढ़
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं