प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इथियोपिया के बाद दो दिन के दौरे पर ओमान पहुंचे हैं. इस ऐतिहासिक यात्रा के दौरान भारत और ओमान के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत होनी है. ऐसे में ओमान में रहने वाले भारतीय समुदाय और वहां के सबसे अमीर भारतीय कारोबारी पीएनसी मेनन एक बार फिर चर्चा में हैं. पीएनसी मेनन की कहानी संघर्ष, मेहनत और आत्मविश्वास की ऐसी मिसाल है, जिसने उन्हें 50 रुपये से 23 हजार करोड़ रुपये के कारोबारी साम्राज्य तक पहुंचा दिया.
पीएम मोदी का ओमान दौरा क्यों है खास?
पीएम मोदी का यह दौरा भारत और ओमान के बीच राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष पूरे होने के अवसर पर हो रहा है. इस दौरान ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक से द्विपक्षीय बातचीत होगी. भारत-ओमान मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर होने हैं. और पीएम मोदी वहां भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे. इस समझौते से भारत के टेक्सटाइल, फुटवियर, ऑटोमोबाइल, जेम्स एंड ज्वैलरी, रिन्यूएबल एनर्जी और ऑटो कंपोनेंट्स सेक्टर को सीधा फायदा मिलने की उम्मीद है.

कौन हैं पीएनसी मेनन?
पीएनसी मेनन ओमान के सबसे अमीर शख्स माने जाते हैं. वह शोभा लिमिटेड के संस्थापक और प्रमुख हैं. उनका जन्म केरल के पालघाट जिले में हुआ था. उनका पूरा नाम पुथन नादुवक्कट चेंथमरक्ष मेनन है. मेनन की जिंदगी में पहला बड़ा संकट तब आया जब वह सिर्फ दस साल के थे. उनके पिता का असमय निधन हो गया. पिता किसान थे. इसके बाद परिवार पर आर्थिक परेशानियों का पहाड़ टूट पड़ा. मां अक्सर बीमार रहती थीं. दादा अनपढ़ थे और पढ़ाई बीच-बीच में रुकती रही. आर्थिक तंगी के कारण मेनन बीकॉम की पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए.
बिना डिग्री शुरू किया काम
पेशेवर शिक्षा न होने के बावजूद मेनन ने हार नहीं मानी. उन्होंने इंटीरियर डिजाइन और फर्नीचर का काम शुरू किया. 1970 के दशक में उन्होंने लकड़ी के फर्नीचर की एक छोटी सी कंपनी खड़ी की. यहीं से उनकी किस्मत ने करवट ली. इस दौरान चीन के एक होटल में मेनन की मुलाकात ओमान की सेना के कैप्टन सुलेमान अल अदावी से हुई. उनके काम से प्रभावित होकर अदावी ने मेनन को ओमान आने का सुझाव दिया. मेनन ने जोखिम उठाया और जेब में सिर्फ 50 रुपये लेकर ओमान पहुंच गए.

ओमान में बदली किस्मत
ओमान में मेनन ने 3.5 लाख रुपये का लोन लिया. इंटीरियर डेकोरेशन कंपनी शुरू की. शानदार काम के दम पर बड़े प्रोजेक्ट हासिल किए. उनका हुनर ओमान की प्रतिष्ठित इमारतों जैसे सुल्तान कबूस मस्जिद और अल बुस्तान पैलेस में देखने को मिला. साल 1995 में मेनन भारत लौटे और बेंगलुरु में शोभा डेवलपर्स की नींव रखी, जिसका नाम उन्होंने अपनी पत्नी सोभा के नाम पर रखा. आज कंपनी 12 राज्यों में काम करती है. बाजार पूंजीकरण करीब 14,789 करोड़ रुपये है और कुल कारोबारी साम्राज्य लगभग 23 हजार करोड़ रुपये है.
क्वालिटी को लेकर सख्ती की मिसाल
इंफोसिस के हैदराबाद कैंपस में निर्माण कार्य पूरा होने के बाद सभी ने उसे मंजूरी दे दी. लेकिन जब मेनन ने खुद निरीक्षण किया, तो उन्होंने 10,000 वर्ग फीट की टाइल्स उखाड़कर दोबारा लगाने का आदेश दे दिया. यही वजह है कि शोभा लिमिटेड को आज गुणवत्ता का पर्याय माना जाता है. खुद पढ़ाई पूरी न कर पाने वाले मेनन ने समाज के लिए बड़ा सपना देखा. गांव में अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्कूल बनवाया. सुपरस्पेशलिटी अस्पताल बनवाए और बुजुर्गों के लिए वृद्धाश्रम भी बनवाए. वह भी गरीबों के लिए पूरी तरह मुफ्त.
युवाओं के लिए प्रेरणा
पीएनसी मेनन का जीवन युवाओं को यह सिखाता है कि हालात कितने भी कठिन हों, हार मानना विकल्प नहीं है. मेहनत और अनुशासन से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है. समय और गुणवत्ता से कभी समझौता नहीं करना चाहिए.
यह भी पढ़ें: चीन में डिलीवरी ब्वॉय को देखकर आपका दिमाग फट जाएगा! भूल जाएंगे Blinkit और Zepto
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं