हमारा देश आध्यात्मिक शक्तियों और प्राचीन धार्मिक स्थलों के लिए दुनिया भर में मशहूर है. इन जगहों के चमत्कारों और घटनाओं के बारे में जानकर आश्चर्य होना लाजिमी है. एक ऐसी ही घटना मध्यप्रदेश में नित्य रूप से होती है. शहडोल जिले के अंतिम छोर पर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा पर खड़ाखोह के जंगल में स्थित राजमाड़ा रामवन आश्रम में भगवान के भजन की धुन सुनते ही जंगल की गुफाओं से हिंसक जानवर भालू निकलकर आ जाते हैं. वे बड़ी श्रद्धा के साथ भजन सुनते हैं. इतना ही नहीं वे भजन के बाद प्रसाद भी ग्रहण करते हैं.
इन भालुओं की श्रद्धा की दास्तां मध्यप्रदेश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में भी खूब चर्चा में है. मध्यप्रदेश के शहडोल जिले की जैतपुर तहसील के छत्तीसगढ़ से सटे अंतिम छोर पर खड़ाखोह जंगल के दुर्गम स्थल राजमाड़ा में नदी से घिरा एक साधु का आश्रम है. इस दुर्गम स्थल पर सीताराम बाबा रामवन आश्रम में एक कुटिया बनाए हैं जिसमें वे निवास करते हैं.
इस कुटिया की खास बात यह है कि यहां सीताराम बाबा जैसे ही अपने वाद्य यंत्रों के साथ भगवान के भजन गाना शुरू करते हैं वैसे ही धुन सुनकर जंगल के भालुओं का एक दल श्रद्धा भाव के साथ वहां आ जाता है. भालुओं के इस दल में एक नर, एक मादा भालू व दो शावक हैं. जब तक बाबा सीताराम का भजन गायन चलता है तब तक भालु बड़े ही श्रद्धा भाव से भजन का आनंद लेते हैं. इसके बाद वे प्रसाद ग्रहण करके वापस जंगल में चले जाते हैं.
बंदरों के आतंक से परेशान ग्रामीणों को सूझी यह तरकीब, भालू की ड्रेस पहन बंदरों को भगाया
ये हिंसक भालू जब तक भजन व पूजा-पाठ चलता है तब तक किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते. यह इन भालुओं का रोज का नियम है. उनकी इस श्रद्धा की गाथा सुनने लोग दूर-दूर से आते हैं. यह स्थल लोगों की आस्था का केंद्र बन गया है. वहीं कुछ लोग इसे मनोरंजन के रूप में देखने आते हैं.
शख्स ने आग से बचाई भालू की जान तो पकड़ लिए पैर, उछलकर थामा हाथ... देखें Video
भालुओं की भक्ति की गाथा मध्यप्रदेश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में भी खूब चर्चा में है. शहडोल जिले की जैतपुर तहसील के ग्राम खोहरा बैरक के रहने वाले बाबा सीताराम ने सुख-शांति व भगवान की भक्ति में लीन होने के लिए वर्ष 2013 में इस बीहड़ जंगल में अपना आश्रम बनाया था. बाबा बताते हैं कि वे एक दिन अपने आश्रम में वाद्य यंत्रों के साथ भजन के गायन में लीन थे. जैसे ही बाबा की आंख खुली तो देखा कि भालुओं का एक दल आश्रम के बाहर शांति से भजन का आनंद ले रहा है. हिम्मत जुटाकर बाबा ने भालुओं को प्रसाद दिया. तब से आज तक यह सिलसिला चला आ रहा है. बाबा के वाद्य यंत्र व भजन की धुन सुनकर भालू दौड़े चले आते हैं.
शहडोल के राजमाड़ा में सीताराम बाबा की कुटिया में रामवन में जब दौड़े आते हैं भालू! @ndtvindia @SrBachchan @narendramodi_in @ChouhanShivraj @OfficeOfKNath @myogiadityanath @sachin_rt @LATunleashed #KuttiStory #KuttiStoryHits1MLikes #AskSushantSinha #KuttiStoryRecords pic.twitter.com/xuCRg0u2uC
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) February 15, 2020
नक्सलियों से लड़ने की ट्रेनिंग देने वाला जंगल वॉरफेयर कॉलेज इन दिनों खुद दहशत में, जानें- पूरा मामला
एक खास बात यह भी है कि भालू कभी भी बाबा के आश्रम की कुटिया के अंदर प्रवेश नहीं करते. बाबा के आश्रम में पिछले आठ वर्षों से लगातार एक धूनी जल रही है. बाबा पूजा पाठ के दौरान भालुओं को प्यार करते हैं. बाबा ने इन भालुओं के दल के सदस्यों का नामकरण भी किया है. वे इनमें से नर भालू को लाली व मादा को लल्ली कहते हैं. शावकों को उन्होंने चुन्नू और मुन्नू नाम दिया है. बाबा ने बताया कि पूजा पाठ का समय छोड़ दें तो बाकी समय वे जंगल में हिंसक जानवरो की तरह ही व्यवहार करते हैं. उनकी गुफा के नजदीक जाने में खतरा बना रहता है.
भालू ने बीजेपी नेता पर हमला कर किया घायल, अस्पताल में भर्ती
VIDEO : छत्तीसगढ़ में जंगली भालू को मारने के लिए चलाईं सौ गोलियां
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं