कहा जाता है कि मेहनत करने वालों की हार नहीं होती है, जो मेहनत करते हैं, उन्हें सफलता ज़रूर मिलती है. 55 साल के राजकरण बरुआ की कहानी सबसे अलग और जुदा है. एक डिग्री पाने की ज़िंद में उन्हें 25 साल का इंतज़ार करना पड़ा. इनकी कहानी मध्यप्रदेश के जबलपुर की है. राजकरण बरुआ पेशे से गार्ड हैं. एक झोपड़ी में रहते हैं, मगर पढ़ने का बहुत ही ज़्यादा शौक है. 25 साल की मेहनत के बाद उन्हें एमएससी मैथ्स की डिग्री प्राप्त हो गई. इस डिग्री के लिए उन्होंने जो भी कमाया उसे अपनी पढ़ाई में लगा दिया. पढ़ने की ललक ऐसी की तमाम विषम परिस्थितियों के बावजूद हार नहीं मानी. कमाए गए मासिक 5000-7000 रुपये से फीस भरते रहे, किताबें खरीदते रहे.
एमएससी प्रीवियस में राजकारण 23 बार असफल हुए. 2021 में आखिर उन्होंने एमएससी प्रीवियस पास कर ली फिर एक ही बार में एमएससी फाइनल के एग्जाम भी क्लियर कर लिया. राजकरण ने एनडीटीवी को बताया कि प्रीवियस में बहुत सारी पढ़ाई विदेशी किताबों से होती है जो अंग्रेजी में होती है. इसलिए इन्हें सफलता नहीं मिल रही थी. डिक्शनरी की मदद से ये अपनी पढ़ाई कर रहे है. वह लगातार वह एक विषय छोड़कर सभी में फेल हो रहे.
राजकरण ने सबसे पहले आर्कियोलॉजी में MA पास किया और संगीत की शिक्षा और डिग्री ली. एक स्कूल में पढ़ाने के लिए जाने लगे इनकी मैथ्स पढ़ाने के तरीके से प्रभावित होकर शिक्षकों ने सराहना की और उनके मन में गणित में एमएससी करने का विचार आ गया. यह इसी विचार को लेकर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में गणित विषय के साथ एमएससी करने के लिए 1996 में दाखिला ले लिया.
धैर्य से गुजारे 25 वर्ष
राजकरण बरुआ को यह नहीं मालूम था कि उन्होंने जो सपना देख लिया है वह इतना कठिन होगा. 1997 में पहली बार गणित विषय के साथ एमएससी की परीक्षा में बैठे और फेल हो गए लेकिन मन में तो एमएससी गणित से करने का सपना संकल्प ले लिया था. इसलिए एक बार फिर परीक्षा दी फिर फेल हो गए लगातार फेल होते रहे लेकिन धैर्य और साहस नहीं खोया. 2020 में कोविड के दौरान प्रीवियस परीक्षा पास की और 2021 में फाइनल कर लिया.
किसी को नहीं बताया अपनी शिक्षा के बारे में
राजकरण ने एनडीटीवी को बताया कि उन्हें पढ़ाई के लिए बहुत ही मेहनत करनी पड़ी. पैसे नहीं बचने के कारण गार्ड की नौकरी करनी पड़ी. सिक्योरिटी के अलावा कई और लोगों के काम करने पड़ते थे. पढ़ाई के कारण शादी नहीं हो पाई. मज़बूरी में झोपड़ी में रहना पड़ रहा है. राजकरण चाहते हैं कि एक स्कूल खोला जाए ताकि गरीब बच्चों की पढ़ाई हो सके. राजकरण सरकारी मदद भी चाहते हैं.
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