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100 साल बाद अचानक सऊदी अरब के रेगिस्तान में 'चमत्कार', लौट आया ये रहस्यमयी पक्षी

जिस पक्षी को कभी अरब कवियों ने अपनी शायरी में अमर किया और रोमन विद्वानों ने Camel Bird कहा, वह लगभग एक सदी बाद फिर से सऊदी अरब की धरती पर लौट आया है. ReWild Arabia पहल के तहत रेड-नेक्ड ऑस्ट्रिच की यह वापसी सिर्फ एक पक्षी की नहीं, बल्कि खोई हुई जैव-विविधता और सांस्कृतिक विरासत के पुनर्जन्म की कहानी है.

100 साल बाद अचानक सऊदी अरब के रेगिस्तान में 'चमत्कार', लौट आया ये रहस्यमयी पक्षी
100 साल बाद सऊदी अरब के रेगिस्तान में लौटा 'विलुप्त केमल बर्ड'

Saudi Arabia Camel Bird: सऊदी अरब के Prince Mohammed bin Salman Royal Reserve में एक ऐतिहासिक पल दर्ज किया गया, जब रेड-नेक्ड ऑस्ट्रिच (Red-necked Ostrich) को दोबारा रेगिस्तान में छोड़ा गया. यह पक्षी करीब 100 साल पहले अरब प्रायद्वीप से पूरी तरह गायब हो चुका था. इसकी वापसी ReWild Arabia Initiative के तहत की गई है, जिसका मकसद पुराने इकोसिस्टम को फिर से जिंदा करना है. यह ऑस्ट्रिच उस Arabian (Syrian) Ostrich का जैविक विकल्प है, जो 20वीं सदी की शुरुआत में अत्यधिक शिकार और आवास नष्ट होने की वजह से विलुप्त हो गया था.

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क्यों चुना गया रेड-नेक्ड ऑस्ट्रिच? (saudi arabia desert bird)

रेड-नेक्ड ऑस्ट्रिच को इसलिए चुना गया, क्योंकि यह विलुप्त Arabian Ostrich का सबसे नजदीकी जीवित जेनेटिक रिश्तेदार है. यह पक्षी बेहद गर्म मौसम, कम पानी और कठोर रेगिस्तानी हालात में जीवित रहने में सक्षम है. विशेषज्ञों के अनुसार, किसी भी इकोसिस्टम को दोबारा संतुलित करने के लिए ऐसे जीव जरूरी होते हैं, जो पुराने जीवों की तरह ही पर्यावरणीय भूमिका निभा सकें. यही वजह है कि यह प्रजाति लंबे समय के desert ecosystem restoration के लिए सबसे उपयुक्त मानी गई.

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ReWild Arabia और Vision 2030 का बड़ा कदम (Red-necked ostrich Saudi Arabia)

प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान रॉयल रिजर्व के CEO एंड्रयू जालूमिस ने इसे सऊदी अरब के संरक्षण प्रयासों के लिए भावनात्मक और परिवर्तनकारी पल बताया. उन्होंने कहा कि 2024 में फारसी ओनेगर (Persian Onager) की वापसी के बाद यह दूसरा बड़ा मील का पत्थर है. यह ऑस्ट्रिच रिजर्व में दोबारा बसाई जाने वाली 23 ऐतिहासिक प्रजातियों में से 12वीं है. यह पहल Vision 2030 और Saudi Green Initiative से जुड़ी है, जिनका लक्ष्य 2030 तक देश की 30% जमीन और समुद्री क्षेत्र को संरक्षित करना है.

इतिहास, संस्कृति और चट्टानों पर उकेरी यादें (Cultural and Historical Significance of Ostrich)

हजारों साल पहले अरब रेगिस्तान में ऑस्ट्रिच आम थे. आज भी रिजर्व इलाके में मिली sandstone petroglyphs यानी चट्टानों पर बनी आकृतियों में इनके झुंड और शिकार के दृश्य दिखाई देते हैं. रोमन विद्वान प्लिनी द एल्डर ने करीब 2000 साल पहले अपनी किताब Natural History में ऑस्ट्रिच को Camel Bird कहा था. वहीं अरबी साहित्य में ऑस्ट्रिच के 150 से ज्यादा नाम मिलते हैं, जो इसकी रफ्तार, ताकत और सहनशक्ति का प्रतीक थे.

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इकोसिस्टम के 'इंजीनियर' हैं ऑस्ट्रिच (Ostrich Role in Ecosystem Restoration)

ऑस्ट्रिच सिर्फ दिखने में ही विशाल नहीं होते, बल्कि पर्यावरण के लिए भी बेहद अहम हैं. ये पक्षी लंबी दूरी तक घूमते हुए बीज फैलाते हैं, जिससे पौधों की नई ग्रोथ होती है. इनके चलने और चोंच मारने से मिट्टी में हवा जाती है और पोषक तत्वों का चक्र बेहतर होता है. ये अरबियन ओरिक्स और ओनेगर जैसे जानवरों के साथ सहजीवी संबंध में रहते हैं. साथ ही, इनकी तेज नजर रेगिस्तान में खतरे का पहले संकेत भी देती है. रेड-नेक्ड ऑस्ट्रिच की सऊदी अरब में वापसी सिर्फ एक संरक्षण परियोजना नहीं, बल्कि यह दिखाती है कि सही योजना और वैज्ञानिक सोच से खोई हुई प्रकृति को दोबारा पाया जा सकता है. यह कदम न सिर्फ जैव-विविधता को मजबूत करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए रेगिस्तान की पुरानी रौनक भी लौटाएगा.

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