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बरमूडा ट्रायंगल के नीचे सो रहा है धरती का 'रहस्यमयी दानव'? वैज्ञानिक भी रह गए हैरान

जिस बरमूडा ट्रायंगल को जहाजों और विमानों के गायब होने से जोड़ा जाता रहा है, अब उसके नीचे धरती की गहराई में कुछ ऐसा मिला है, जो विज्ञान की किताबों में कहीं दर्ज ही नहीं था. वैज्ञानिकों को यहां एक अजीब, मोटी और हल्की चट्टान की परत मिली है, जिसने इस रहस्य को और गहरा कर दिया है.

बरमूडा ट्रायंगल के नीचे सो रहा है धरती का 'रहस्यमयी दानव'? वैज्ञानिक भी रह गए हैरान
बरमूडा ट्रायंगल की दुनिया में दहशत, 20 किमी मोटी अनोखी चट्टान ने बढ़ाई दुनिया की सबसे डरावनी मिस्ट्री

Mystery of Bermuda: वैज्ञानिकों ने बरमूडा द्वीप समूह के नीचे धरती की गहराई में एक ऐसी संरचना खोजी है, जो अब तक पृथ्वी पर कहीं नहीं देखी गई. यह संरचना समुद्री पपड़ी (Oceanic Crust) के ठीक नीचे मौजूद है और करीब 20 किलोमीटर मोटी चट्टान की परत के रूप में फैली हुई है. आमतौर पर समुद्री पपड़ी के नीचे सीधे मेंटल होता है, लेकिन बरमूडा के नीचे वैज्ञानिकों को एक एक्स्ट्रा लेयर मिली है, जो टेक्टोनिक प्लेट के भीतर फंसी हुई है. बरमूडा ट्रायंगल की मिस्ट्री अभी पूरी तरह सुलझी नहीं है, लेकिन धरती के नीचे मिली यह अनोखी चट्टान बता रही है कि कुछ रहस्य सिर्फ समुद्र की सतह पर नहीं, बल्कि उसकी गहराई में भी छिपे हैं.

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वैज्ञानिक क्यों हुए हैरान? (Why Scientists Are Shocked)

इस शोध के मुख्य लेखक और भूकंप वैज्ञानिक डॉ. विलियम फ्रेजर के मुताबिक, इतनी मोटी और हल्की चट्टान की परत दुनिया में कहीं और दर्ज नहीं की गई है. बरमूडा एक महासागरीय उभार पर स्थित है, जहां समुद्री पपड़ी अपने आसपास के इलाकों से करीब 500 मीटर ऊंची है, जबकि यहां 31 मिलियन साल से कोई ज्वालामुखी गतिविधि नहीं हुई. यही बात वैज्ञानिकों को सबसे ज्यादा चौंका रही है.

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हवाई जैसा नहीं है बरमूडा (Not Like Hawaii Hotspot Islands)

हवाई जैसे द्वीप मेंटल हॉटस्पॉट की वजह से बनते हैं, लेकिन बरमूडा का ज्वालामुखी करीब 3.1 करोड़ साल पहले शांत हो चुका है. आमतौर पर जब पपड़ी हॉटस्पॉट से दूर हटती है, तो उभार खत्म हो जाता है, लेकिन बरमूडा का उभार आज भी कायम है. यही सवाल इस खोज को और रहस्यमय बना देता है.

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कैसे लगी इस रहस्य की भनक? (How Was This Discovered)

डॉ. फ्रेजर और उनके साथी जेफरी पार्क ने बरमूडा में लगे एक भूकंपीय स्टेशन की मदद से दुनिया भर में आए बड़े भूकंपों की रिकॉर्डिंग का अध्ययन किया. भूकंपीय तरंगों में अचानक आए बदलावों से वैज्ञानिकों को धरती के अंदर करीब 50 किलोमीटर तक झांकने का मौका मिला. इसी दौरान यह असामान्य, कम सघन लेकिन मोटी चट्टान की परत सामने आई.

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क्या पैंजिया से जुड़ा है ये रहस्य? (Link to Ancient Supercontinent Pangaea)

स्मिथ कॉलेज की भूवैज्ञानिक सारा माजा के अनुसार, बरमूडा के लावा में कार्बन की मात्रा असामान्य रूप से ज्यादा है. उनका मानना है कि यह कार्बन मेंटल की गहराई से आया हो सकता है, जिसे 900 से 300 मिलियन साल पहले, जब सुपरकॉन्टिनेंट पैंजिया बन रहा था, तब नीचे धकेल दिया गया था. अटलांटिक महासागर पैंजिया के टूटने से बना एक नया महासागर है. शायद यही वजह है कि बरमूडा बाकी जगहों से इतना अलग है.

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क्या Bermuda Triangle की मिस्ट्री सुलझेगी? (Will This Solve the Bermuda Triangle Mystery?)

हालांकि वैज्ञानिक साफ कहते हैं कि इस खोज का सीधे तौर पर जहाजों या विमानों के गायब होने से कोई सबूत नहीं जुड़ा है, लेकिन यह नई संरचना यह समझने में जरूर मदद कर सकती है कि बरमूडा क्षेत्र भूगर्भीय रूप से इतना अलग क्यों है. यह खोज बरमूडा ट्रायंगल को लेकर फैली लोककथाओं और साइंस के बीच की दूरी को थोड़ा जरूर कम करती है.

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