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मस्ती के लिए पाकिस्तान में हो रहे फर्जी निकाह, मुस्लिम देश में ऐसा क्यों कर रहे लड़के-लड़की

Fake weddings: न रिश्तों का दबाव, न रिश्तेदारों की नजर...बस ढोल, मेहंदी और बेफिक्र हंसी. पाकिस्तान में युवाओं के बीच एक अजीब लेकिन दिलचस्प ट्रेंड फैल रहा है...फेक वेडिंग. देखने में पूरी शादी, लेकिन असल में कोई शादी नहीं. आखिर क्यों लोग नकली शादियों में असली खुशी ढूंढ रहे हैं?

मस्ती के लिए पाकिस्तान में हो रहे फर्जी निकाह, मुस्लिम देश में ऐसा क्यों कर रहे लड़के-लड़की
यह शादी नकली है, लेकिन मस्ती सौ टका असली! पाकिस्तान में 'फेक वेडिंग' का नया खेल

Fake weddings in Pakistan signal a cultural shift: पीले गेंदा फूलों से सजा स्टेज, मेहंदी की खुशबू, चमकदार लाइट्स और पारंपरिक संगीत...पहली नजर में सब कुछ एक आम पाकिस्तानी शादी जैसा लगता है, लेकिन जैसे ही आप ध्यान से देखते हैं, कहानी बदल जाती है. कहीं दूल्हा एक महिला है, कहीं दुल्हन सिर्फ एक किरदार. यह कोई समलैंगिक विवाह नहीं, बल्कि Pakistan Fake Weddings Trend का हिस्सा है. ऐसे आयोजन जहां शादी सिर्फ एक बहाना है, असल मकसद है बिना सामाजिक दबाव के जश्न मनाना.

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Photo Credit: pexels

2023 से वायरल हुआ अनोखा चलन (A Trend That Went Viral After 2023)

इस ट्रेंड को असली रफ्तार मिली साल 2023 में, जब लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (LUMS) में आयोजित एक फेक वेडिंग सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. वीडियो में छात्र पारंपरिक कपड़ों में नाचते-गाते दिखे और बस, इंटरनेट पर बहस छिड़ गई. जहां युवाओं ने इसे आजादी और क्रिएटिव एक्सप्रेशन कहा, वहीं आलोचकों ने इसे 'संस्कृति से खिलवाड़' बता दिया.

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वायरल होने की कीमत भी चुकानी पड़ी (When Going Viral Came at a Cost)

वायरल होने के साथ ही ऑनलाइन ट्रोलिंग, परिवारों का गुस्सा और संस्थानों पर दबाव भी बढ़ा. कई छात्रों को बिना उनकी मर्जी के पहचान उजागर होने का डर झेलना पड़ा. कुछ छात्राओं के लिए यह सिर्फ एक पार्टी नहीं रही, बल्कि घर में जवाब देने की मुश्किल घड़ी बन गई. यही वजह है कि अब ऐसे आयोजनों में प्राइवेसी और नो-सोशल-मीडिया जैसे नियम अपनाए जा रहे हैं.

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महिलाओं के लिए सुरक्षित स्पेस (A Safe Space Especially for Women)

फेक वेडिंग्स की सबसे बड़ी खासियत है...महिलाओं की आजादी. पारंपरिक शादियों में जहां महिलाओं को 'संयमित' रहने की सलाह दी जाती है, वहीं यहां हंसी, डांस और खुद को खुलकर जीने की छूट है. महिलाओं को न केवल मेहंदी इवेंट्स में न कोई रिश्तेदार की घूरती नजर, न समाज का डर है. यही कारण है कि women-only fake weddings in Pakistan तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं.

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'डी-कोलोनाइजिंग' शादी का एहसास (A Decolonized, Desi Celebration)

कुछ प्रतिभागियों के लिए ये आयोजन सिर्फ पार्टी नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक स्टेटमेंट हैं. वेस्टर्न थीम पार्टियों की जगह देसी ढोल, लोक संगीत और पारंपरिक परिधान, यानी असली साउथ एशियन जश्न. युवाओं का मानना है कि फेक वेडिंग्स उन्हें अपनी संस्कृति को नए, रचनात्मक अंदाज में जीने का मौका देती हैं.

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शादी इंडस्ट्री में नई हलचल (A New Niche in the Wedding Industry)

पाकिस्तान की वेडिंग इंडस्ट्री करीब 900 अरब पाकिस्तानी रुपये की मानी जाती है. ऐसे में फेक वेडिंग्स ने भी एक नया बाजार बना लिया है...सस्ते डिजाइनर कपड़े, नए फोटोग्राफर, इनोवेटिव थीम्स. कुछ आयोजक इसे 'कॉपी-पेस्ट शादियों' का जवाब मानते हैं, जहां क्रिएटिविटी ही असली गहना है. फेक वेडिंग्स असली शादी का विकल्प नहीं, बल्कि एक सवाल हैं...क्या जश्न मनाने के लिए जिंदगी भर का बंधन जरूरी है? पाकिस्तान के युवा शायद यही कह रहे हैं..कभी-कभी नकली शादी में असली आजादी मिल जाती है.

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