
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि जो इंसान सीधा और शरीफ होता है, उसे हर कोई दबाने की कोशिश करता है. इसका कारण यह है कि इस सीधे और शरीफ इंसान में दूसरे को ना कहने की हिम्मत नहीं होती है. उसे लगता है कि अगर वो मना करेगा तो सामने वाला बुरा मान जाएगा. दूसरी तरफ ऐसे भी लोग होते हैं, जो दूसरे के लिए बहुत सॉफ्ट होते हैं और लोग उन्हें गलत मान बैठते हैं. इस पर वैज्ञानिकों ने चेताया है कि वर्कप्लेस में ऐसे लोगों का सबसे ज्यादा शोषण होता है. हालांकि वर्कप्लेस पर हेल्पफुल होना गलत बात नहीं है, लेकिन इतना भी नहीं होना कि सामने वाला आपका फायदा उठा ले. सोशल साइकोलॉजिस्ट और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर टेसा वेस्ट का कहना है कि वर्कप्लेस पर दयालु और सहयोगी होना महत्वपूर्ण है, लेकिन अगर आप ऐसा जरूरत से ज्यादा करने लगेंगे, तो आपके सहकर्मी आपसे अलर्ट हो जाएंगे, उन्हें लगेगा कि आप उससे मतलब से जुड़े हुए हैं.
ज्यादा अच्छा होना पड़ सकता है भारी (Being "Too Nice" At Work Can Backfire)
सीएनबीसी मेक इट से बात करते हुए वेस्ट ने बताया कि 'बहुत अच्छा' होना, खास तौर पर फीडबैक देते समय, वास्तव में वर्कप्लेस पर विश्वास और ऑथेंटिसिटी को नुकसान पहुंचा सकता है. उन्होंने कहा कि समय के साथ लगातार पॉजिटिव रहने वाले लोग आपके इरादों पर शक करने लग सकते हैं. उन्हें लग सकता है कि आप उसकी हेल्प अपने मतलब या फिर उन्हें दगा देने के लिए कर रहे हैं. वेस्ट ने आगे कहा, 'लगभग हर कोई किसी न किसी समय खुद को अनकंफर्ट सोशल कॉन्ट्रैक्ट में पाता है, हममें से ज्यादातर लोग इस कंफर्ट से निपटने के लिए बहुत ज्यादा मुस्कुराना, बेवजह हंसना और बातचीत को पॉजिटिव बनाने की पूरी कोशिश करते हैं, लेकिन यह उल्टा भी पड़ सकता है'. इसलिए एक्सपर्ट का कहना है कि आपका वर्कप्लेस पर आपका व्यवहार ऐसा हो कि लोग आप पर शक ना कर पाए. हालांकि आप सच्चे दिल से उसकी मदद कर रहे हैं, लेकिन मानसिक तौर पर इस आदत को शक की नजर से ही देखा जाता है.
एक्सपर्ट का क्या कहना है? (Psychologist Warning)
वेस्ट के अनुसार, लोग नॉन-वर्बल संकेतों, जैसे कि आवाज की टोन और शरीर की भाषा के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं, जब कोई व्यक्ति अचानक तारीफ और मजबूरी भरी मुस्कुराहट के साथ चिंता को छिपाता है, तो दूसरे लोग अक्सर उसके अंदर छिपे छल कपट को समझ सकते हैं. वेस्ट का मानना है कि दिखावटी तारीफ करने के बजाय, लोग सच्चे मन से लोगों को उनकी किए पर फीडबैक दें. उन्होंने कहा, 'अगर आप किसी को ठीक-ठीक बताते हैं कि उन्होंने क्या अच्छा किया या सुधार के लिए सुझाव देते हैं, तो आप उन्हें ज्यादा हेल्पफुल लगेंगे'. उदाहरण के लिए, किसी भी काम को 'उबाऊ' कहने के बजाय, यह कहना बेहतर है कि 'यह बहुत पेचीदा है. वेस्ट का मानना है कि इससे फीडबैक में ईमानदारी झलकती है और सामने वाले का आपके प्रति विश्वास भी बढ़ता है.
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