अहमदाबाद के एनआईडी में नोटों की कतरनों से बनाया गया लैंप.
अहमदाबाद:
आजकल नेशनल स्कूल ऑफ डिजाइन (एनआईडी) में बेहद खूबसूरत लेम्प शेड, पौराणिक कथानकों पर आधारिक शो पीस देखने को मिल रहे हैं. वैसे तो यह सभी आम बाजार में किसी भी हेंडीक्रॉफ्ट मेले में मिलने वाले सामान जैसा ही लगता है, लेकिन यह जिस मटेरियल से बना है वह उसकी कीमत और अहमियत बढ़ा देता है. यह सजावटी सामान प्रचलन से बाहर किए गए हजार और पांच सौ के नोटों की कतरनों से बना है.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने अहमदाबाद की डिज़ाइन संस्था एनआईडी को नोटों की कतरनें दी हैं कि ताकि उसका कुछ रचनात्मक उपयोग किया जा सके. एनआईडी के डायरेक्टर प्रद्युम्न व्यास कहते हैं कि इसमें दो बड़े अहम संदेश जुड़े हैं. एक तो रीसाइक्लिंग का है और दूसरा जो भी प्रोडक्ट इससे बनाए जाएंगे उसमें एक स्टोरी होगी बताने के लिए कि यह कभी करेंसी नोट थे. आम तौर पर करेंसी नोट खत्म होने के बाद तो उसकी कोई कीमत नहीं है लेकिन उसको किस तरीके से डिजाइन के माध्यम से कीमती बनाया जाए इसकी पूरी कवायद चल रही है.
कुछ समय पहले यहां के छात्रों को बताया गया कि आपको लाखों रुपये मिलने वाले हैं, प्रोजेक्ट के लिए. पहले तो बच्चे खुश हुए लेकिन जब बच्चों ने देखा कि बोरों में भरकर रुपये आए हैं, तो कुछ समय के लिए वे भी चक्कर खा गए. लेकिन जब प्रोजेक्ट की हकीकत खुली तो वे रोमांचित हो गए कि यह सचमुच उनको एक रचनात्मक प्रोजेक्ट करने का मौका मिल रहा है.
छात्रा मुग्धा पाटिल कहती हैं कि वैसे तो नोटबंदी से देश में बहुत लोगों को परेशानी हुई थी. इसकी वजह से लाइन में खड़े रहना पड़ा था. लेकिन उसके बाद अगर हम इस चीज का कुछ अच्छा उपयोग कर सकते हैं, कुछ नए प्रोडक्ट बना सकते हैं जो आम जिंदगी में हम उपयोग कर सकें तो उस परेशानी की बुरी यादें नहीं रहेंगी.
जल्द ही इस मटेरियल को लेकर एक डिज़ाइन कम्पीटीशन रखा जाएगा जिसमें एनआईडी और बाहर के छात्रों को बुलाया जाएगा और सब मिलकल सोचेंगे कि इस मटेरियल के साथ और क्या हो सकता है. अब देखना है कि छात्र कैसे कचरा बन चुके इन रुपयों को और भी ज्यादा मूल्यवान बनाते हैं.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने अहमदाबाद की डिज़ाइन संस्था एनआईडी को नोटों की कतरनें दी हैं कि ताकि उसका कुछ रचनात्मक उपयोग किया जा सके. एनआईडी के डायरेक्टर प्रद्युम्न व्यास कहते हैं कि इसमें दो बड़े अहम संदेश जुड़े हैं. एक तो रीसाइक्लिंग का है और दूसरा जो भी प्रोडक्ट इससे बनाए जाएंगे उसमें एक स्टोरी होगी बताने के लिए कि यह कभी करेंसी नोट थे. आम तौर पर करेंसी नोट खत्म होने के बाद तो उसकी कोई कीमत नहीं है लेकिन उसको किस तरीके से डिजाइन के माध्यम से कीमती बनाया जाए इसकी पूरी कवायद चल रही है.
कुछ समय पहले यहां के छात्रों को बताया गया कि आपको लाखों रुपये मिलने वाले हैं, प्रोजेक्ट के लिए. पहले तो बच्चे खुश हुए लेकिन जब बच्चों ने देखा कि बोरों में भरकर रुपये आए हैं, तो कुछ समय के लिए वे भी चक्कर खा गए. लेकिन जब प्रोजेक्ट की हकीकत खुली तो वे रोमांचित हो गए कि यह सचमुच उनको एक रचनात्मक प्रोजेक्ट करने का मौका मिल रहा है.
छात्रा मुग्धा पाटिल कहती हैं कि वैसे तो नोटबंदी से देश में बहुत लोगों को परेशानी हुई थी. इसकी वजह से लाइन में खड़े रहना पड़ा था. लेकिन उसके बाद अगर हम इस चीज का कुछ अच्छा उपयोग कर सकते हैं, कुछ नए प्रोडक्ट बना सकते हैं जो आम जिंदगी में हम उपयोग कर सकें तो उस परेशानी की बुरी यादें नहीं रहेंगी.
जल्द ही इस मटेरियल को लेकर एक डिज़ाइन कम्पीटीशन रखा जाएगा जिसमें एनआईडी और बाहर के छात्रों को बुलाया जाएगा और सब मिलकल सोचेंगे कि इस मटेरियल के साथ और क्या हो सकता है. अब देखना है कि छात्र कैसे कचरा बन चुके इन रुपयों को और भी ज्यादा मूल्यवान बनाते हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं