अमेरिका के कोलोराडो स्प्रिंग्स के पास ठोस ग्रेनाइट की पहाड़ी के भीतर लगभग एक मील नीचे बना चायन माउंटेन कॉम्प्लेक्स आज भी दुनिया के सबसे सुरक्षित सैन्य ठिकानों में गिना जाता है. यह बंकर 1967 में शीत युद्ध के दौर में तैयार किया गया था और इसका निर्माण सीधे परमाणु विस्फोटों को झेलने की क्षमता को ध्यान में रखकर किया गया है. पांच एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला यह ठिकाना 15 अलग-अलग इमारतों में बंटा है, जहां हर सुविधा किसी आपदा के समय स्वतंत्र रूप से काम कर सकती है. अंदर बिजली संयंत्र, भूमिगत झीलों से पानी और लंबे समय तक रहने लायक खाद्य भंडारण जैसी सुविधाएं मौजूद हैं.
कैसे ट्रंप को यहां लाया जाएगा
द सन के मुताबिक, अगर अमेरिका पर किसी तरह का परमाणु खतरा पुष्टि हो जाए, तो राष्ट्रपति को सीधे चायन माउंटेन नहीं ले जाया जाता. सबसे पहले उन्हें व्हाइट हाउस के नीचे बने सुरक्षित बंकर में ले जाया जाता है, उसके बाद विशेष रूप से तैयार ई-4बी “डूम्सडे” विमान के जरिये कोलोराडो स्थित इस ठिकाने तक पहुंचाया जाता है. यह विमान हवा में ही कमांड सेंटर बन जाता है और राष्ट्रपति के साथ शीर्ष सैन्य अधिकारी तथा चुनिंदा वरिष्ठ सदस्य मौजूद रहते हैं. अन्य महत्वपूर्ण अधिकारी माउंट वेदर या रेवेन रॉक जैसे कठोर सुरक्षा वाले ठिकानों पर भेजे जाते हैं.
आज भी क्यों है यह ठिकाना अहम
हालांकि, इसे 6 दशक पहले बनाया गया था, फिर भी चायन माउंटेन कॉम्प्लेक्स आज भी NORAD और U.S. Northern Command के वैकल्पिक कमांड सेंटर के रूप में लगातार सक्रिय है. इसकी मजबूत संरचना, साइबर हमलों और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रभावों से सुरक्षा, तथा चौबीसों घंटे तैयार रहने वाली टीम इसे आधुनिक दौर में भी अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है. समय के साथ इसमें कई तकनीकी उन्नयन किए गए हैं, जबकि इसका मूल ढांचा अब भी उसी मजबूती से खड़ा है.
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