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1700 साल पहले कैसा होता था इंसान का जूता, पहाड़ की बर्फ से मिला चौंकाने वाला सबूत

नॉर्वे की बर्फ में मिला 1700 साल पुराना जूता रोमन युग की यात्राओं का सबूत है. बर्फ पिघलने से सामने आई इस खोज ने इतिहास की नई परत खोल दी है.

1700 साल पहले कैसा होता था इंसान का जूता, पहाड़ की बर्फ से मिला चौंकाने वाला सबूत
बर्फ से झांकता दिखा जूता, निकली 1700 साल पुरानी कहानी!

नॉर्वे के पहाड़ों में हाइकिंग के दौरान एक शख्स को बर्फ के बीच चमड़े का एक टुकड़ा नजर आया. पहली नजर में यह किसी कचरे जैसा लग रहा था, लेकिन जब विशेषज्ञों ने जांच की, तो पता चला कि यह कोई साधारण वस्तु नहीं बल्कि 1700 साल पुराना जूता है. यह खोज न सिर्फ हैरान करने वाली है, बल्कि प्राचीन यात्राओं और व्यापार मार्गों की एक नई झलक भी देती है.

कहां मिला यह रहस्यमय जूता?

यह सैंडल नॉर्वे के इनलानडेट काउंटी में स्थित हॉर्स आइस पैच नामक इलाके में मिला, जो समुद्र तल से करीब 6500 फीट की ऊंचाई पर है. गर्मियों में असामान्य रूप से ज्यादा बर्फ पिघलने के कारण यह जूता बर्फ से बाहर निकल आया. साल 2019 की गर्मियों में एक हाइकर ने बर्फ में फंसे चमड़े को देखा. उसने बिना उसे छुए उसकी तस्वीरें लीं और सही लोकेशन नोट की. इसके बाद उसने पुरातत्व विशेषज्ञों को सूचना दी, ताकि इस नाजुक चीज को सुरक्षित निकाला जा सके.

जांच में क्या निकला सामने?

पुरातत्वविदों ने रेडियोकार्बन तकनीक से जांच की, जिससे पता चला कि यह जूता रोमन आयरन एज के दौर का है. यह जूता एक ही चमड़े के टुकड़े से बना हुआ है और इसे पैर के चारों ओर बांधने के लिए फीते लगाए गए थे. विशेषज्ञों के मुताबिक, यह जूता रोमन शैली के एक प्रचलित सैंडल जैसा है, जिसे उस दौर में यूरोप के कई हिस्सों में पहना जाता था.

इतनी ठंड में कैसे चलता होगा इंसान?

इतनी ऊंचाई और ठंडे मौसम को देखते हुए माना जा रहा है कि जूते के अंदर ऊन या जानवरों की खाल से बने मोजे भरे जाते होंगे. आसपास मिले कपड़ों के टुकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं. पुरातत्वविदों का कहना है कि यह जूता काफी घिस चुका था और शायद बेकार समझकर फेंक दिया गया होगा. इस इलाके का नाम ही इस ओर इशारा करता है कि यहां कभी घोड़ों और सामान के साथ यात्राएं होती थीं. यहां पहले भी घोड़े की नाल, हड्डियां और अन्य वस्तुएं मिल चुकी हैं, जो बताती हैं कि यह इलाका कभी सुनसान नहीं था.

बर्फ के नीचे छुपा इतिहास

नॉर्वे के पहाड़ों में मौजूद बर्फ के नीचे हजारों साल का इतिहास दबा हुआ है. जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है, वैसे-वैसे पुराने कपड़े, औजार और यात्रा के निशान बाहर आ रहे हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर इन्हें समय रहते नहीं बचाया गया, तो धूप और बारिश से ये हमेशा के लिए नष्ट हो जाएंगे.

जलवायु परिवर्तन की चेतावनी

विशेषज्ञ मानते हैं कि बढ़ती गर्मी एक तरफ इतिहास को उजागर कर रही है, तो दूसरी तरफ उसे खत्म भी कर रही है. हर साल बर्फ पिघलने के साथ नई चीजें सामने आती हैं, लेकिन उन्हें बचाने का समय बेहद सीमित होता है. बर्फ में मिला यह 1700 साल पुराना जूता सिर्फ एक सैंडल नहीं, बल्कि उस दौर की यात्राओं, व्यापार और इंसानी जिजीविषा का सबूत है. आज जो पहाड़ वीरान दिखते हैं, कभी वहां जिंदगी की हलचल थी. यह खोज हमें इतिहास के साथ-साथ प्रकृति की बदलती हालत पर भी सोचने को मजबूर करती है.

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