प्रतीकात्मक तस्वीर...
न्यूयॉर्क:
जो लोग संघर्ष, उत्पीड़न या मानवाधिकारों के उल्लंघन के कारण शरणार्थी बनकर जीवन काट रहे हैं, उनके लिए आवास, कपड़े और भोजन का इंतजाम करने पर ज्यादातर ध्यान दिया जाता है, लेकिन दुनिया के करीब छह करोड़ शरणार्थियों को सालाना कम से कम 27.8 लाख सर्जरी की भी जरूरत होती है। एक शोध से यह जानकारी मिली है।
शोध दल के प्रमुख बाल्टीमोर के जॉन हापकिंग्स ब्लूमवर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एडम कुशनेर का कहना है, 'हम द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से सबसे बड़े शरणार्थी संकट से जूझ रहे हैं, जो मजबूर होकर शरणार्थी बने हैं।' कुशनेर आगे कहते हैं, 'बीमारियों के इलाज के लिए सर्जरी बेहद जरूरी है, लेकिन संकट के समय इस पर ध्यान नहीं दिया जाता। समय पर सर्जरी की सुविधा नहीं मिलने से कई लोग अपंग हो जाते हैं तो कई लोग मर जाते हैं।'
यह शोध वर्ल्ड जर्नल ऑफ सर्जरी में ऑनलाइन प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं ने शरणार्थियों को मदद मुहैया कराने वाले कुछ सरकारों और मानवीय सहायता संगठनों को उनकी सर्जरी संबंधी आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला है। कुशनेर कहते हैं, 'जब शरणार्थियों की मदद की योजना बनाई जाती है तो सारा ध्यान उनके लिए आवास, भोजन और कपड़े मुहैया कराने पर होता है, लेकिन सर्जरी भी एक बुनियादी जरूरत है, जिसके बारे में कोई बात नहीं करता।'
शरणार्थियों को ज्यादातर हार्निया, टूटी हड्डियां, सीजेरियन, फांक वाले होठ और पित्ताशय की थैली हटाने की सर्जरी की जरूरत होती है। इसके अलावा जलने के निशान और टांकों को हटाने की सर्जरी की जरूरत होती है।
इस शोध के लिए शोधकर्ताओं ने दुनिया भर में शरणार्थियों की संख्या, आतंरिक रूप से विस्थापित लोगों और शरण चाहने वालों पर और उनकी जनसांख्यिकी पर संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) और नियर ईस्ट में संयुक्त राष्ट्र फिलिस्तीनी शरणार्थी राहत एवं कार्य एजेंसी से आंकड़े जुटाए।
शोधकर्ताओं ने प्रति वर्ष आवश्यक सर्जरी की संख्या का अनुमान लगाने के लिए पूर्व में प्रकाशित इस आंकड़े का इस्तेमाल किया, जिसमें प्रति 100,000 आबादी पर वार्षिक तौर पर न्यूनतम 4,669 सर्जरी की जरूरत होती है।
शोध में कहा गया है कि इनमें से ज्यादातर शरणार्थी उनके लिए बनाए गए शिविरों में रहते हैं। ज्यादातर शरणार्थी उचित दस्तावेजों की कमी, सर्जरी की ऊंची लागत और मेजबान देश में सर्जरी के कमजोर ढांचे के कारण इसे करवा नहीं पाते हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
शोध दल के प्रमुख बाल्टीमोर के जॉन हापकिंग्स ब्लूमवर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एडम कुशनेर का कहना है, 'हम द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से सबसे बड़े शरणार्थी संकट से जूझ रहे हैं, जो मजबूर होकर शरणार्थी बने हैं।' कुशनेर आगे कहते हैं, 'बीमारियों के इलाज के लिए सर्जरी बेहद जरूरी है, लेकिन संकट के समय इस पर ध्यान नहीं दिया जाता। समय पर सर्जरी की सुविधा नहीं मिलने से कई लोग अपंग हो जाते हैं तो कई लोग मर जाते हैं।'
यह शोध वर्ल्ड जर्नल ऑफ सर्जरी में ऑनलाइन प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ताओं ने शरणार्थियों को मदद मुहैया कराने वाले कुछ सरकारों और मानवीय सहायता संगठनों को उनकी सर्जरी संबंधी आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला है। कुशनेर कहते हैं, 'जब शरणार्थियों की मदद की योजना बनाई जाती है तो सारा ध्यान उनके लिए आवास, भोजन और कपड़े मुहैया कराने पर होता है, लेकिन सर्जरी भी एक बुनियादी जरूरत है, जिसके बारे में कोई बात नहीं करता।'
शरणार्थियों को ज्यादातर हार्निया, टूटी हड्डियां, सीजेरियन, फांक वाले होठ और पित्ताशय की थैली हटाने की सर्जरी की जरूरत होती है। इसके अलावा जलने के निशान और टांकों को हटाने की सर्जरी की जरूरत होती है।
इस शोध के लिए शोधकर्ताओं ने दुनिया भर में शरणार्थियों की संख्या, आतंरिक रूप से विस्थापित लोगों और शरण चाहने वालों पर और उनकी जनसांख्यिकी पर संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) और नियर ईस्ट में संयुक्त राष्ट्र फिलिस्तीनी शरणार्थी राहत एवं कार्य एजेंसी से आंकड़े जुटाए।
शोधकर्ताओं ने प्रति वर्ष आवश्यक सर्जरी की संख्या का अनुमान लगाने के लिए पूर्व में प्रकाशित इस आंकड़े का इस्तेमाल किया, जिसमें प्रति 100,000 आबादी पर वार्षिक तौर पर न्यूनतम 4,669 सर्जरी की जरूरत होती है।
शोध में कहा गया है कि इनमें से ज्यादातर शरणार्थी उनके लिए बनाए गए शिविरों में रहते हैं। ज्यादातर शरणार्थी उचित दस्तावेजों की कमी, सर्जरी की ऊंची लागत और मेजबान देश में सर्जरी के कमजोर ढांचे के कारण इसे करवा नहीं पाते हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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