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यूरोप के एक देश ने अपने ही लोगों पर विश्वयुद्ध वाला खतरनाक केमिकल बरसाया? 

कैमाइट को प्रथम विश्व युद्ध के दौरान फ्रांस द्वारा जर्मनी के विरुद्ध इस्तेमाल किया गया था. अब बीबीसी ने दावा किया है कि जॉर्जिया ने अपने ही प्रदर्शनकारी लोगों पर इस केमिकल का इस्तेमाल किया है.

यूरोप के एक देश ने अपने ही लोगों पर विश्वयुद्ध वाला खतरनाक केमिकल बरसाया? 
  • जॉर्जिया के अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों पर प्रथम विश्व युद्ध के रासायनिक हथियार का इस्तेमाल किया था- बीबीसी
  • प्रदर्शनकारियों ने बताया था कि पानी की बौछार से शरीर में एसिड जैसी जलन हुई और यह जलन पानी से भी नहीं उतरी
  • प्रदर्शनकारियों ने सांस की तकलीफ, खांसी और उल्टी जैसी लक्षणों की शिकायत की, जो कई हफ्तों तक बनी रही
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क्या कोई देश अपने ही प्रदर्शनकारी लोगों पर पहले विश्वयुद्ध के समय इस्तेमाल किया गया खतरनाक केमिकल बरसाने का काम करेगा? बीबीसी की एक रिपोर्ट में तो यही दावा किया गया है. बीबीसी ने दावा किया है कि उसके द्वारा जुटाए गए सबूतों से पता चलता है कि जॉर्जिया के अधिकारियों ने पिछले साल सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को कुचलने के लिए प्रथम विश्व युद्ध-युग के रासायनिक हथियार का इस्तेमाल किया था.

रिपोर्ट के अनुसार जॉर्जिया की राजधानी त्बिलिसी की सड़कों पर जिन प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछार की गई थी, उनमें से एक ने बताया था कि शरीर पर पानी पड़ते ही उसे जलन महसूस हुई, जैसे किसी ने एसिड डाला हो. उन्होंने कहा कि पानी से धोने पर भी वह जलन नहीं जा रही थी. दरअसल जॉर्जिया की सरकार ने यूरोपीय संघ में शामिल होने होने का फैसला किया था और इसी के खिलाफ प्रदर्शनकारी सड़क पर उतरे थे.

कथित रूप से केमिकल मिले पानी की बौछार के बाद इन प्रदर्शनकारियों ने कई अन्य लक्षणों की भी शिकायत की है- जैसे सांस की तकलीफ, खांसी और उल्टी जो हफ्तों तक बनी रही. बीबीसी वर्ल्ड सर्विस ने रासायनिक हथियार के विशेषज्ञों, जॉर्जिया की दंगा पुलिस के बागी (व्हिसलब्लोअर) और डॉक्टरों से बात की है और पाया है कि सभी सबूत एक केमिकल के इस्तेमाल की ओर इशारा करते हैं जिसे फ्रांसीसी सेना ने "कैमाइट" नाम दिया था.

दरअसल कैमाइट को प्रथम विश्व युद्ध के दौरान फ्रांस द्वारा जर्मनी के विरुद्ध इस्तेमाल किया गया था. भले जंग के बाद इसके उपयोग के बारे में बहुत कम दस्तावेज मौजूद हैं, लेकिन माना जाता है कि इसके दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में चिंताओं के कारण 1930 के दशक में इसे प्रचलन से बाहर कर दिया गया था. उसकी जगह CS गैस का इस्तेमाल किया जाने लगा, जिसे अक्सर "आंसू गैस" कहा जाता है.

इस रिपोर्ट के अनुसार जॉर्जियाई अधिकारियों ने कहा कि बीबीसी की जांच के निष्कर्षों को बेतुका बताया है. उसने कहा कि जॉर्जिया की पुलिस ने "क्रूर अपराधियों के अवैध कार्यों" के जवाब में कानूनी रूप से कार्रवाई की थी.

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