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स्पेस में अब तक क्यों फंसी हैं सुनीता विलियम्स? क्या रेस्क्यू ऑपरेशन में ISRO कर सकता है NASA की मदद?

सुनीता विलियम्स 5 जून 2024 को बोइंग स्टारलाइनर नाम के स्पेसक्राफ्ट से NASA के मिशन पर गई थीं. ये अमेरिकी एयरक्राफ्ट कंपनी बोइंग और नासा का संयुक्त ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन’ है. सुनीता स्पेसक्राफ्ट की पायलट थीं. जबकि बुश विलमोर इस मिशन के कमांडर थे.

स्पेस में अब तक क्यों फंसी हैं सुनीता विलियम्स? क्या रेस्क्यू ऑपरेशन में ISRO कर सकता है NASA की मदद?
58 साल की सुनीता विलियम्स अपने साथी बुश विलमोर के साथ अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के एक मिशन पर गई हैं.
नई दिल्ली:

भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्षयात्री सुनीता विलियम्स 80 दिनों से स्पेस पर फंसी हुई हैं. 58 साल की सुनीता विलियम्स अपने साथी बुश विलमोर के साथ अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के एक मिशन पर गई हैं. दोनों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में 8 दिन रुकने के बाद वापस पृथ्वी पर आना था. लेकिन उनका स्पेसक्राफ्ट खराब हो गया है. इसलिए दोनों इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में फंस गए हैं. इस बीच NASA ने कहा है कि 24 सितंबर के बाद ही ये तय हो पाएगा कि स्पेसक्राफ्ट बोइंग स्टारलाइनर से सुनीता विलियम्स और बुश विलमोर धरती पर वापस लौट सकेंगे या नहीं.

आइए जानते हैं सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुश विलमोर को वापस लाने के लिए NASA किन-किन ऑप्शन पर कर रहा काम? क्या भारत की स्पेस एजेंसी ISRO इसमें कोई मदद कर सकती है? आखिर सुनीता विलियम्स स्पेस में कितने दिन तक रह सकती हैं? 

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सुनीता विलियम्स स्पेस में कब गई थीं? कब थी उनकी वापसी?
सुनीता विलियम्स 5 जून 2024 को बोइंग स्टारलाइनर नाम के स्पेसक्राफ्ट से NASA के मिशन पर गई थीं. ये अमेरिकी एयरक्राफ्ट कंपनी बोइंग और नासा का संयुक्त ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन' है. सुनीता स्पेसक्राफ्ट की पायलट थीं. जबकि बुश विलमोर इस मिशन के कमांडर थे. दोनों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में 8 दिन रुकने के बाद वापस पृथ्वी पर आना था. लेकिन उनका स्पेसक्राफ्ट खराब हो गया.

स्पेसक्राफ्ट में क्या खराबी आई?
सुनीता विलियम्स के स्पेसक्राफ्ट में लॉन्चिंग से पहले ही कुछ न कुछ दिक्कतें आ रही थीं. जिसके चलते कई दफा लॉन्चिंग रोकनी पड़ी थी. 5 जून को लॉन्च के पहले ही स्पेसक्राफ्ट में ऑक्सीडाइजर का फ्लो कंट्रोल करने वाले एक वॉल्व में गड़बड़ी आ गई थी. ऑक्सीडाइजर ऐसे केमिकल होते हैं, जो रॉकेट के फ्यूल को जलाने के लिए जरूरी हैं. क्योंकि जब ऑक्सीडाइजर की मदद से फ्यूल जलता है, तभी रॉकेट अपना रास्ता बदल पाते हैं. आखिरकार लॉन्चिंग तो हो गई. लेकिन जब दोनों को धरती पर लौटना था, तब स्पेसक्राफ्ट से हीलियम लीक होने लगा.

हीलियम लीक होने का मतलब?
नासा ने कहा था कि स्पेसक्राफ्ट के सर्विस मॉड्यूल के थ्रस्टर में एक छोटा सा हीलियम लीक है. एक स्पेसक्राफ्ट में कई थ्रस्टर होते हैं. इनकी मदद से स्पेसक्राफ्ट अपना रास्ता और स्पीड बदलता है. हीलियम गैस होने की वजह से रॉकेट पर दबाव बनता है. NASA ने बताया कि लॉन्चिंग के 25 दिनों में स्पेसक्राफ्ट के कैप्सूल में 5 हीलियम लीक हुए. 5 थ्रस्टर्स काम करना बंद कर चुके थे. रिपोर्ट के मुताबिक, स्पेस में मौजूद क्रू और अमेरिका के ह्यूस्टन में बैठे मिशन के मैनेजर इसे ठीक नहीं कर पा रहे हैं.

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NASA ने एस्ट्रोनॉट्स की वापसी के लिए अब तक क्या स्टेप लिए?
अमेरिकी स्पेस एजेंसी और बोइंग ने विलमोर और सुनीता विलियम्स को धरती पर वापस लाने की कोशिश में कंप्यूटर मॉडल सिमुलेशन किए हैं. 1 लाख कंप्यूटर सिमुलेशन में यह देखा गया है कि स्पेसक्राफ्ट को स्पेस स्टेशन से अन-डॉक करने, पृथ्वी के वायुमंडल में आने और फिर जमीन पर लैंड करने का सबसे सही मौका और तरीका क्या हो सकता है.

इसके अलावा नासा ने कई और टेस्ट किए हैं. जैसे सभी 27 थ्रस्टर की टेस्टिंग हुई है. यह भी चेक किया गया है कि स्पेस स्टेशन से अनडॉक करते समय (यानी स्पेसक्राफ्ट के वहां से उड़ान भरते समय), फ्री फ्लाई यानी धरती की तरफ आते समय और धरती पर लैंड करते समय सभी थ्रस्टर कैसे काम करेंगे. हालांकि, सॉफ्टवेयर भी अपडेट किए गए हैं. लेकिन अब तक अच्छी खबर नहीं मिली है.

सुनीता विलियम्स और बुश बिलमोर की वापसी के और क्या ऑप्शन हो सकते हैं?
NASA, बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट से सुनीता और विलमोर को वापसी के लिए बाकी ऑप्शन पर भी काम कर रही है.  अगर स्टारलाइनर वाकई में सुनीता को वापस लाने की हालत में नहीं होगा, तो एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. सितंबर में स्पेस स्टेशन पर स्पेसएक्स का एक एयरक्राफ्ट लॉन्च किया जाने वाला है. इसमें 4 की बजाय 2 ही एस्ट्रोनॉट्स स्पेस स्टेशन पर भेजे जाएंगे. खाली जगहें सुनीता और विलमोर के लिए रहेंगी. उनकी वापसी के लिए रूस से भी मदद ली जा सकती है.

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रूस कैसे मदद कर सकता है?
दरअसल, रूस का एक मिशन चल रहा है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर अभी रूस के दो एस्ट्रोनॉट्स हैं. ये दोनों सितंबर में अपना एक साल का मिशन पूरा कर लेंगे. फिर इन्हें लेने के लिए एक 3 सीटर वाला रूसी स्पेसक्राफ्ट जाएगा. उनके साथ नासा का एक क्रू मेंबर भी है. मतलब इस स्पेसक्राफ्ट में और किसी के बैठने की जगह नहीं है. इसलिए अगर रूस 5 या  6 सीटर वाला स्पेसक्राफ्ट भेजता है, तो सुनीता विलियम्स और बुश विलमोर धरती पर लौट सकते हैं.

क्या ISRO कोई मदद नहीं कर सकता?
भारत की स्पेस एजेंसी ISRO के चीफ एस सोमनाथ से इसे लेकर सवाल किया गया था. एस सोमनाथ ने कहा कि इस समय सिर्फ रूस और अमेरिका की स्पेस एजेंसी ही सुनीता विलियम्स और बुश विलमोर की मदद कर सकते हैं. ISRO चीफ ने कहा, "दुर्भाग्य से इस समय हम मदद के लिए सीधे तौर पर कुछ नहीं कर सकते. हमारे पास दोनों को लाने के लिए स्पेसशिप भेजने की क्षमता नहीं है. इसमें अमेरिका या रूस ही मदद कर सकते हैं. अमेरिका के पास क्रू ड्रैगन व्हीकल है, जबकि रूस के पास सोयुज है. दोनों का इस्तेमाल रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए किया जा सकता है.

स्पेस में कब तक रूक सकती हैं सुनीता विलियम्स?
नासा का कहना है कि सुनीता विलियम्स और बुश विलमोर की वापसी फरवरी 2025 तक टाली जा सकती है. इस तरह 5 जून से फरवरी 2025 तक सुनीता को स्पेस स्टेशन पर 8 महीने से ज्यादा का समय लग सकता है.

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क्या स्पेस में इन एस्ट्रोनॉट्स को खाने-पीने की कोई दिक्कत नहीं होगी?
नासा का कहना है कि सुनीता और विलमोर स्पेस में फंसे जरूर हैं, लेकिन वहां खाने-पीने की कोई कमी नहीं है. कई काम भी हैं जो दोनों एस्ट्रोनॉट्स कर सकते हैं. लेकिन स्पेस एक्सपर्ट्स की मानें तो लंबे समय तक स्पेस में रहने ने कई बार एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस के खतरनाक रेडिएशन, जीरो ग्रैविटी में रहने के प्रभाव और मनोवैज्ञानिक समस्याएं हो सकती हैं.

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की पोजिशन क्या है?
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन 20 नवंबर 1998 को लॉन्च हुआ था. ये पृथ्वी की सतह से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर एक ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है. स्पेस स्टेशन एक हफ्ते में उतना रेडिएशन झेलता है, जितना हम धरती पर एक साल में झेलते हैं. मौजूदा समय में इसमें 3 लोगों के रहने की जगह है.

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