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पहले भगवत गीता... और अब अंतरिक्ष में अपने साथ क्या ले गईं सुनीता विलियम्स, जानें

नासा की ओर से सुनीता का चयन 1998 में अंतरिक्ष यात्री के रूप में किया गया था. अब तक वह दो बार अंतरिक्ष में जा चुकी हैं. ये तीसरी बार है, जब सुनीता अंतरिक्ष यात्रा पर गई हैं.

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पहले भगवत गीता... और अब अंतरिक्ष में अपने साथ क्या ले गईं सुनीता विलियम्स, जानें
भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स तीसरी बार अंतरिक्ष पहुंची.

भारतीय मूल की नासा अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स शुक्रवार को तड़के अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पहुंच गई हैं. इस दौरान उन्होंने अपनी खुशी जाहिर करते हुए डांस भी किया. जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. ये तीसरा मौका है जब सुनीता विलियम्स अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन गई हैं. सुनीता विलियम्स इस बार अपने साथ भगवान गणेश की मूर्ति लेकर गई हैं. विलियम्स ने एनडीटीवी को बताया था कि वो उड़ान में अपने साथ भगवान गणेश की एक मूर्ति ले जाएंगी. क्योंकि भगवान गणेश को अपने लिए लकी मानती हैं. उनका कहना था कि वो आध्यात्मिक हैं. अपनी पिछली उड़ानों में वो अपने साथ भगवद गीता की प्रतियां भी अंतरिक्ष में ले गई थीं. 

बोइंग स्टारलाइनर का पहला क्रू मिशन सफलतापूर्वक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पहुंचा. इसमें सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर सवार हैं.स्टारलाइनर मिशन का मकसद नासा के भविष्य के मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रियों और कार्गों को पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जाना है. इस स्पेस फ्लाइट का उद्देश्य यह प्रमाणित भी करना है कि अंतरिक्ष यान आसानी से नियोजित तरीके से स्पेस स्टेशन तक जा सकते हैं और आ सकते हैं.

विलियम्स और बुच विल्मोर को लेकर बोइंग का ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन' कई बार के विलंब के बाद फ्लोरिडा के ‘केप कैनवेरल स्पेस फोर्स स्टेशन' से हाल ही में रवाना हुआ था. विलियम्स ने इस तरह के मिशन पर जानेवाली पहली महिला के रूप में भी इतिहास रचा.

विलियम्स का करियर

वर्ष 2012 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा के दौरान विलियम्स अंतरिक्ष में ‘ट्रायथलॉन' पूरा करने वाली पहली व्यक्ति बनी थीं. विलियम्स मई 1987 में अमेरिकी नौसैन्य अकादमी से प्रशिक्षण लेने के बाद अमेरिकी नौसेना से जुड़ी थीं. विलियम्स को 1998 में नासा द्वारा अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया था और वह दो अंतरिक्ष अभियानों-2006 में अभियान 14/15 तथा 2012 में 32/33 अभियानों का हिस्सा बनीं. उन्होंने अभियान-32 में फ्लाइट इंजीनियर और फिर अभियान-33 की कमांडर के रूप में काम किया.

अंतरिक्ष यान के विकास में असफलताओं के कारण बोइंग के ‘क्रू फ़्लाइट टेस्ट मिशन' में कई वर्षों की देरी हुई. विलियम्स और विल्मोर करीब 25 घंटे की यात्रा करने के बाद यहां पहुंचे. वे अंतरिक्ष में घूमती प्रयोगशाला में एक सप्ताह से अधिक समय बिताएंगे और इसके बाद 14 जून को वापसी के लिए पश्चिमी अमेरिका के एक दूरस्थ रेगिस्तान में उतरने के वास्ते स्टारलाइनर यान में फिर से सवार होंगे. (भाषा इनपुट के साथ)

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