- नेपाल में Gen-G युवाओं और UML कार्यकर्ताओं के बीच दो दिन तक चले तनाव के बाद कर्फ्यू हटा दिया गया है
- Gen-Z आंदोलन फिर से भड़कने के पीछे नौकरियों और प्रशासनिक नियुक्तियों में भ्रष्टाचार एक प्रमुख कारण है
- सुशीला कार्की सरकार पर पुराने भ्रष्टाचार पर कार्रवाई न करने और कानून व्यवस्था कमजोर होने के आरोप लग रहे हैं
नेपाल के बारा जिले में Gen-G युवाओं और CPN-UML कार्यकर्ताओं के बीच दो दिन तक चले तनाव और झड़पों के बाद अब हालात नियंत्रण में हैं. जिला प्रशासन ने गुरुवार सुबह कर्फ़्यू हटा दिया है और इलाके में सामान्य गतिविधियां धीरे-धीरे शुरू हो गई हैं. बुधवार की शाम यह हिंसा उस समय भड़की जब पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी के नेता महेश बस्नेत और शंकर पोखरेल सिमरा एयरपोर्ट पहुंचे. जैसे ही वे एक सभा को संबोधित करने के लिए एयरपोर्ट से बाहर आए, जेन-ज़ेड समूहों और UML समर्थकों के बीच नारेबाज़ी शुरू हुई, जो थोड़ी ही देर में पत्थरबाज़ी और झड़प में बदल गई.
क्यों फिर से भड़का जेन-G आंदोलन?
नेपाल में Gen-Z आंदोलन पिछले दो वर्षों में कई बार उभर चुका है, लेकिन इस बार इसके फिर से भड़कने की दो मुख्य वजहें सामने आ रही हैं:
पूर्व सरकारों में हुए बड़े भ्रष्टाचार पर कार्रवाई न होना
स्थानीय युवाओं का आरोप है कि नौकरियों से लेकर प्रशासनिक नियुक्तियों तक, पिछले वर्षों में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है. GEN-G युवाओं का कहना है कि हमारे भविष्य से खिलवाड़ हुआ है. जिन नेताओं ने भ्रष्टाचार किया, वे आज भी आज़ाद घूम रहे हैं.
बेरोज़गारी और अवसरों की कमी से युवाओं में गहरी निराशा
नेपाल के कई जिलों में बड़ी संख्या में युवा बेरोज़गार हैं. जेन-ज़ेड वर्ग महसूस करता है कि सरकारों ने केवल वादे किए, लेकिन रोजगार नीति में कोई ठोस सुधार नहीं हुआ.इस नाराज़गी ने आंदोलन को फिर से तेज़ कर दिया है, और युवाओं का विश्वास राजनीतिक दलों से तेजी से टूट रहा है.
सुशीला कार्की की सरकार से लोग क्यों नाखुश हैं?
नेपाल में हाल ही में बनी सुशीला कार्की की सरकार से जनता कई कारणों से असंतुष्ट दिखाई दे रही है:
कार्की सरकार पर आरोप है कि उसने पिछले शासन में हुए नौकरी घोटालों, फंड मिसमैनेजमेंट और प्रशासनिक भ्रष्टाचार पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया. स्थानीय लोगों का कहना है कि पुराने भ्रष्टाचार की फाइलें वहीं धूल खा रही हैं. सरकार सिर्फ़ बयान दे रही है, काम नहीं.
कानून-व्यवस्था कमजोर, लगातार बढ़ रही राजनीतिक अस्थिरता
हाल के महीनों में कई जिलों में विरोध-प्रदर्शन बढ़े हैं, और सरकार इन पर प्रभावी नियंत्रण नहीं कर पाई है। बारा की झड़प इसका ताज़ा उदाहरण है.
आर्थिक स्थिति में सुधार न होना
महंगाई, बेरोज़गारी और व्यापार में गिरावट ने लोगों के धैर्य को और कम कर दिया है
NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट: रमन राय सिमरा एयरपोर्ट पर
NDTV के संवाददाता रमन राय ने सिमरा एयरपोर्ट और सिमरा चौक से जमीनी स्थितियों की रिपोर्टिंग की. रमन ने जेन-ज़ेड युवाओं से बात की, जिन्होंने साफ़ कहा कि हमें पुरानी राजनीति नहीं चाहिए. हमें जवाबदेही चाहिए. जब सिस्टम फेल हो जाता है, तो आंदोलन ज़रूरी हो जाता है.
कर्फ़्यू में फंसे दुकानदारों और आम लोगों की परेशानी
स्थानीय व्यापारियों ने बताया कि दो दिन से दुकानें बंद होने से उन्हें भारी नुकसान हुआ. एक दुकानदार ने कहा कि जहाँ सरकार को शांति देनी चाहिए थी, वहां उल्टा नुकसान हम पर पड़ा. दो दिन की कमाई शून्य हो गई.
तीन गिरफ्तार, सेना की तैनाती जारी
पुलिस ने हिंसा के सिलसिले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. तीनों की पहचान धन बहादुर श्रेष्ठ, कैमुद्दीन अंसारी और अरविंद शाह के रूप में की गई है. सिमरा चौक पर नेपाल आर्म्ड फोर्स की तैनाती अब भी है, और प्रशासन स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए है.
Gen-G नेता सुदन गुरूंग पहुंचे, DIG के साथ बातचीत जारी
नेपाल के चर्चित जेन-ज़ेड नेता सुदन गुरूंग भी बैठक स्थल पहुंचे, जहाँ मधेश प्रदेश के DIG कृष्ण ढकाल युवाओं के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रहे हैं. सुदन गुरूंग ने NDTV से कहा कि युवा अब देश की दिशा तय करेंगे. हम ईमानदार व्यवस्था और साफ़ शासन चाहते हैं.
चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल तनावपूर्ण
नेपाल में अगले वर्ष चुनाव होने हैं. ऐसे समय में देश में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता और जेन-ज़ेड की मुखर नाराज़गी, सुशीला कार्की सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गई है.
स्थानीय लोग अब सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार समय रहते युवाओं की आवाज़ सुनेगी या फिर नेपाल में विरोध की आग और भड़केगी?
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