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कहां होंगी सुनीता, किस तरह रखा जाएगा उनकी सेहत का ख्याल, जानिए

पृथ्वी पर लौटने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को खड़े होने पर अक्सर चक्कर आते हैं. इस स्थिति को ‘ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन’ कहा जाता है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण अंतरिक्ष की तुलना में अधिक मजबूत होता है और हृदय से सिर तक रक्त पहुंचना अधिक कठिन होता है.

कहां होंगी सुनीता, किस तरह रखा जाएगा उनकी सेहत का ख्याल, जानिए
पृथ्वी पर लौटने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को सेहत से जुड़ी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के अंदर अंतरिक्ष यात्रियों को हवा में तैरते देखना भले ही मजेदार लगता हो, लेकिन वहां गुरुत्वाकर्षण नहीं होने का असर धरती पर लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों पर लंबे समय तक रहता है और उन्हें मतली, चक्कर आने, बात करने और चलने में दिक्कत जैसी चुनौतियों से जूझना पड़ता है.

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नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर तथा रूसी अंतरिक्ष यात्री अलेक्सांद्र गोरबुनोव बुधवार को स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान से पृथ्वी पर लौट आए  हैं.

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अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर लौटने के बाद सेहत से जुड़ी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में इन यात्रियों को नासा अपनी निगरानी में रखती है और फिट होने के बाद ही ये आम जीवन शुरू कर पाते हैं. धरती पर आने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को चलने में कठिनाई, देखने में दिक्कत, चक्कर आने तथा ‘बेबी फीट' नामक स्थिति जैसी चुनौतियों का सामना करने की बात कही है. ‘बेबी फीट' का मतलब, अंतरिक्ष यात्रियों के तलवों की त्वचा का मोटा हिस्सा निकल जाता है और उनके तलवे बच्चे की तरह मुलायम हो जाते हैं.

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ह्यूस्टन स्थित ‘बेलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन' ने अंतरिक्ष में शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में कहा, ‘‘जब अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर वापस लौटते हैं तो उन्हें पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुसार तुरंत फिर से ढलना पड़ता है. उन्हें खड़े होने, अपनी दृष्टि को स्थिर करने, चलने और मुड़ने में समस्या हो सकती है. पृथ्वी पर लौटने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को उनकी बेहतरी के लिए पृथ्वी पर लौटने के तुरंत बाद अक्सर एक कुर्सी पर बिठाया जाता है.''

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अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी पर जीवन के अनुसार स्वयं को फिर से ढालने में कई सप्ताह लगते हैं. कान के अंदर स्थित ‘वेस्टिबुलर' अंग मस्तिष्क को गुरुत्वाकर्षण के बारे में जानकारी भेजकर पृथ्वी पर चलते समय मनुष्यों को अपने शरीर को संतुलित रखने में मदद करता है.

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‘पृथ्वी पर लौटने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को खड़े होने पर अक्सर चक्कर आते हैं. इस स्थिति को ‘ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन' कहा जाता है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण अंतरिक्ष की तुलना में अधिक मजबूत होता है और हृदय से सिर तक रक्त पहुंचना अधिक कठिन होता है.'

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नासा के अनुसार, अगर अंतरिक्ष यात्री इस कमी को दूर करने के लिए सावधानी नहीं बरतते हैं, तो वजन सहन करने वाली हड्डियों का घनत्व अंतरिक्ष में हर महीने करीब एक प्रतिशत कम हो जाता है.

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इस समस्या से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक सख्त व्यायाम व्यवस्था है. नासा ने कहा, ‘‘अंतरिक्ष यात्रियों को शून्य गुरुत्वाकर्षण के कारण हड्डियों और मांसपेशियों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए ‘ट्रेडमिल' या स्थिर साइकिल का उपयोग करके प्रतिदिन दो घंटे व्यायाम करना आवश्यक है. यह व्यायाम नहीं करने पर अंतरिक्ष यात्री महीनों तक अंतरिक्ष में तैरने के बाद पृथ्वी पर लौटने के बाद चलने या खड़े होने में असमर्थ रहते हैं''

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