
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मध्य-पूर्व के सभी देशों से अब्राहम समझौते में शामिल होने के लिए कहा है.
- अब्राहम समझौता इजरायल और अरब देशों के बीच शांति और संबंधों को सामान्य करने के लिए बनाया गया था.
- साल 2020 में इजरायल, बहरीन, यूएई, मोरक्को और सूडान ने अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनिया को अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं. हर बड़े मुद्दे में ट्रंप की एक राय है और जिसे मनवाने के लिए ट्रंप दुनिया के देशों पर दबाव बनाते रहते हैं. अमेरिका ग्रेट अगेन का नारा देकर सत्ता में लौटे डोनाल्ड ट्रंप इस कार्यकाल में बेहद सक्रिय हैं और जनवरी में शपथ लेने के बाद से ही लगातार कुछ न कुछ ऐसा करते रहे हैं जिसने न सिर्फ उनके विरोधी देशों को परेशान किया है बल्कि अमेरिका के दोस्तों तक को असहज कर दिया है. अब डोनाल्ड ट्रंप ने मध्य-पूर्व के सभी देशों से अब्राहम समझौते में शामिल होने के लिए कह रहे हैं. आइए जानते हैं कि क्या है अब्राहम समझौता और आखिर क्यों ट्रंप इसे मध्य-पूर्व के देशों को अपनाने के लिए कह रहे हैं.
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ट्रूथ सोशल पर एक पोस्ट में लिखा, "अब जबकि ईरान द्वारा "निर्मित" किया जा रहा परमाणु शस्त्रागार पूरी तरह से नष्ट हो चुका है, मेरे लिए यह बहुत जरूरी है कि सभी मध्य पूर्वी देश अब्राहम समझौते में शामिल हों. इससे मध्य पूर्व में शांति सुनिश्चित होगी. इस मामले पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद."

कुछ वक्त पहले भी याद आया था अब्राहम समझौता
अमेरिकी राष्ट्रपति को अब्राहम समझौते की याद पहली बार नहीं आई है. मई में सऊदी अरब के दौरे के दौरान भी ट्रंप ने अब्राहम समझौते का नाम लेते हुए कहा था कि सऊदी अरब जल्द ही इस समझौते का हिस्सा बनेगा और दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य होंगे.
इजरायल और अरब देशों के संबंध बरसों से सामान्य नहीं है. इस समझौते को अरब देशों और इजरायल के बीच संबंधों को सामान्य करने के लिए ही लाया गया था. 2023 में इजरायल भी इस समझौते का हिस्सा बनते-बनते रह गया था. हमास के 7 अक्टूबर 2023 के हमले के बाद इजरायली सेना ने गाजा पर हमला कर दिया था, जिसके कारण यह समझौता नहीं हो सका था. हालांकि अमेरिका लगातार अपने सहयोगियों को निकट लाने की कोशिश में जुटा है.
साल 2020 में इजरायल, बहरीन और यूएई ने इस अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. कुछ वक्त बाद ही मोरक्को और सूडान ने भी इजरायल को मान्यता दे दी. यदि सऊदी अरब, इजरायल को मान्यता देता है तो यह अन्य देशों के लिए भी बड़ा संदेश होगा और अन्य देश भी इजरायल को मान्यता दे सकते हैं.
इस तरह से समझिए अब्राहम समझौते को
साल 2020 में अमेरिका की मध्यस्थता में अब्राहम समझौता हुआ था. 2017 में डोनाल्ड ट्रंप पहली बार राष्ट्रपति बने थे और उन्होंने इसके बाद ही इजरायल और अरब देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने की पहल की थी, जिसके परिणामस्वरूप अब्राहम समझौता सामने आया था. इजरायल के साथ यूएई, बहरीन, मोरक्को और सूडान का समझौता हुआ.
इजरायल को पहली बार इस समझौते के कारण ही मध्य पूर्व के देशों में अपनी पहुंच बढ़ाने का मौका मिला था और अरब देशों के साथ इजरायल के संबंध बेहतर होना शुरू हुए थे. इस समझौते का उद्देश्य इजरायल और अरब देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाना है.
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप चाहते हैं कि इजरायल के साथ अरब देशों के संबंध सामान्य हों, जिससे मध्य पूर्व में शांति स्थापित हो सके.
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