रूस के प्रधानमंत्री दमित्री मेदवेदेव का फाइल फोटो...
म्यूनिख:
रूस के प्रधानमंत्री दमित्री मेदवेदेव ने आज कहा कि रूस और पश्चिम के बीच तनाव ने दुनिया को नए शीतयुद्ध में पहुंचा दिया है।
यूक्रेन संघर्ष और सीरिया के शासन का रूस द्वारा समर्थन करने को लेकर उत्पन्न तनाव के बीच मेदवेदेव ने कहा, 'जो कुछ भी बचा खुचा है वह है रूस के खिलाफ नाटो की गैरदोस्ताना नीति।' उन्होंने यहां म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में कहा, 'हम इसे और स्पष्ट ढंग से कह सकते हैं, हम फिसलकर शीतयुद्ध के नए काल में पहुंच गए हैं।'
उन्होंने कहा, 'करीब-करीब हर रोज हमपर नाटो या यूरोप या अमेरिका या अन्य देशों को भयावह धमकियां देने का आरोप लगाया जाता है।' मेदवेदेव ने शीतयुद्ध के समापन के बाद पूर्व सोवियत संघ शासित पूर्वी यूरोप में नाटो के प्रसार और यूरोपीय संघ के बढ़ते प्रभाव की आलोचना की।
उन्होंने कहा, 'यूरोपीय नेता सोचते थे कि यूरोप के एक ओर यानी यूरोपीय संघ के बाहरी हिस्सों में मित्रों की तथाकथित मंडली बनाना सुरक्षा की गारंटी हो सकती है, लेकिन नतीजा क्या है? मित्रों की मंडली नहीं बल्कि अलग-थलग पड़ जाने वालों मंडली बन गई।' उन्होंने कहा कि विश्वास पैदा करना मुश्किल है, लेकिन हमें शुरुआत करनी होगी।
यूक्रेन संघर्ष और सीरिया के शासन का रूस द्वारा समर्थन करने को लेकर उत्पन्न तनाव के बीच मेदवेदेव ने कहा, 'जो कुछ भी बचा खुचा है वह है रूस के खिलाफ नाटो की गैरदोस्ताना नीति।' उन्होंने यहां म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में कहा, 'हम इसे और स्पष्ट ढंग से कह सकते हैं, हम फिसलकर शीतयुद्ध के नए काल में पहुंच गए हैं।'
उन्होंने कहा, 'करीब-करीब हर रोज हमपर नाटो या यूरोप या अमेरिका या अन्य देशों को भयावह धमकियां देने का आरोप लगाया जाता है।' मेदवेदेव ने शीतयुद्ध के समापन के बाद पूर्व सोवियत संघ शासित पूर्वी यूरोप में नाटो के प्रसार और यूरोपीय संघ के बढ़ते प्रभाव की आलोचना की।
उन्होंने कहा, 'यूरोपीय नेता सोचते थे कि यूरोप के एक ओर यानी यूरोपीय संघ के बाहरी हिस्सों में मित्रों की तथाकथित मंडली बनाना सुरक्षा की गारंटी हो सकती है, लेकिन नतीजा क्या है? मित्रों की मंडली नहीं बल्कि अलग-थलग पड़ जाने वालों मंडली बन गई।' उन्होंने कहा कि विश्वास पैदा करना मुश्किल है, लेकिन हमें शुरुआत करनी होगी।